मोहनजी एनजीओ ने झारखंड की प्राचीन सोहराई कला को हाथ की कढ़ाई से निखारने की एक बेहतर कल्पना दी है : अहिंसा इंप्रिंट्स

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जमशेदपुर 1 november मोहनपुर, जमशेदपुर के पास एक छोटा सा गाँव है। यहाँ झारखंड की मशहूर कला परंपरा-सोहराई की एक अभिनव पटकथा लिखी जा रही है जो इस कहानी को नये से सिरे से सुनाएगी। यह नवाचार ‘ऐक्ट फॉर वीमेन’ परियोजना के मूल में है। इसकी शुरुआत 2018 में अम्मुकेयर चैरिटेबल ट्रस्ट ने की थी। यह एक देशव्यापी संगठन है जिसका घोषित उद्देश्य कई अन्य के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, सशक्तिकरण और पर्यावरण है। मुनाफा कमाना इसका उद्देश्य नहीं है। यह इलाके के लोगों के जीवन को बेहतर करने के लिए काम करता है और इनमें यहां रहने वाली गरीब व वंचित आबादी है।
महिला कौशल प्रशिक्षण केंद्र, जो कढ़ाई और सिलाई सिखाने के लिए बिना बिजली वाले एक कमरे से शुरू हुआ था, अब ‘अहिंसा इम्प्रिंट्स’ के तहत उत्पाद बेचता है। ये उत्पाद झारखंड के अद्वितीय जीआई-टैग कला रूप सोहराई की जटिल कला को हाथ की कढ़ाई से निखारने वाली प्रेरणा है। ग्रामीण कृतियों को ब्रांड बनाने के अन्य समान प्रयासों और अहिंसा इम्प्रिंट्स के बीच सबसे बड़ा अंतर पारंपरिक पेंटिंग फॉर्म को कढ़ाई की कला में नये सिरे से उभारना। अम्मुकेयर के वाइस प्रेसिडेंट और मोहनपुर में ‘एक्ट फॉर वीमेन’ प्रोजेक्ट की प्रमुख सुश्री निकुंज नरेदी कहती हैं । “पेंटिंग हमेशा माध्यम रही है, चाहे वह आदिवासी घरों में दीवार पर हो, कागज पर या कपड़े पर। लेकिन हमारा मानना है कि अहिंसा इंप्रिंट्स बेहतरीन कढ़ाई में सोहराई कला की एकमात्र ठोस पुनर्प्रस्तुति है।
सुश्री नरेदी, जमशेदपुर के अर्का जैन विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ फैशन डिजाइनिंग की प्रमुख भी हैं। वे इस परियोजना में शीर्ष क्षमता और अनुभव लाती हैं। सीवी के अनुसार वे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (एनआईएफटी) उत्तीर्ण हैं। साथ ही गुच्ची, अरमानी, वैलेंटिनो, हेइडी क्लेन, मैरी चैंटल और सुज़ैन एशेनफेल्डर जैसे कई प्रमुख ब्रांडों के साथ उनका अनुभव भी इसमें शामिल है। प्रतीकवाद और सांस्कृतिक महत्व से समृद्ध, सोहराई दुनिया की सबसे पुरानी कला-कहानी परंपराओं में से एक है। यह कई शताब्दियों से चले आ रहे ग्रामीण जीवन और रीति-रिवाजों का चित्रण है, सोहराई की जीआई-टैग की गई कला सिर्फ रचनात्मक अभिव्यक्ति का साधन नहीं है – यह झारखंड और भारत की अनूठी पहचान
और समृद्ध विरासत का भी प्रतिबिंब है।
अहिंसा इंप्रिंट्स सशक्त महिला और जिम्मेदार उत्पाद की विचारधारा पर आधारित है. फोकस शून्य बर्बादी तक पहुंचने के लिए कपड़े की न्यूनतम बर्बादी पर है। कपड़े के कतरन और कट-आउट को फेंका नहीं जाता है,
बल्कि उन्हें छांटकर संग्रहित किया जाता है ताकि बाद में उत्पाद निर्माण के लिए नवीन और रचनात्मक तरीकों से उपयोग किया जा सके.
श्री राजगोपालन कहते हैं, मोहनजी एक आध्यात्मिक शिक्षक और मानवतावादी हैं। उनका उद्देश्य सभी प्राणियों के बीच शांति, प्रेम और करुणा को बढ़ावा देना है। 5 महाद्वीपों के 15 देशों में हमारी सभी स्वयंसेवक-
संचालित पहल – इनमें ध्यान, आत्म-विकास कार्यक्रम और सामाजिक सेवा परियोजनाएं शामिल हैं – इस आदर्श के साथ जुड़ी हुई हैं। भविष्य की योजना भारत के भीतर और विश्व स्तर पर अहिंसा इम्प्रिंट्स ब्रांड को भारत की स्वदेशी कला परंपराओं की प्रामाणिक अभिव्यक्ति के रूप में स्थापित करने की है। श्री राजगोपालन कहते हैं, “इस परियोजना ने मोहनपुर की महिलाओं को कुशल व्यक्ति और उनके संबंधित परिवारों के नए कमाने वाले सदस्यों के रूप में एक नई पहचान दी है। अगर हम अहिंसा प्रिंट्स के लिए पर्याप्त ब्रांड ट्रैक्शन बनाते हैं, तो हम गांव की प्रत्येक महिला को सशक्त बनाने और उन्हें अपने और बच्चों के लिए भविष्य बनाने में मदद करने के लिए एक स्थान प्रदान करने में सक्षम होंगे।

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