पाका धाने मोई” ….. लगातर हो रही बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता

चांडिल । मौसम में बदलाव के बाद क्षेत्र में मंगलवार तथा आज सुबह काफी तेज बारिश हुई। बारिश के कारण खेतों में धान की खड़ी व खलिहान में कटकर रखी फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। बारिश की वजह से चांडिल अनुमंडल समेत आसपास के करीब 30 से 35 हजार एकड़ क्षेत्रफल में धान की फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। बारिश का असर तापमान पर भी देखने को मिला। दिनभर हवाएं ठंडी चल रही हैं। वहीं मौसम खुलने के बाद कड़ाके की ठंड बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

रविवार शाम से मौसम बदला हुआ था। रात में कहीं-कहीं हल्की बूंदा-बांदी हो रही थी। लेकिन सोमवार सुबह तीन से चार बजे के बीच तेज बारिश शुरू हो गई। बारिश सुबह 11 बजे तक हुई। इस दौरान कहीं तेज तो कहीं मध्यम वर्षा हुई। सोमवार सुबह से लेकर अबतक रुक रूककर बारिश हो रही हैं।

बेमौसम बरसात से धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचना बताया जा रहा है। करीब 35 से 40 फीसद फसल की कटाई हो चुकी है। इस लिहाज से करीब 50 हेक्टेयर फसल कट चुकी है। कई किसानों की फसल खलिहान में रखी हुई है। बैमौसम बारिश की वजह से कई जगहों में खेत में रखा हुआ धान का करपा भीग गया है। कई जगहों में धान की खड़ी फसल खेतों में गिर गई है। ऐसे फसलों की कटाई को लेकर भी दिक्कत होगी।

झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पके हुए धान के ऊपर बारिश होने पर बांग्ला भाषी लोग इसे ” पाका धाने मोई” कहते हैं। बीज बोआई होने के बाद बीजों को मिट्टी में ढकने के लिए तथा मिट्टी को ढीला करने के लिए हल में एक लंबी लकड़ी की बल्ली अथवा पटरा लगाया जाता है और उसे खेत में चलाया जाता हैं, जिसे ग्रामीण मोई कहते हैं। जब धान पककर कटने को तैयार हो जाता है अथवा कटकर खलिहान में रखे जाते हैं, उस समय बारिश होने पर धान के फसल खराब होने की संभावना बढ़ जाती हैं। इसलिए ग्रामीण ” पाका धाने मोई” कहते हैं।

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