चांडिल : BSIL/VRS प्रबंधन अपनी हरकतों से बाज आएं अन्यथा सड़कों पर उतरेंगे आदिवासी समाज के लोग

चांडिल । बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड प्रबंधन के मनमानी और स्थानीय ग्रामीणों पर किए गए मुकदमे को लेकर पातकोम दिशोम मांझी परगाना महाल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वहीं, पातकोम दिशोम मांझी परगाना महाल के देश परगना रामेश्वर बेसरा और श्यामल मार्डी ने कंपनी प्रबंधन के खिलाफ सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है। प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उन्होंने कहा है कि पिछले दिनों कीलन ब्लास्ट में मारे गए मजदूरों को मुआवजा देने में प्रबंधन ने भेदभाव किया है जो सरासर गलत है और नियम के विरुद्ध है। जब एक ही दुर्घटना में दोनों मजदूर की मौत हुई हैं तो प्रबंधन को समान रूप से मुआवजा देना चाहिए। श्यामल मार्डी ने कहा है कि किसी आदिवासी मजदूर की मौत पर प्रबंधन की ओर से सात या आठ लाख मुआवजा देना भी उचित नहीं है, यह मुआवजा राशि काफी कम है। उन्होंने पूछा है कि आखिर किन मानकों के आधार पर प्रबंधन ने मुआवजा राशि तय किया है। परिवार को स्वावलंबी बनाने के लिए उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। उन्होंने दोनों मृतक मजदूर के परिजनों को कमसेकम 15 – 15 लाख रुपये मुआवजा देने का मांग किया है।
पातकोम दिशोम मांझी परगाना महाल के देश परगना रामेश्वर बेसरा व श्यामल मार्डी ने संयुक्त रूप से कहा है कि पिछले दिनों कंपनी प्रबंधन के इशारे पर कंपनी में काम करने वाले एक ठेकेदार द्वारा जमींदाताओं पर झूठा आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया गया है। पुलिस ने भी मामले की अच्छी तरह से जांच नहीं की और दो स्थानीय लोगों को जेल भेज दिया। प्रबंधन के इस ओछी हरकत से आदिवासी समुदाय में आक्रोश है। इसलिए बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड प्रबंधन से हमारी मांग है कि ग्रामीणों पर किए गए बेबुनियाद मुकदमे को बिना शर्त वापस ले, अन्यथा आदिवासी समाज के लोग सड़कों पर उतरने को बाध्य होंगे।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों कंपनी परिसर में मारपीट के आरोप में स्थानीय लोगों के खिलाफ चांडिल थाना में मामला दर्ज कराया गया है। जिसमें अरुण टुडू व मदन प्रसाद को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। वहीं, गत 7 अप्रैल को कंपनी का कीलन ब्लास्ट होने से सात मजदूर गंभीर रूप से झुलस गया है। घायलों का इलाज टीएमएच में चल रहा है। इलाजरत दो मजदूर की मौत हो गई हैं। बताया जाता है कि गत 12 अप्रैल को इलाज के दौरान नीमडीह के सीमा गांव निवासी मजदूर सुरेश सिंह सरदार की मौत हुई थी, जबकि गत 19 अप्रैल को चांडिल के चालक बेड़ा निवासी मजदूर देवशरण सिंह सरदार की मौत हुई हैं। जिसमें मृतक सुरेश सिंह सरदार के परिजन को प्रबंधन ने साढ़े आठ लाख रुपये मुआवजा दिया है लेकिन मृतक देवशरण सिंह सरदार के परिजन को सात लाख रुपये ही मुआवजे के तौर पर दी गई। एक ही घटना में मारे गए दो मजदूर के परिजनों को अलग अलग राशि का मुआवजा दिए जाने के बाद ही क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है। वहीं, बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। गत मंगलवार को झामुमो के एक नेता ने भी प्रबंधन के खिलाफ नाराजगी जताते हुए दोनों मृतक के आश्रित को समान मुआवजा देने की मांग की है।

Share this News...