पिछले लंबे अरसे से एक देश-एक चुनाव को लेकर जो बातें हो रही थीं उसे कानूनी रूप देने के लिए मोदी सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट बैठक में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर आई कमेटी की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इस कमिटी के आधार पर बिल बनाया जाएगा और बिल को कैंबिनट की मंजूरी मिलने के बाद इसे संसद मे ंपेश किया जाएगा। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक देश एक चुनाव को लेकर कमिटी बनाई गई थी। कमिटी का गठन पिछले साल सितंबर में हुआ था। कमिटी ने इसी साल मार्च में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में लोकसभा के साथ-साथ राज्यों की विधानसभा और पंचायत चुनाव कैसे करवाए जा सकते हैं, इसे लेकर सुझाव दिए गए थे। इस रिपोर्ट को मंजूरी ऐसे समय मिली है, जब हाल ही में खबरें आई थीं कि मोदी सरकार इसी कार्यकाल में एक देश-एक चुनाव को लेकर बिल लाने की तैयारी कर रही है।
माना जा रहा है कि संसद के अगले शीतकालीन सत्र में इस बिल को मोदी सरकार की ओर से लाया जा सकता है। अगर ये बिल, कानून बनता है तो 2029 में देशभर में लोकसभा के साथ-साथ सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव भी होंगे। इन चुनावों के बाद 100 दिन के भीतर पंचायतों के साथ-साथ नगर पालिकाओं के चुनाव भी कराए जाएंगे। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में बनी कमेटी ने इसी साल 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को रिपोर्ट सौंपी थी. साढ़े 18 हजार पन्नों की इस रिपोर्ट में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ-साथ नगर पालिकाओं और पंचायत चुनाव करवाने से जुड़ी पहले चरण में लोकसभा के साथ-साथ सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव करवा दिए जाएं. समिति ने सिफारिश की थी कि 2029 में इसकी शुरुआत की जा सकती है, ताकि फिर हर पांच साल में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी हो सकें। दूसरे चरण में नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव करवाए जाएं. नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव लोकसभा-विधानसभा चुनाव खत्म होने के 100 दिन के भीतर कराए जाने चाहिए. समिति ने सुझाव दिया था कि इसके लिए संविधान में अनुच्छेद 82्र जोड़ा जाए. अनुच्छेद 82्र अगर जुड़ता है तो लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हो सकते हैं। अगर संविधान में अनुच्छेद 82्र जोड़ता है और इसे लागू किया जाता है तो सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल के साथ ही खत्म हो जाएगा. यानी, अगर अगर ये अनुच्छेद 2029 से पहले लागू हो जाता है तो सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक होगा। इसका मतलब होगा कि सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल के साथ ही खत्म हो जाएगा. यानी कि अगर किसी राज्य में विधानसभा चुनाव 2027 में होते हैं तब भी उसका कार्यकाल जून 2029 तक ही होगा. इस हिसाब से सभी राज्यों में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा के चुनाव भी कराए जा सकेंगे.
हमारे देश में मल्टी पार्टी सिस्टम है, इसलिए इस बात की संभावना भी बहुत ज्यादा है कि किसी एक पार्टी या गठबंधन को बहुमत न मिले। ऐसी स्थिति में सबसे बड़ी पार्टी या गठबंधन को सरकार बनाने का न्योता दिया सकता है. अगर फिर भी सरकार नहीं बनती है तो मध्यावधि चुनाव करवाए जा सकते हैं। लेकिन चुनाव के बाद जो भी सरकार बनेगी, उसका कार्यकाल पांच साल नहीं होगा.
लोकसभा में इस बिल को पास कराने के लिए कम से कम 362 और राज्यसभा के लिए 163 सदस्यों का समर्थन जरूरी होगा। संसद से पास होने के बाद इस बिल को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा का अनुमोदन भी जरूरी होगा. यानी, 15 राज्यों की विधानसभा से भी इस बिल को पास करवाना जरूरी है. इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही ये बिल कानून बन सकेंगे।आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे। इसके बाद 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गई। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई. इससे एक साथ चुनाव की परंपरा टूट गई। अब देखना है कि मोदी सरकार दोनो सदनों में इस बिल के कब और कैसे पारित कराती है। वैसे माना जा रहा है किइसके लिये उसने होमवर्क जरुर किया होगा।