एमटीएमएच की गोल्डन जुबिली गोष्ठी -आमलोगों तक कैंसर का इलाज सुलभ कराने में आयुष्मान गेम चेंजर

जागरुक बने, भयभीत न हों, आपकी लड़ाई में हम साथ खड़े हैं: डा. कोशी वर्गीश
जमशेदपुर में एमटीएमएच, रांची,धनबाद, बोकारो में इलाज की सुविधा
जमशेदपुर, 7 सितम्बर (रिपोर्टर): कैंसर से लड़ाई को लेकर सरकार व चिकित्सा जगत लगातार काम कर रहा है और आमलोगों को इलाज की पहुंच ले जाने तक सरकार की ओर से आयुष्मान योजना गेम चेंजर की भूमिका निभा रही है. लोगों को जागरुक होने की जरूरत है ताकि प्रारम्भिक अवस्था में कैंसर के लक्षणों को पकड़ा जा सके. इलाज को आमलोगों तक सुलभ करने के लिए सरकार की आयुष्मान योजना में कैंसर के सभी प्रकार के इलाज का कवरेज है. कैंसर के सटीक और कम नुकसान वाले इलाज के लिए ही अब प्रिसिजन ऑन्कोलॉजी पर लगातार अध्ययन चल रहा है. एमटीएमएच के गोल्डन जुबिली मौके पर आज यहां समाप्त हुए दो दिवसीय प्रिसिजन ऑन्कोलॉजी विषयक गोष्ठी का निष्कर्ष यही रहा.
गोष्ठी के आयोजक एमटीएमएच के निदेशक डा. कोशी वर्गीश ने बताया कि अब कैंसर के हर उपचार के लिए मुम्बई, चेन्नई या अन्य बड़े शहरों में जाने की जरूरत नहीं है. कैंसर इलाज का एक स्थापित प्रोटोकॉल तथा गाइडलाइन के अंतर्गत ही बिहार और झारखंड में अनेक अस्पताल काम कर रहे हैं जिनमें एमटीएमएच भी एक है. लोगों को जागरुक होने के साथ- साथ एमटीएमएच के संसाधनों पर भरोसा भी करना होगा. जैसा कि विशेषज्ञों ने बताया है कैंसर अब लाइलाज नहीं है, लेकिन इसके लिए लोगोंं में फैली तरह-तरह की भ्रांतियां दूर करनी होंगी और प्रारम्भिक अवस्था व शुरुआती लक्षणों में ही अस्पताल पहुंचना होगा. कोल्हान सहित झारखंड में जमशेदपुर एमटीएमएच, रांची, धनबाद, बोकारो जैसे शहरों में डिटेक्शन और इलाज की सुविधा उपलब्ध है. एमटीएमएच का 50 वर्षों का इतिहास है. उन्होंने बताया कि मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई जैसे बड़े शहरों में जिस ढंग से कैंसर इलाज के लिए भीड़ बढ़ रही है लोगों को जितनी परेशानी हो रही है उसके मद्देनजर जागरुकता लाना बहुत जरूरी है. ज्यादातर मरीज तीसरे व चौथे चरण में अस्पताल पहुंचते. उन्होंने अपील की कि लोग कैंसर को लेकर जागरूक हों और समय पर जांच कराएं, जिससे बीमारी का इलाज आसान हो और मरीजों की जान बचायी जा सके. उन्होंने कहा कि सबसे दर्द देने वाली बात यह है कि जब मरीज इलाज कराने के लिए बाहर जाते हैं. उन्हें वहां जमशेदपुर जैसे शहरों की तरह इलाज किया जाता है. मरीजों के परिजनों को भारी खर्च की बोझ को उठाना पड़ता है. मरीज के अस्पताल के अलावा जो साथ में परिजन जाते हैं, उनके रहनेे यदि वे नौकरी पेशा के होते हैं तो उन्हें भी छुट्टी लेनी पड़ती है जिससे खर्च काफी पड़ता है. उन्होंने लोगों से अपील की कि जो भी कैंसर के मरीज हों यदि जमशेदपुर या आसपास के रहने वाले हों तो एमटीएमएच में आकर इलाज करा सकते हैं. उनके लिए आयुष्मान कार्ड की भी सुविधा है.
एमटीएमएच के निदेशक डा. कोशी वर्गीश ने कैंसर के इलाज को लेकर कहा है कि कैंसर की बढ़ती घटनाएं व देर से पता चलने वाले इलाज योग्य कैंसर चिंता का विषय हैं. उन्होंने सामुदायिक जागरूकता व क्षमता निर्माण पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, खासकर सरकारी व गैर-सरकारी एजेंसियों के साथ साझेदारी में प्रारंभिक कैंसर जांच के लिए. उन्होंने कहा कि इस तरह की साझेदारी टाटा ट्रस्ट, टाटा फाउंडेशन के साथ मिल कर कैंसर जागरुकता पर जोर दिया जा रहा है. जमशेदपुर व आसपास के क्षेत्रों में विशेष जांच अभियान चलाया जाएगा. मेडिकल वैन से गांव-गांव जाकर जांच की जाएगी. उन्होंने कहा कि फिलहान उनका फोकस कोल्हान रहेगा, क्योंकि टाटा फाउंडेशन इस क्षेत्र मेंं काम कर रहा है.
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कैंसर उपचार में एमटीएमएच की सुविधाएं
एमटीएमएच के डायरेक्टर डा. कोशी वर्गीश ने कहा कि एमटीएम में कैंसर के उपचार के लिए स्लाइस सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन, मैमोग्राफी और पीईटी सीटी स्कैन उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि उपचार की सुविधाओं में कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी व लक्षित चिकित्सा के साथ-साथ रेडिएशन ऑन्कोलॉजी व सर्जिकल ऑन्कोलॉजी जैसी सुविधाएं हैं. उन्होंने कहा कि कैंसर की रोकथाम के लिए स्क्रीनिंग की सुविधा हैंं. उन्होंने कहा कि स्क्रीनिंग के लिए कोई उम्र नहीं है. कैंसर की बीमारी बच्चे हो या युवा किसी को भी हो सकती है. उन्होंने कहा कि एमटीएमएच कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए रैलियों व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करता है.
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आईसीएमआर की मदद से किया जाएगा प्रमुख कैंसर पर शोध
उन्होंने कहा कि एमटीएमएच कैंसर बीमारी की रोकथाम के लिए लगातार काम रहा है. मुंह का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर व सर्वाइकल कैंसर जैसे प्रमुख मामले पर विशेष शोध भी किया जाएगा जिसमें इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की मदद ली जाएगी. उन्होंने कहा कि शुरुआती चरण में अगर पहचान हो जाए तो अधिकतर मरीजों की जान बचाई जा सकती है.
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देशभर में कैंसर के इलाज के लिए एक जैसी गाइडलाइन: डा. सौरभ
एमटीएमएच के 50 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य मेंं प्रिसिजन ऑक्कोलॉजी थीम पर आधारित सेमिनार में भाग लेने पहुंचे रांची जेसीसी के डा. कुमार सौरभ ने कहा कि समय के साथ- साथ काफी बदलाव हो रहा है. वहीं अलग-अलग बीमारियों के इलाज के लिए नई तकनीक आ रही हैं. उन्होंने कहा कि पहले कैंसर को लाइलाज माना जाता था लेकिन अब सभी तरह के कैंसर का इलाज संभव है. ये सभी सुविधाएं झारखंड में जमशेदपुर, रांची, धनबाद, बोकारो में मिल रही हैं. इसलिए कहा जा सकता है कि झारखंड में अब कैंसर का इलाज आसान हो गया है. अब लोगों को इलाज कराने के लिए मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई जैसे बड़ें शहरों में जाने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि कैंसर की बीमारी से बचाव के लिए प्रारम्भिक इलाज जरूरी है. आज भी लोगों के मन में यह भ्रम है कि वे कैंसर का इलाज बाहर जाकर करायें जिससे बेहतर इलाज होगा, जबकि देशभर में कैंसर के इलाज के लिए एक जैसी गाइडलाइन है. उन्होंने कहा कि बाहर में इलाज कराने पर मरीजों पर महंगाई की मार भी पड़ती है, बड़े अस्पतालों मेंं मरीज का इलाज भी समय नहीं मिल पाता है. उन्होंने कहा कि फिलहाल झारखंड में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है.
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कैंसर इलाज मेें अपनायी जा रही एडवांस तकनीक
रांची जेसीसी के डा. कुमार सौरभ ने कहा कि पहले कैंसर के मरीजों को एक तरह का इलाज दिया जाता था, लेकिन अब समय में बदलाव के साथ-साथ उपचार मेंं भी बदलाव हो रहा है. अब मरीज की बीमारी की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग उपचार किया जाता है. पहले मुंह या जीभ में कैंसर होने पर जीभ काटना पड़ता था, लेकिन अब एडवांस तकनीक को अपनायी जा रही है जिससे घाव को छोटा कर हटा दिया जाता. अब प्लास्टिक सर्जरी जैसी सुविधा आ गई है जिससे मरीज इलाज के बाद सामान्य आदमी की तरह खाना-पीना कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अब टारगेटेड थेरेपी व इम्यूनोथेरेपी से इलाज आसान हो गया है और डॉक्टरों को भी सफलता मिल रही है. इस मौके पर सेमिनार में दूसरे दिन एमटीएमएच के डायरेक्टर डा. कोशी वर्गीश, डा. तमोजित चौधरी, डा. अभिषेक कुमार, डा. अभिषेक ठाकुर, डा. आशीर, आईएमए के अध्यक्ष डा. जी सी मांझी, डा. एस कुंडू, एमटीएमएच के हेड एडमिनिस्ट्रटिव अमिताभ चटर्जी आदि मौजूद थे.

जागरुकता का अभाव, लापरवाही मुंह कैंसर से ग्रामीण की मौत का बना कारण
लोगोंं में कैंसर को लेकर जागरुकता की इस तरह से कमी है कि बहरागोड़ा के एक गांव में मुंह के कैंसर से पीडि़त एक 40 वर्षीय मरीज प्रारम्भिक जांच के बाद इलाज का सारा रूटीन और प्रोग्राम तथा खर्च की व्यवस्था के बाद भी अस्पताल में टर्नअप नहीं हुआ जिससे कल उसकी दर्दनाक मृत्यु हो गई. पता चला है कि इस वर्ष मार्च महीने में ही उसके मुंह में कैंसर के प्रारम्भिक लक्षण मिले जिसके बाद अस्पताल ने आयुष्मान योजना के तहत तत्परता से इलाज की सारी व्यवस्था खुद कायम कर दी. विडम्बना है कि वह मरीज एक बार आने के बाद फिर गायब हो गया. अस्पताल द्वारा उसके परिजनों से बार-बार सम्पर्क करने के बाद भी वह सामने नहीं आया. इलाज के लिए तकनीकी और चिकित्सकीय सारी व्यवस्था और उसका व्यय खर्च भी व्यवस्थित हो गया था. दो दिन पहले ही वह बहुत बुरी स्थिति में एमटीएमएच पहुंचा जहां उसके जीवन की रक्षा नहीं हो सकी और उसकी मौत हो गई

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