संपादकीय-मंत्री जी उपहास न उड़ायें आम आदमी का


पेट्रोल डीजल की कीमते लगातार रिकार्ड बना रही है। लोग परेशान हैं। लेकिन यदि महंगाई और कीमत वृद्धि की बात की जाती है तो कुछ लोगों को मिर्ची लग जाती है। उत्तर प्रदेश के एक भाजपाई मंत्री उपेन्द्र तिवारी ने एक अजीबोगरीब आंकड़ा देकर एक तरह से पूरे देश का खासकर आम आदमी का उपहास उड़ाने का प्रयास किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां आम आदमी की बात करते है वहीं उनकी ही पार्टी के मंत्री का कहना है कि देश की 95.5 प्रतिशत जनता पेट्रोल का उपयोग ही नहीं करती लेकिन पेट्रोल की कीमत बढऩे पर शोर मचा रही है। यदि मंत्री महोदय वाहनों में सीधे पेट्रोल डाले जाने की बात कर रहे हैं तो भी यह बात समझ से परे है कि 95 प्रतिशत आबादी पेट्रोल का प्रयोग ही नहीं करती। मंत्री महोदय को पता होना चाहिए कि पेट्रोल-डीजल की कीमत का सीधा असर यातायात, माल ढुलाई पर पड़ता है। पिछले 18 महीने में पेट्रोल की कीमत 36 रुपये और डीजल की कीमत 26.58 रूपये बढ़ी है। सरकार का जो भी तर्क हो लेकिन इससे जनता तबाह हो रही है। इसका असर यह हुआ है कि यात्री किराया लगभग डेढ से दो गुणा बढ़ गया है। जमशेदपुर शहर में दो स्टाप के बीच का आटो किराया 18 माह में दूना हो गया है। पहले जिस दूरी का आटो भाड़ा 5 रूपये था आज वह 10 हो गया है। रोज रोज काम पर जाने वाले मजदूरों का भाड़ा खर्च दो गुणा बढ़ गया है। उनके पास उस मंत्री की तरह वाहनों की फौज नहीं है। मंत्री को आम आदमी के दर्द का क्या अहसास क्यों होने लगा, उन्हें तो अपनी जेब से पेट्रोल का पैसा देना नहीं है। उनकी गाड़ी में उसी आम आदमी से वसूले गये टैक्स के पैसे से ही पेट्रोल भरवाये जाते हैं। वे उसी आम आदमी के पैसे पर बड़े बड़े सरकारी बंगले में रहते हैं। नौकर चाकरों की फौज उनकी सेवा में रहती है सबका खर्च वही आम आदमी वहन करता है। फिर वे मंत्री उसी आम आदमी का उपहास भी उड़ाते है। बेशर्मी की पराकाष्ठा हो गयी है।
हाल के दिनों में खासकर सोशल मीडिया के दौर मेें जब कोई महंगाई की बात करता है तो उसका उपहास उड़ाने का प्रयास किया जाता है। मंत्री भी उसी कतार में खड़े हो गये। सब्सिडी को लेकर आम गरीब आदमी की खिल्ली उड़ाई जाती है। जिस देश में एक प्रतिशत आबादी के पास बाकी की 99 प्रतिशत की आबादी से भी अधिक धन हो उस देश में सबको एक तराजू पर तौला नहीं जा सकता। प्रजातंत्र के बारे में कहा जाता है कि विकास की किरण सबसे पहले अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति तक पहुंचनी चाहिए लेकिन सभी को पता है कि किसका विकास सबसे पहले होता है। जिसके सर पर पहले से तेल है उसी के सर पर पूरे तेल का टीन डाला जाता है। समाज में समानता कैसे आएगी यह देखना सरकार की जिम्मेदारी होती है। केवल उन महानगरों का ही विकास नहीं किया जा सकता जो सम्पन्न है. उन गांवों का भी विकास करना चाहिए जहां विपन्नता है। जो विकास से दूर है उसे भी मुख्यधारा में लाना होगा तभी भारत आगे बढ़ेगा। मुट्ठी भर लोगों के नाम विश्व के सम्पन्न लोगों की सूची में आने से भारत बड़ी आर्थिक ताकत नहीं बनेगा। वह तभी होगा जब हर व्यक्ति का देश के विकास में योगदान होगा।

Share this News...