आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों के लिए एक बार फिर जारी किया मौत का फरमान, घाटी छोड़ दें या मरने के लिए तैयार रहें

कश्मीरी पंडितों के लिए एक बार फिर आतंकियों ने मौत का फरमान जारी कर दिया है। ये फरमान उन कश्मीरी पंडितों के लिए है जो 1990 में विस्थापन के बाद 2015 के पीएम राहत पैकेज के तहत दोबारा सरकारी नौकरी करने घाटी लौटे थे।
19 जनवरी 1990 में कश्मीर घाटी में एक रात अचानक पावर कट हो गई, यानी लाइट चली गई। उस अंधेरे में घाटी की मस्जिदों से ऐलान हुआ “असि गछि पाकिस्तान, बटव रोअस त बटनेव सान” मस्जिद में से जो ऐलान किए जा रहे थे और जो आवाजे आ रही थी। वो हमें शांति का पाठ पढ़ाने के लिए नहीं थी। बल्कि डर के शिकंजे में जकड़ने के लिए थी। ऐसा डर जो कश्मीरी पंडितों को मजबूर कर दे। अगली सुबह ही घर छोड़कर भाग जाने के लिए। ऐसा डर जिसमें लाखों कश्मीरी पंडितों की बेबसी, उनके आंसू, उनकी चीखें, और उनकी घुटन छुपी है। इसके बाद जो कुछ भी हुआ उससे हम सब भलि भांति वाकिफ हैं। लेकिन इस दर्दनाक घटना के तीन दशक गुजर जाने के बाद 32 साल पहले घाटी में नरसंहार झेल और देख चुके कश्मीरी पंडितों के लिए एक बार फिर आतंकियों ने मौत का फरमान जारी कर दिया है। ये फरमान उन कश्मीरी पंडितों के लिए है जो 1990 में विस्थापन के बाद 2015 के पीएम राहत पैकेज के तहत दोबारा सरकारी नौकरी करने घाटी लौटे थे।
जम्मू कश्मीर में सरकारी सेवाओं में लगे कश्मीरी पंडित आतंकियों के लगातार निशाने पर हैं। उन्हें आतंकियों ने एक बार फिर से घाटी छोड़ने या टारगेज किलिंग में मरने के लिए तैयार रहने की धमकी दी है। ये धमकी बडगाम में पांच दिन पहले आतंकियों द्वारा तहसील ऑफिस में घुसकर कश्मीरी पंडित राहुल भट नाम के अधिकारी की हत्या के बाद आई है। राहुल की हत्या के बाद से अपनी सुरक्षा को लेकर कश्मीरी पंडित जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच घाटी में आतंकियों ने गैर मुस्लिमों के बीच दहशत पैदा करने के लिए धमकी भरा पत्र लिखा है।
पुलवामा के हवाल ट्रांजिट में रह रहे कश्मीरी पंडित को लश्कर ए इस्लाम नाम के आतंकी संगठन की ओर से जारी किए गए एक पोस्टर में कहा गया है कि कश्मीरी पंडित घाटी छोड़ दें या फिर मौत के लिए तैयार रहे। ऐसे कश्मीर पंडित जो कश्मीर एक और इजरायल चाहते हैं और कश्मीरी मुस्लिमों को मारना चाहते हैं, उनके लिए यहां कोई जगह नहीं है। अपनी सुरक्षा दोहरी या तिहरी कर लो, टारगेट किलिंग के लिए तैयार रहो। तुम मरोगे’। यह पोस्टर हवाल ट्रांजिट आवास के अध्यक्ष को संबोधित करते हुए लिखा गया है।

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