बच्चों को अंक नहीं, अच्छा इंसान बनने की दें प्रेरणा: एस के बेहरा

जीवन की ओर से विश्व आत्महत्या निवारण दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
जमशेदपुर, 10 सितम्बर (रिपोर्टर): आरएसबी के ट्रांसमिशन के प्रबंध निदेशक और शहर के प्रख्यात उद्योगपति एस के बेहरा ने जीवन की पहल की सराहना करते हुए कहा कि आत्महत्या जैसे कठिन विषय पर कार्य करना साहसिक और सराहनीय है. उन्होंने कहा कि आत्महत्या केवल दवा से नहीं रुक सकती. इसका कारण परिवार, समाज व भौतिकता की दौड़ से उपजे दबाव हैं. अगर हम बच्चों से बार-बार कहें कि 95 प्रतिशत अंक लाना जरूरी है, क्योंकि पड़ोसी के बच्चे ने 94 लाए हैं, तो हम उनमें जलन व भय पैदा कर रहे हैं. हमें उन्हें सबसे पहले अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अंक और उपलब्धियां उसके बाद आती हैं.
बुधवार की शाम बिष्टुपुर स्थित आत्महत्या निवारण केन्द्र जीवन की ओर से माइकल जॉन ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि आरएसबी के ट्रांसमिशन के प्रबंध निदेशक और शहर के प्रख्यात उद्योगपति एस के बेहरा, एनआईटी के निदेशक डा. गौतम सूत्रधार, जीवन के निदेशक डा. ज्योराज जैन समेत अन्य ने डा. राम के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया. इस मौके पर उद्योगपति एस के बेहरा ने छात्रों की ओर से प्रस्तुत नाटक की भी प्रशंसा की, जिसमें बच्चों पर पढ़ाई और माता-पिता के दबाव से पैदा हुई परेशानियों को प्रभावी ढंग से दिखाया गया. उन्होंने कहा कि बच्चों ने बहुत सरल और स्पष्ट तरीके से समझाया. वास्तव में हम बड़े ही इस समस्या के जिम्मेदार हैं. इस मौके पर स्कूली बच्चों को मोमेंटों व प्रमाण पत्र देकर सम्माितन किया गया.
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छोटी- छोटी असफलताओं से खत्म नहीं होता जीवन
आरएसबी के ट्रांसमिशन के प्रबंध निदेशक और शहर के प्रख्यात उद्योगपति एस के बेहरा ने एक मार्मिक उदाहरण साझा किया कि कैसे एक युवक को आत्महत्या करने से सिर्फ इसलिए रोका जा सका क्योंकि परामर्शदाताओं ने उसे पहले मिलने को कहा. जब वह आया और उसे सुना गया तो उसने अपना मन बदल दिया. बाद में उसने कहा—‘आपने मेरी जान बचायी. उन्होंने कहा कि यही यही सहयोग हमें समाज को देना होगा. उन्होंने आंकड़े साझा करते हुए बताया कि पिछले वर्ष जमशेदपुर क्षेत्र में 181 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें 45 प्रतिशत वयस्क थे. ये सिर्फ छात्र नहीं हैं, बल्कि वे लोग भी हैं जो भौतिक सफलता की दौड़ में असफल होकर हार मान लेते हैं। उन्हें समझाना होगा कि यह अंत नहीं है. उन्होंने कहा कि जीवन में हमेशा संभावनाएं होती हैं. जीवन के निदेशक डॉ. जयराज जैन ने बताया कि संस्था की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी, जब समाज में आत्महत्या रोकथाम के लिए कोई संगठित मंच उपलब्ध नहीं था. दजब लोग खुद को कोने में घिरा हुआ और निराश महसूस करते हैं, तब सिर्फ कोई सुनने वाला भी उनके जीवन को बचा सकता है. उन्होंने कहा किजीवन का उद्देश्य हमेशा यही रहा है—सुनना, सहयोग देना और मानसिक स्वास्थ्य पर कलंक को दूर करना.

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