डायन प्रथा के खिलाफ फ्री लीगल एड कमिटी के प्रयासों की सराहना, डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम की 22 वीं वर्षगांठ पर सेमिनार

जमशेदपुर 3 जुलाई
फ्री लीगल एड कमिटी और इंस्टिट्यूट फॉर सोशल डेमोक्रेसी के संयुक्त तत्वाधान में डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम की 22 वां वर्षगांठ पर आज आदर्श सेवा संस्थान सोनारी में सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार में डाइन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम के समकालीन संदर्भ पर पर चर्चा की गई. इस अवसर पर पद्म श्री छुटनी महतो , पूर्व सासंद आभा महतो, शिक्षाविद डॉ एस एस रजी, खादी ग्राम उद्योग के पूर्वी क्षेत्र के संयोजक मनोज सिंह,एवं चमकता आईना के संपादक जयप्रकाश राय शामिल हुए । सभी वक्ताओं ने इस विषय पर अपने विचार रखते हुए फ्री लीगल एड कमिटी द्वारा डायन प्रथा के खिलाफ चलाये गये अभियान की चर्चा करते हुए उनके प्रयासों की तारीफ की।
पद्मश्री से सम्मानित छुटनी महतो ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि किस तरह आज वो 150 से अधिक महिलाओं को लेकर इस विषय पर काम कर रही हैं। इनमें अधिकांश पीडि़त महिलाएं हैं। हाल ही मसूरी में आईएएस अधिकारियों को संबोधित कर लौटीं छुटनी महतो ने बताया कि जब 1995-96 में उनपर अत्याचार हुआ तो इस संस्था ने उनका साथ दिया। आज उसी की देन है कि उनको यह सम्मान मिला है।
पूर्व सांसद आभा महतो ने कहा कि इस प्रथा को बढ़ावा देने में गांव के लोग स्वयं भी जिम्मेदार है। आपसी दुश्मनी को निकालने के लिए या आपसी रंजिश को निकालने के लिए लोग एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते हैं और कुछ ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं जो प्रथम दृष्टया दिखता है कि इसमें कुछ चमत्कार है काली शक्ति है मगर इसके पीछे एक ठोस वैज्ञानिक आधार होता है एक तकनीक होता है यह बात गांव के लोग समझ नहीं पाते हैं। अलग-अलग माध्यमों से लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर आर्का जैन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉक्टर एस एस रजी ने कहा कि डायन प्रथा जैसी समस्याएं शिक्षा के अभाव में बढ़ती जाती है और यह पूरे समाज के लिए ऐसे विरासत के रूप में कायम हो जाता है जिससे मुश्किलें ही बढ़ती है इसीलिए नए पीढियों में जागरूकता लाना जरूरी है ताकि इस समस्या को जड़ से खत्म किया जा सके।
चमकता आर्ईना के संपादक जयप्रकाश ने कहा फ्री लीडल एड कमिटी के इतने सालों के संघर्ष का परिणाम है कि छुटनी महतो को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस समस्या की गंभीरता को केंद्र की सरकार ने समझा और संघर्ष करने वाली छुटनी महतो को यह सम्मान दिया।हलांकि अभी भी समाज में डायन प्रथा (कुप्रथा) बनी हुई है और इसके खिलाफ और भी बड़े स्तर से संघर्ष करने की जरुरत है। छुटनी महतो को पद्म श्री का सम्मान प्राप्त हुआ यह संस्था के लिए गर्व की बात है इसके लिए छुटनी महतो ने बहुत संघर्ष किया कड़ी मेहनत की और लगातार काम करते रहे। इस समस्या को खत्म करने के लिए गांव गांव में अभियान चलाना जरूरी है।
मनोज सिंह ने कहा कि एक दीप से रोशनी पूरे क्षेत्र में नहीं फैलाई जा सकती है इसीलिए जरूरी है दीप से दीप जलाया जाए और अलग-अलग जगहों में सेमिनार और समारोह का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जाए और डायन प्रथा को खत्म करने के लिए उन्हें प्रेरित किया जाए।

अतिथियों का स्वागत एवं बिषय प्रवेश करते हुए फ्री लीगल एड कमेटी के अध्यक्ष प्रेमचंद ने कहा कि डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम के लागू होने का यह 22वां साल है और यह गौरव की बात है कि संस्था ने सबसे पहले तत्कालीन बिहार राज्य में यह कानून बनवाया था बाद में 2001 में झारखंड सरकार ने भी इसे अंगीकृत किया और पूरे झारखंड में लागू किया यह गौरव की बात है। प्रेम चंद्र ने आरंभिक दिनों के संघर्ष की चर्चा करते हुए उन बातों का उल्लेख किया कि किस तरह प्रशासनिक महकमे में फाइल को आगे बढाये जाने के लिये संस्था ने एंडिय़ां रगड़ीं। प्रशासनिक अधिकारी इस समस्या की गंभीरता को समझने को तैयार नहीं होते थे। उन्होंने कहा कि डायन प्रथा भारत के 13 अलग-अलग राज्यों में व्याप्त है या प्रथा केवल भारत में ही नहीं है इसकी जड़ें?ें यूरोप के कई देशों तक जाता है । हम यदि कहें तो डायन प्रथा की समस्याएं यूरोपीय देशों से ही हमारे भारतवर्ष में भी आयातित हुआ। डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम कानून मूल रूप से इस समस्या को पहचान दिलाने के लिए बनवाई गई थी इसीलिए इस कानून में बहुत ही नरम अनुच्छेद शामिल किए गए थे। गांव क्षेत्र में डायन प्रथा से जुड़ी जो भी घटनाएं घटती है उसमें देखा जाता है आरोप करने वाले व्यक्ति और पीड़ित होने वाले व्यक्ति दोनों ही मासूम होते हैं अंधविश्वास और जानकारी की कमी के कारण या प्रथा अब भी अपनी जड़े मजबूती से कायम किए हुए हैं इसे खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है।
सेमिनार के अंत में डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम का 22वीं वर्षगांठ मनाते हुए केक काटा गया और शपथ ली गई कि डायन प्रथा को समूल खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयास किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन आदर्श संस्थान के कार्यकर्ता लखी दास और धन्यवाद ज्ञापन उषा महतो ने किया। इस अवसर पर फ्री लीगल एड कमिटी के सचिव रमाशंकर सिंह, कोषाध्यक्ष ब्रह्मदेव शर्मा सहित काफी संख्या में संस्था से जुड़े लोग मौजूद थे। गौतम गोप ने संयोजन की भूमिका निभाई।

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