सम्पादकीय, चलो बाजार चलें का आह्वान

इन दिनों पूजा का माहौल है। बाजारो में खरीददारी के लिये लोग उमड़ रहे है। ग्राहकों को आकर्षित करने के लिये आफरो की भरमार है। लेकिन कारोबारी परेशान है। वे ग्राहको से बाजार आने की अपील कर रहे है। दरअसल पूजा के ठीक पूर्व ऑनलाइन आफर की ऐसी भरमार आने लगती है कि ग्राहक बरबस उसकी ओर खिंचे चले जा रहे हैं। खासकर युवा वर्ग एवं युवा प्रोफेशनल के लिये ऑनलाइन बाजार तेजी से आकर्षण का केन्द्र बनता जा रहा है। बाजार की भीड़ भाड़ से बचना,समय की बचत, सस्ती कीमत, खरीदे गये सामान को वापस करने की सुविधा ये सारी बाते अब उनके लिये बहुत मायने रखने लगी है। अभी भी एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो ऑनलाइन खरीददारी पर भरोसा नहीं करता। उससे उसे संतोष नहीं होता। लेकिन इसके उलट एक वर्ग ऐसा भी है जो तेजी से इस ओर खिंचता जा रहा है।
कुछ दशक पूर्व जब देश में वालमार्ट के आगमन की चर्चा हो रही थी तो उस समय भी ऐसा ही माहौल बना हुआ था। उस वक्त भी कहा जा रहा था कि वालमार्ट या इस तरह की बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत के करोड़ो छोटे कारोबारियों को खत्म कर देगी। अब एक बार फिर उसी तरह का माहौल बना हुआ है। इस बार विभिन्न व्यापारिक संगठनों की ओर से लोगों को बाजार आने के लिये अभियान चलाये जा रहे है। भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ छोटे कारोबारियों को माना जाता है। इनके साथ करोड़ो लोगों का परिवार जुड़ा होता है। एक छोटी दुकान में कुछ लोग काम करते हैं और इसी से उनका परिवार चलता है। आय जितनी भीहो लेकिन वही दुकान उन परिवारों का भी सहारा होता है। ऑनलाइन खरीददारी के समय भले चीजें सस्ती मिलती दिखती हों लेकिन कितने दिनों तक ऐसा चलेगा। मोबाइल कंपनी जियो का उदाहरण सामने है। शुरुआत में वह कितना सस्ता था, फिर समय के साथ साथ उसके साथ प्रतिस्पर्धा में दूसरी मोबाइल सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां बंद होती चली गयीं और आज जियो कितना महंगा हो गया है। ऐसा ही ऑन लाइन आफर के साथ भी है। एमेजन जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी घाटा सहकरभी बाजार में है लेकिन दूसरी भारतीय कंपनियां उसके सामने दम तोडऩे लगी हैं । वे और कितने दिनों तक इसका मुकाबला कर पाएंगी, यह तो समय ही बताएगा। पुस्तकों की ऑन लाइन खरीद बढ गई है और इस कारण कई बुक स्टोर बंद होने लगे हैं। ऐसा कपड़ा एवं दूसरी उपभोक्ता सामग्रियों के साथ भी होगा। बाजार का नियम है कि बड़ी मछली छोटी मछलियों को निगलती जाती हैं। यह ऑनलाइन बाजार में भी देखने को मिलेगा फिर अनाप सनाम दाम में हम चीजें खरीदने पर विवश होंगे। लेकिन अब कारोबारियों को भी समझना होगा कि आखिर ग्राहक ऑनलाइन बाजार की ओर आकर्षित क्यों हो रहे हैं। ऑनलाइन खरीदारी में ठगी की खबरें आने के बाद भी उसका आकर्षण क्यों बढ़ रहा है। दुकानदारों को भी अब ग्राहकों के साथ पेश आने के तरीके में बदलाव लाना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वोकल फार लोकल का आह्वान लगातार कर रहे हैं, छोटे कारोबारियों को बचाने की जिम्मेदारी हम सभी की है।, आखिर बड़ी मछलियां छोटी मछलियों को कब तक खाती रहेंगी?

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