दिवंगत डॉ ईरानी को फैक्ट्री एक्ट में हुई सजा निरस्त, मरणोपरांत बरी

Jamshedpur, 20 April. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश -4 ने टाटा स्टील लिमिटेड के दिवंगत पूर्व प्रबंध निदेशक डॉ जे जे ईरानी को फैक्ट्री एक्ट में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा सुनाई गयी सजा को निरस्त करते हुए उन्हें बरी कर दिया. स्व डॉ ईरानी के देहावसान के कारण उनकी धर्म पत्नी डेज़ी ईरानी ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 394 के तहत अपने को सबस्टिट्यूट कराते हुए उक्त क्रिमिनल अपील आवेदन दायर किया था.
स्व डॉ ईरानी रुसी मोदी के कार्यकाल के बाद टाटा स्टील के एम डी बने थे और टाटा स्टील को स्पर्धा के दौर में नए कांसेप्ट के साथ आज की बुलंदी की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. जियोलोजिस्ट डॉ ईरानी कंपनी को कठिन दौर से निकालने के लिए सदा याद किए जाते हैं. उनके कार्यकाल में फैक्ट्री के अंदर काम के दौरान दुर्घटना में एक मजदूर की मृत्यु हो गयी थी जिस कारण तत्कालीन फैक्ट्री इंस्पेक्टर ने प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा संख्या सी 2-914/2000 दर्ज कराया था. डॉ ईरानी प्रबंध निदेशक के साथ टाटा स्टील के पदेन ओक्यूपायर भी होते थे. इस कारण उन्हें दुर्घटना के लिए अभियुक्त माना गया.इस मुकदमे में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने गत 28 जून,2022 को उन्हें 6 माह के साधारण कारावास और एक लाख रुपयों के जुर्माना की सजा सुनाई.इस सजा के विरुद्ध डेज़ी ईरानी ने क्रिमिनल अपील संख्या 102/2022 में खुद को सबस्टिट्यूट कराया था. इसी अपील में आज सुनवाई के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश -4 ने स्व डॉ ईरानी के विरुद्ध आरोपों को निरस्त करते हुए उन्हें बरी किया और सजा ख़त्म कर दी.
यह मुकदमा और आज आया फैसला टाटा स्टील प्रबंधन के लिए बहुत मायने रखता है, क्योंकि यहाँ प्लांट के अंदर और बाहर सुरक्षा पर काफ़ी सख़्ती रहती है. डॉ ईरानी के कार्यकाल में ही ” वी आल्सो मेक स्टील “का स्लोगन कंपनी का टैग लाइन बनाया गया था. टाटा स्टील प्रबंधन उत्पादन के साथ गुणवत्तापूर्ण मानव जीवन के लिए प्रतिबद्ध होता है.
मुकदमे में टाटा स्टील प्रबंधन की ओर से अवकाश प्राप्त लोक अभियोजक एवं वरीय अधिवक्ता जय प्रकाश एवं उनकी सहयोगी प्रियंका सिंघल ने पैरवी की

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