7 सालों के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचा कच्चा तेल,रहे तैयार विधानसभा चुनाव के बाद कीमतों में होगा बंपर उछाल ?

New delhi 18 jan इंटरनेशनल मार्केट में लगातार कच्चे तेल (Crude Oil Price) की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है. साल 2014 के बाद कच्चे तेल की कीमतें रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई है. कच्चे तेल की कीमतें 87 डॉलर प्रति बैरल के साथ 7 साल के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई हैं. वहीं, घरेलू मार्केट में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार 74 दिनों से कोई बदलाव नहीं देखने को मिल रहा है. आज भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं.

रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचे कच्चे तेल का भाव
ग्लोबल लेवल पर कच्चे तेल के मानक ब्रेंट क्रूड के भाव मंगलवार को 87.7 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए. इसके पीछे बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और आपूर्ति पक्ष से जुड़ी बाधाएं अहम वजह रही हैं. यमन के हूदी विद्रोहियों ने संयुक्त अरब अमीरात में तेल प्रतिष्ठान पर हमला कर आपूर्ति को बाधित किया है. इसके अलावा वैश्विक तेल भंडार भी कम हो रहे हैं.

नहीं बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल के दाम
मार्केट एक्सपर्ट का मानना है कि इस हमले के बाद पश्चिम एशिया के दो पड़ोसी देशों ईरान एवं सऊदी अरब के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है. इससे कच्चे तेल की आपूर्ति आने वाले समय में और बाधित हो सकती है. इंटरनेशनल लेवल पर कच्चे तेल के दामों में पिछले कुछ दिनों से आई तेजी के बावजूद घरेलू स्तर पर पेट्रोल एवं डीजल के दाम नहीं बढ़ रहे हैं. करीब ढाई महीने से पेट्रोल एवं डीजल के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है.

दिल्ली में 95.41 रुपये है पेट्रोल का भाव
दिल्ली में पेट्रोल के दाम 95.41 रुपये प्रति लीटर के भाव पर हैं जबकि डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर के दाम पर बिक रहा है. उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद राज्य सरकार के स्तर पर भी मूल्य वर्धित कर (वैट) कम किए जाने से पेट्रोल एवं डीजल के दाम इस स्तर पर हैं. अक्टूबर के अंत में पेट्रोल 110 रुपये और डीजल 98 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गया था.

कच्चा तेल 82 डॉलर प्रति बैरल
आपको बता दें देश में पेट्रोल एवं डीजल के दाम इतनी ऊंचाई पर थे उस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेंट क्रूड भी 82 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बना हुआ था. हालांकि बाद में उसमें गिरावट आती गई और दिसंबर, 2021 के अंत तक यह 68.87 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक आ गया था. हालांकि, नए साल की शुरुआत होते ही ब्रेंट क्रूड के भाव फिर से बढ़ने लगे और अब यह 87.7 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुके हैं. यह वर्ष 2014 के बाद का इसका उच्चतम स्तर है.

विधानसभा चुनाव की वजह से नहीं बढ़ रहे रेट्स
भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें तय करने का अधिकार सरकार ने पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को दिया हुआ है, लेकिन कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बावजूद तेल कंपनियां घरेलू स्तर पर कीमतें नहीं बढ़ा रही हैं. विश्लेषकों के मुताबिक, देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की वजह से तेल कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की जा रही है.

2017 में भी नहीं बढ़ी थी कीमतें
इसके पहले तेल कंपनियों ने वर्ष 2017 में भी इन पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भी कीमतें नहीं बढ़ाई थीं. पंजाब, गोवा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मणिपुर में जारी चुनाव प्रक्रिया के दौरान 16 जनवरी-1 अप्रैल, 2017 तक तेल कीमतें स्थिर बनी रही थीं. उसके कुछ महीने बाद दिसंबर, 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भी करीब दो सप्ताह तक पेट्रोल एवं डीजल के दाम नहीं बढ़ाए गए थे.

लोकसभा चुनाव में भी नहीं बढ़े थे रेट्स
वर्ष 2019 में अप्रैल-मई के दौरान हुए लोकसभा चुनावों में भी तेल कंपनियों ने दाम नहीं बढ़ाए थे. मतदान का अंतिम चरण संपन्न होते ही पेट्रोल एवं डीजल के भाव फिर से बढ़ने लगे थे. जून, 2017 में दैनिक आधार पर तेलों के भाव संशोधित करने का अधिकार सरकार ने तेल कंपनियों को दे दिया था. उसके बाद से पेट्रोलियम कीमतों में बिना बढ़ोतरी के सर्वाधिक 74 दिन बीतने का यह दूसरा मामला है. इसके पहले 17 मार्च-6 जून, 2020 के बीच 82 दिनों तक कोई मूल्यवृद्धि नहीं हुई थी. जेपी मॉर्गन ने कहा कि पेट्रोल एवं डीजल के खुदरा दाम नवंबर की शुरुआत से ही स्थिर बने हुए हैं. इससे पेट्रोलियम कंपनियों का सकल मार्जिन काफी हद तक सामान्य स्तर तक आ चुका है

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