CGPC : सिख संगत का उत्थान सेंटर नहीं, पहलवानी का बना अखाड़ा : मुखे और बिल्ला समर्थक आमने सामने: भद्दी गालियां , देखें Video

Jamshedpur, 8 April : सिख संगत की गौरवशाली संस्था सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी CGPC आज ऐसा लगता है पहलवानों का अखाड़ा बन गयी है। सिख समाज अपने जुझारू और लड़ाकू स्वभाव का आपज में ही प्रदर्शन कर रहा है जबकि देश मे पूरे सिख समाज का मनोबल तोड़ने के लिए तरह तरह के कुचक्र हो रहे हैं। 84 के दंगो से बड़ा दर्द मीठे जहर की तरह किसान आंदोलन में उसे औकात दिखाने की हो रही कोशिशों के रूप में पूरी दुनिया देख रही है। लेकिन जमशेदपुर का सिख समाज गुटबाज़ी और को बड़ छोट कहत अपराधू की तरह एक दूसरे की पोल खोलने में लगा हुआ है।
आज फिर CGPC कार्यालय मुखे समर्थक और विरोधियों का अखाड़ा बनते बनते बचा जब सीजीपीसी के प्रधान गुरमुख सिंह मुखे के विरोध में सीजीपीसी कार्यालय में सिख प्रतिनिधि बोर्ड के अध्यक्ष गुरु चरण सिंह बिल्ला के समर्थक धरना देने पहुंचे। प्रधान विरोधी समूह को गुरमुख सिंह मुखे का 13 माह बिल्ला पर फायरिंग के मामले में जेल में रह कर जमानत पर छूटने के बाद पुनः प्रधान की कुर्सी पर काबिज होना नागवार गुजर रहा है जिसको लेकर मुखे के विरोध में बिल्ला एवम उनके समर्थकों ने कमान संभाल ली है । आज कार्यालय में मुखे मौजूद थे। विरोधी जैसे ही पहुंचे पुलिस को सूचना दी गयी। पुलिस आयी और धरना नही होने दिया। मुखे का कहना है उन्हें अपराधी बताने वाले खुद आपराधिक इतिहासों से भरे हुए हैं। मुखे ने आज की घटना को लेकर साकची थाना में एक शिकायत दर्ज कराई जिसमे गोलमुरी के खत्री समेत कई दबंग व्यक्तियों का नाम बताते हुए कहा कि ये लीग CGPC कार्यालय आये और उन्हें आफिस खाली करने को बोलने लगे। यहां काफी गली गलौज हुई।

मालूम हो विगत दिनों तख्त श्री पटना साहिब के उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ,गुरुचरण सिंह बिल्ला और उनके समर्थकों के द्वारा सीजीपीसी कार्यालय में विरोध जताया गया था और मुखे के खिलाफ नारेबाजी की गई थी । इस संबंध में एक ज्ञापन सिटी एसपी को भी दिया गया था ।पुलिस प्रशासन द्वारा किसी तरह की कार्रवाई न किए जाने से आक्रोशित बिल्ला खेमा के द्वारा धरना देने की तैयारी की गयी थी।समय रहते समाज के प्रबुद्ध लोगों ने इस ज्वलंत मुद्दे पर पटाक्षेप नहीं कराया गया तो आने वाले दिनों में सिख समाज की छवि और धूमिल होगी। मामला हिंसक रूप भी ले सकता है ।
प्रधान पद को लेकर गाहे-बेगाहे इस तरह की हरकतें समय-समय पर हो रही है परंतु CGPC का असली काम जो समाज में दबे कुचले गरीब गुरबा और संस्कृति की रक्षा और उसे प्रतिष्ठित करने का है उस दिशा में कोई काम नही हो रहा। समाज में कई ऐसे काम लंबित पड़े हुए हैं जिसके उत्थान के लिए किसी भी प्रबंधक कमेटी के द्वारा या प्रबुद्ध लोगों के द्वारा पहल नहीं की गई । समाज की स्थिति कैसे सुधरेगी और समाज में जो कमियां हैं उसे कैसे दूर किया जाए , इस ओरे कभी चर्चा सुनाई नही देती।आलम यह है कि आज भी कई गरीबी स्तर से नीचे जी रहे हैं कई के पास अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए फीस तक नहीं है ।कई गरीब बच्चियों का विवाह नहीं हो पाता है ।कई आर्थिक स्थिति से कमजोर है ।गरीबों का इलाज नहीं हो पाता ।सिख समाज का अपना कोई शिक्षण संस्थान नहीं है जहां पर उनके बच्चों को मूलभूत सुविधा मिल पाए ।इन मुद्दों को छोड़कर प्रधान की कुर्सी पर काबिज होने के लिए येन केन प्रकरण कुर्सी हासिल करने का लक्ष्य रहता है और हासिल भी कर लेते हैं। आज जिन लोगों के द्वारा ऐसे लोगों का विरोध किया जा रहा है उनके भी गिरेबा बेदाग नहीं है। कहीं ना कहीं समाज में ऐसे लोगों का प्रभुत्व स्थापित हो गया है जो अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए समाज को आगे रखकर अपना स्वार्थ पूरा करने में लगे हुए हैं। आम सिख समाज को ऐसे तत्वों से कोई लेना देना नहीं है। वे चाहते हैं कि बिना किसी बाधा के साफ-सुथरे स्तर पर समाज की सेवा हो और जरूरत मंद लोगों की मदद हो ।सिख समाज के जुड़ी समस्याओं का निदान सीजीपीसी के बैनर तले होना चाहिए । स्थानीय कमेटियों में भी कहीं ना कहीं समाज हित को लेकर कमियां देखने में नजर आती हैं ।अपने अपने खेमे के व्यक्ति को प्रधान की कुर्सी पर काबिज करने के लिए जोड़-तोड़ की राजनीति का नतीजा है कि आज समाज में निरंतर गिरावट चली आ रही है और इसका लाभ कहीं ना कहीं किसी ना किसी खास वर्ग को मिलता दिखता है । ऊपर से लेकर नीचे तक स्वार्थ हित में समाज को आग में झोंका जा रहा है ।समय रहते इस पर विचार नहीं किया गया तब समाज की स्थिति राजनीतिक दल की तरह होने से कोई नहीं रोक सकता है । स्वार्थ सिद्धि की हद यह है कि समितियों के हिसाब किताब में भी साफ-सुथरी स्थिति देखने को नहीं मिलती जिसका खामियाजा समाज के लोग भोगते हैं और इसको लेकर गुरुद्वारे के अंदर खूनी संघर्ष ,मारपीट की नौबत तक आ जाती है ।कई बार ऐसी घटनाएं शहर में हो चुकी है ।ऐसी बातों को रोकने के लिए समाज के प्रबुद्ध और जिम्मेदार लोगों के द्वारा आज तक किसी तरह की पहल नहीं की गई है। न तो समाज एकता के हित में सोचा जाता है और न ही विवादों को खत्म करने के लिए सभी को एक मंच पर लाने के लिए प्रयास किया जा रहा है ।
उल्लेखनीय है एक और अभी पूरे शहर में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों द्वारा खालसा पंथ का सृजन दिवस बैसाखी पर्व मनाने की तैयारी चल रही है वहीं दूसरी ओर इस तरह की हिंसक कवायद चल रही। CGPC समाज में नकारात्मक चर्चा का विषय बना हुआ है।

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