मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम ए के श्रीवास्तव का पत्र ,दिए अहम सलाह

माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी

झारखंड आदिवासी बहुल्य राज्य है | बिहार से बटवारा करने के बाद अलग प्रदेश घोषित करने के पीछे संभवत भारत सरकार की यही मंशा होगी कि खान, खनिज, वन से भरपूर झारखंड राज्य का जितना विकास होना चाहिए उतना विकास नहीं हुआ है, उस समय से लेकर अभी तक भी आदिवासियों के सर्वांगीण विकास में आशा के अनुसार प्रगति नहीं हुई है |
आपके नेतृत्व में राज्य सरकार बहुत सराहनीय कार्य कर रही है मुझे आपको एक विषय पर अपनी सलाह देनी है:-

1.झारखंड वन संपदा से परिपूर्ण राज्य है, यहां के वनों में बहुत से वनस्पति अवधीय, फल-फूल और वनस्पति पदार्थ ज्यादा मात्रा में उपलब्ध है | इधर पता चला है कि आदिवासी लोगों को जंगल से सूखी लकड़ी और उनके क्षेत्र में जो पदार्थ आमला, कटहल, शरीफा, पपीता इत्यादि जो फल फूल है उसको निशुल्क उपयोग करने का वहां के आदिवासी समूह को सरकार ने छूट दी है |

2.मेरा अपना अनुभव है कि सिर्फ छूट देने से ही कच्चा पक्का फल को तोड़कर उपयोग या बेचने से ही उनके आर्थिक व्यवस्था ठीक नहीं हो सकती है, वह जो पेड़ है उसका रखरखाव उसमें पानी खाद्य देना और यह प्रचार करना कि इससे जो पदार्थ उपलब्ध है उसका दोहन कर उसके उपयोग में परिवर्तन कर ज्यादा अर्थव्यवस्था में सुधार हो सकता है इसपर आदिवासी सोसाइटी बनाकर, उपलब्ध पदार्थों का उपयोग के लिए उसमें प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा दिया जाए | कोरोना के समय दूसरे प्रदेशों से पलायन हो रहा था उसपर मैंने एक लेख लिखकर सरकार का ध्यान आकर्षित किया था और तत्कालीन उपायुक्त, पश्चिमी सिंहभूम इसमें कुछ प्रयास भी किया था और सराहनीय प्रयास किया था लेकिन उसका क्या आजकल स्वरूप है पता नहीं |

3.बिहार में दरभंगा की पेंटिंग बहुत मशहूर है जब ललित नारायण मिश्रा जी भारत के मंत्री थे तो उन्होंने मिथिला पेंटिंग को बहुत प्रोत्साहित किया और विदेशों में भी इसका काफी प्रचार प्रसार हुआ | झारखंड के आदिवासी जनता प्रकृति प्रेम करती है, प्रकृति के नजदीक रहती है, प्रकृति का उपयोग करती है और आपको यह पता भी होगा की कोरोना काल में सब सुविधा नहीं रहने पर भी गांव में प्रकृति के नजदीक रहने से गांव में रहने वाले लोगों को कोरोना कम हुआ |

4.यहां झारखंड में सोहराई पेंटिंग करते हैं, यहां अगर गांव में जाइए मिट्टी के दीवार में पेंटिंग कर जो प्रकृति से संबंधित औरतें फोटो बनाकर उसमें पेंट करती है वह बहुत सराहनीय है | यहां का मछिया, यहां का खटोला अपने आप में स्वास्थ्यकर है | मेरा अनुरोध होगा आप इसपर विशेष ध्यान देकर कम से कम मेन रोड में हाईवे में वैसा पेंटिंग का प्रचार और प्रसार हो जिससे कि गांव के लोग जो इस चरण में लगे हुए हैं उनको कुछ आर्थिक लाभ भी हो और आदिवासी बहुल्य का झारखंड प्रदेश का प्रकृति से क्या लगाव है और प्रकृति से हम क्या लाभ उठा सकते हैं, कैसे हमारी अर्थव्यवस्था में सुधार होगा |इसकी जानकारी होगी पलाश के पेड़ पर जब फूल लगता है ऐसी छटा, ऐसी खूबसूरती बहुत कम जगह मिलती है |

5.जब झारखंड राज्य की स्थापना हुई थी कई लाख पेड़-पौधे लगे और अब कहीं दिखाई भी नहीं पड़ते हैं | सरकारी खर्चे से पेड़ पौधा लगा लेकिन उसका रखरखाव नहीं हुआ | मेरा आपसे अनुरोध है हाईवे जिस गांव से गुजरती है उस गांव के लोगों को एक पेड़ लगाने का जो मामूली खर्च है और पौधा है उनको प्रदान किया जाए इस लिखित आदेश के अनुसार कि वह उसका देखभाल स्वयं करेंगे और उनके परिवार के ऐसे व्यक्ति जिसका समाज में योगदान हो उन्हीं के नाम से पेड़ लगेगा तो उसको रखरखाव करने में काफी दिलचस्पी होगी | पीपल का, बबूल का ,बड़ का पेड़, नीम का पेड़ लगना चाहिए | मैं लखनऊ से अयोध्या गया था और सड़क के दोनों किनारे वैसे ही पेड़ लगे हुए थे वह वातावरण को भी ठीक रखता है | ऑक्सीजन मिलता है और आदमी प्रकृति से लगाव रखता है |

बहुत सी बातें हैं, बहुत सा सुझाव है मैं पत्र के माध्यम से आपको नहीं लिख सकता लेकिन मैं चाहूंगा अगर आप इजाजत दें अपना सुविधानुसार समय दें तो इसपर हम आप से चर्चा कर सकते हैं |

7 नवंबर 2022 को आप जमशेदपुर पधार रहे हैं अति कृपा होगी कि जमशेदपुर सिटीजन फोरम की एक प्रतिनिधिमंडल को 10-15 मिनट का समय दें | हम आपका आदर करेंगे और आप जो झारखंड के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं विशेषकर आदिवासी क्षेत्र में उसके लिए हम आपके कृतज्ञ हैं |
सादर
ए के श्रीवास्तव

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