छठ महापर्व नहाय-खाय के साथ हुआ शुरू , खरना कल

 

: सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व कार्तिक छठ आज से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। लोक आस्था के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत शनिवार को नहाय-खाय के साथ हो गई है। छठ के पहले दिन व्रती नर-नारियों ने अंतःकरण की शुद्धि के लिए नहाय-खाय के संकल्प के तहत नदियों-तालाबों के निर्मल एवं स्वच्छ जल में स्नान करने के बाद अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू किया। सुबह से ही गंगा नदी, तालाब, पोखर में व्रती स्नान करती हैं।

छठ महापर्व का दूसरा दिन, जिसे लोहंडा और खरना के नाम से जाना जाता है। रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को सूर्योस्त के समय भगवान सूर्य की पूजा करने के बाद दूध और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद ग्रहण कर अपना उपवास तोड़ेंगी। ब्रह्म मुहूर्त 4 बजकर 47 मिनट से लेकर 5 बजकर 38 मिनट तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त दिन 11 बजकर 42 से लेकर 12 बजकर 27 तक है। जबकि गोधूलि मुहूर्त शाम 5 बजकर 41 मिनट से लेकर 6 बजकर 6 मिनट तक है।
36 घंटे व्रत रहती हैं महिलाएं

छठ पूजा में महिलाएं 36 घंटे तक व्रत रहती हैं। परिवार की सुख-समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किए जाने वाले इस व्रत की एक खासियत यह भी है कि इस पर्व को करने के लिए किसी पुरोहित (पंडित) की आवश्यकता नहीं होती है। महापर्व छठ के दूसरे दिन महिला एवं पुरुष व्रती कल एक बार फिर नदियों, तालाबों में स्नान करने के बाद अपना उपवास शुरू करेंगे। दिनभर के निर्जला उपवास के बाद व्रती सूर्यास्त होने पर भगवान सूर्य की पूजा कर एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाएंगे। इसके बाद जब तक चांद नजर आएगा तभी तक वह जल ग्रहण कर सकेंगे और उसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निराहार-निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा।

इस महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदियों और तालाबों में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित करेंगे। व्रतधारी अस्त हो रहे सूर्य को फल और कंद मूल से अर्घ्य अर्पित करते हैं। पर्व के चौथे और अंतिम दिन नदियों और तालाबों में उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया जाएगा। दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का करीब 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होता है और वे अन्न-जल ग्रहण करते हैं।

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