बाबूलाल मरांडी की टिप्पणी पर सरयू राय के सवाल – धनबाद :समय ने लिया सबका हिसाब, इस बार भी वही देगा जवाब

: विधायक सरयू राय ने आज भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को उनकी पार्टी के धनबाद संसदीय क्षेत्र के उम्मीदवार ढुल्लु महतो को लेकर कल कही गयी बातों पर विस्तार से जवाब दिया. सरयू राय ने तथ्यों और घटनाओं का उल्लेख करते हुए साबित किया कि उक्त प्रत्याशी सजायफ्ता हैं, दागी हैं, ई डी की जाँच के दायरे में हैं और उसके द्वारा दर्ज ई सी आई आर में अभियुक्त भी हैं लेकिन उनका पक्ष लेते हुए श्री मरांडी ने टिप्पणी कर दी कि सरयू राय जज नहीं हैं. श्री राय ने कहा मानता हूँ मैं जज नहीं हूँ लेकिन उक्त प्रत्याशी के विरुद्ध विभिन्न अदालतों ने जो फैसले दिए वे सभी फैसले सुनाने वाले व्यक्ति तो जज ही हैं. धनबाद जिले में उनके प्रत्याशी पर कुल 50 मुकदमे दर्ज हैं जिनमे तीन में एक -एक साल और एक में डेढ साल की सजा सुनाई गयी. इस प्रकार कुल मिलाकर अभी तक उन्हें साढ़े चार साल की सजा हुई. सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश को सामने रखते हुए श्री राय ने दावा किया कि जन प्रतिनिधि कानून के तहत उनके प्रत्याशी चुनाव लडऩे से अयोग्य हैं क्योंकि कुल सजा दो साल से ज्यादा है. उच्च न्यायालय द्वारा उक्त प्रत्याशी के विरुद्ध दायर एक पी आई एल में दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए श्री राय ने कहा कि बी सी सी एल के एरिया 5 बाघमारा क्षेत्र में वह प्रत्याशी प्रति टन कोयले के उठाव पर 1200 से 2000 रूपये रंगदारी वसूलता है जिस पर कारवाई करने के लिए उच्च न्यायालय ने ई डी को निर्देशित किया. तब ई डी ने उसके विरुद्ध ई सी आई आर दर्ज कर जाँच शुरू की. श्री राय ने पूछा बाबूलाल भी जज नहीं है लेकिन हेमंत सोरेन के भ्रष्टाचार और ई डी की कारवाई पर हमेशा जजमेंट पास करते है तो कम से कम ई डी द्वारा दर्ज इस ई सी आई आर पर हो रही कारवाई पर कुछ बताते.
श्री राय ने प्रिंस खान के आतंक और उनके प्रत्याशी के आतंक की इस बिंदु पर समानता की कि दोनों ने विरोध करने पर फोन कर धमकी दी जिनका ऑडियो वायरल हुआ है और दोनों की धमकियों के स्क्रिप्ट ( कथन ) में समानता है. श्री राय ने कहा प्रदेश अध्यक्ष यह भी बता दें कि क्या उन्होंने धनबाद में कोई वध ब्रिगेड बनाया है जो प्रिंस खान तो प्रिंस खान खुद उनके प्रत्याशी ने जिला में संगठन की बैठक में कहा कि जो कोई उसका विरोध करेगा उसका वध कर देगा.
दरअसल धनबाद की यह सचाई है कि यह जिला अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, ब्रजेश सिंह या शहबुद्दीन के नक्शे कदम पर चलने वालों से त्रस्त जिला रहा है. माफिया उन्मूलन के लिए यहाँ तत्कालीन सरकारों को बहुत कुछ करना पड़ा, फिर प्रकृति ने बहुत मदद की जो वैसे लोग साफ होते गए. औद्योगिक क्षेत्र होने के चलते यहाँ लोग शांति और अमन पसंद हैं. खुद भाजपा को यहाँ पांव जमाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. भाजपा के पहले जनसंघ को दिया जलाने के लिए कैलाश पति मिश्रा, अटल विहारी वाजपेयी और आडवाणी और स्वयं बाबूलाल तक को झोंकना प़डा. स्व आई पी एस रणधीर वर्मा आतंकियों की गोलियों का शिकार हुए और तब उपजी सहानुभूति की लहर में पहली बार भाजपा ने यह संसदीय सीट पायी. स्व वर्मा की धर्म पत्नी श्रीमती रीता वर्मा को भाजपा प्रत्याशी के रूप में मतदाताओं ने हाथों हाथ उठाया. पी एन सिंह का तीन बार का संसदीय कार्यकाल भी आदर्श भरा रहा. ऐसे रंगदारी पीडि़त धनबाद जिले के माथे पर, जबकि भाजपा के संगठन में स्वच्छ छवि के समर्पित कार्यकर्ताओं का अभाव नहीं था, जबरन विवादित और सजायाफ्ता व्यक्ति को बैठाने की कोशिश को जनता कितना स्वीकार करती है, यह समय बताएगा. भाजपा यह कैसे अनदेखी कर गयी कि धनबाद में उसके सामने दूसरे दल की दूर दूर तक अभी कोई पहचान नहीं बची थी,फिर सीट निकालने के लिए उम्मीदवार चयन के धनबाद पैटर्न ने आम लोगों को बुरी तरह भ्रम में डाल दिया. लोग समझ नहीं पा रहे कि पार्टी को किस दबाव में या प्रभाव में आना पड़ गया या किस गणना के आधार पर एक श्योरशॉट सीट पर माफिया को उतारना पड़़ा। चुनावी रणनीति में आम तौर पर देखा जाता है कि हर हाल में सीट निकालने के लिये ही कोई पार्टी इस तरह के किसी दबंग को टिकट देती है। लेकिन धनबाद तो ऐसा नहीं, बल्कि भाजपा का ही था।

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