साल 2014 में क्रूड आयल 108 डालर प्रति बैरल तो 71 के भाव बिक रहा था पेट्रोल आज क्रूड आयल 61 डालर प्रति बैरल तो पेट्रोल सेंचुरी के करीब

मनमोहन सरकार और मोदी सरकार, जानें पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर तब और अब की स्थिति

नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. राजधानी दिल्ली में पेट्रोल के दाम 90 रुपये प्रति लीटर को छूने वाले हैं तो वहीं डीजल में 80 के आंकड़े तक पहुंच ही गया है. विपक्ष इसको लेकर सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया कि ‘मोदी सरकार ने ठाना है, जनता को लूटते जाना है..बस च्दोज् का विकास कराना है.’
कांग्रेस ने सोमवार को दावा किया कि यूपीए सरकार के दौरान कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा थी, लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों को नियंत्रित रखा गया था. अब पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें आसमान छू रही हैं. इस सरकार के कुप्रबंधन के कारण देश को महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है.
मनमोहन सरकार के समय क्या थी कीमत?
अप्रैल 2014 में मनमोहन सरकार में क्रूड ऑयल 108 डॉलर प्रति बैरल था. तब पेट्रोल 71.51 रुपये प्रति लीटर और डीजल 57.28 रुपये प्रति लीटर था. आज फरवरी 2021 मोदी सरकार में क्रूड ऑयल की कीमत 61 डॉलर प्रति बैरल है. इस समय दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 89.29 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 79.70 रुपये प्रति लीटर है.
मोदी सरकार के 6 सालों में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी को कुल 12 बार बढ़ाया जा चुका है, जबकि घटाया सिर्फ 2 बार गया है. पहली बार सरकार ने अक्टूबर 2017 में एक्साइज ड्यूटी 2 रुपये घटाई थी. दूसरी बार अक्टूबर 2018 में 2 रुपये एक्साइज ड्यूटी घटाई गई थी.
मगर इसके अलावा सरकार ने हर बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई ही है. माई 2020 में एक साथ पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी. जिससे केंद्र को जाने वाले एक्साइज ड्यूटी 32.98 और डीजल पर 31.83 हो गई.
पेट्रोल-डीजल की महंगाई के लिए कुल मिलाकर केंद्र सरकार की तरफ से लगाई जा रही एक्साइज ड्यूटी कटघरे में है. ये बात सच है कि जितनी एक्साइज ड्यूटी केंद्र सरकार अब लगा रही है,उतनी कभी किसी कार्यकाल में नहीं लगाई गई थी. यूपीए सरकार में डीजल पर वैट 3 रुपये 56 पैसे थे, जो अब करीब 32 रुपये है.
सवाल ये भी उठता है कि राज्य सरकारें भी पेट्रोल-डीजल पर खूब कमाई कर रही हैं. जब भी पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ते हैं तो विपक्ष में बैठी पार्टियां विरोध करती हैं. कांग्रेस भी सडक़ों पर आजकल विरोध में जुटी है. शिवसेना भी लगातार बढ़ते दामों का विरोध कर रही है.
लेकिन विपक्ष के विरोध के इस तरीके के बीच एक सवाल कई बार ये भी उठता है कि जिन राज्यों में इनकी सरकारें होती हैं, वहां ये वैट कम कर जनता को राहत क्यों नहीं देते? क्योंकि केंद्र तेल के ेखेल में खूब कमा रहा है तो राज्यों की भी भागेदारी कम नहीं है.

पेट्रोल पर कौन राज्य कितना वैट लगा रहा है?
महाराष्ट्र- पेट्रोल पर 26 फीसदी वैट और 10.12 पैसे एडिशनल टैक्स लगाया जाता है.
मध्य प्रदेश- पेट्रोल पर 33 फीसदी वैट और 4.50 रुपये एक्स्ट्रा टैक्स के साथ 1 फीसदी सेस भी लगाया जाता है.
राजस्थान- पेट्रोल पर 36 फीसदी वैट और 1.50 रुपया रोड डेवलपमेंट टैक्स लगाया जा रहा है.
दिल्ली- केजरीवाल सरकार पेट्रोल पर 30 फीसदी वैट लगा रही है.
उत्तर प्रदेश- 26.80 फीसदी वैट पेट्रोल पर लगाया गया है.
जब-जब पेट्रोल-डीजल की महंगाई बढ़ती है, तब-तब राज्य सरकार केंद्र की तरफ एक्साइज ड्यूटि कम करने के लिए ताकने लगते हैं तो केंद्र सरकार राज्य को वैट कम करने के लिए कहने लगती है. 2017 में तेल का दाम घटाने के लिए वित्त मंत्री ने राज्यों को वैट घटाने की चिट्टी लिखी और ये जानकारी खुद पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान दी. लेकिन केंद्रीय आलाकमान के निर्देश के बाद भी बीजेपी शासित दर्जन भर से ज्यादा राज्यों ने वैट बिल्कुल नहीं घटाया, उस वक्त सिर्फ महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश ने वैट घटाया था.

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