झारखंड का खजाना खाली, बंद होंगी गैर जरूरी योजनाएं, जारी होगा श्वेत पत्र

रांची : राज्य सरकार का खजाना खाली है़ राज्य की गैर जरूरी योजनाएं बंद हो सकती हैं. वित्तीय स्थिति को देखते हुए बड़ी योजनाओं को तत्काल स्थगित करने का निर्देश जल्द ही सरकार दे सकती है. योजनाओं का अध्ययन किया जायेगा कि राज्य में किसकी कितनी जरूरत है. राज्य में पिछली सरकार द्वारा किये गये कार्यों के कारण वर्तमान में बनी वित्तीय स्थिति को लेकर सरकार श्वेत पत्र जारी करेगी़

राज्य की स्थिति को लेकर मंगलवार को वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव और ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की और राज्य की वित्तीय स्थिति पर चर्चा की. वहीं बजट की तैयारी पर मंथन हुआ़ वर्तमान हालात में जन कल्याणकारी योजनाएं किस तरह चलायी जायें, इस पर मुख्यमंत्री के साथ विचार-विमर्श किया गया़ योजनाओं की विसंगतियों का मामला भी उठा.
वित्तीय स्थिति देखते हुए बजट राशि 85429 करोड़ से घटाकर 81345 करोड़ का कर दिया गया.

कहा गया कि पूर्व में जिस योजना को एक विभाग 13 सौ रुपये में कर रहा था, उसी योजना को दूसरा विभाग 13 हजार रुपये में कर रहा था.

मंत्रियों ने कहा कि ऐसी व्यवस्था अब नहीं चलेगी़

बजट की राशि घटायी गयी

पिछली सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 85429 करोड़ का बजट पेश किया था. वित्तीय स्थिति देखते हुए इसे घटाकर 81345 करोड़ का कर दिया गया. दिसंबर 2019 तक राज्य में लक्ष्य के मुकाबले 43555.93 करोड़ रुपये राजस्व मिला है, जो लक्ष्य का 53.54 प्रतिशत है.

मुख्यमंत्री से मिले वित्त मंत्री व ग्रामीण विकास मंत्री, बजट की तैयारी पर चर्चा

बैठक में उठा मामला

एक विभाग जिस योजना को 1300 रुपये में कर रहा है दूसरा उसी को 13 हजार रुपये में करता है, ऐसी व्यवस्था पर विचार करने का निर्णय

पूर्व की सरकार ने बेवजह खर्च किया : रामेश्वर

झारखंड में वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है. पूर्व की सरकार ने बेवजह खर्च किया, जिसके कारण यह स्थिति आ गयी है. सभी योजनाओं का अध्ययन किया जा रहा है. अधिकारियों से बात की जा रही है. बजट सत्र में पूर्व की सरकार द्वारा किये गये कार्यों पर श्वेत पत्र लाया जायेगा.सरकार इस बात का अध्ययन करा रही है कि क्या होना चाहिए था और क्या हुआ. जिसके कारण यह स्थिति बनी. इस पर ही श्वेत पत्र जारी होगा.

गैर जरूरी योजनाओं को बंद करने पर होगा विचार

विधानसभा सत्र से पहले योजनाओं को लेकर सचिवों के साथ समीक्षा की जायेगी. इसमें तय किया जायेगा कि किन योजनाओं को चालू रखा जाये. वैसी योजनाएं जिसका अता-पता नहीं है? किसके पास पैसा जा रहा है और कौन मॉनिटरिंग कर रहा है? इसकी जानकारी ली जायेगी. गैर जरूरी योजनाओं को बंद करने पर विचार किया जायेगा. जिन योजनाओं का टेंडर हुआ है, उसका पैसा कहां से आयेगा, इसकी समीक्षा बजट सत्र से पहले की जायेगी.

सारे टेंडर रद्द, सारा काम भी ठप, नयी योजनाएं चालू नहीं करने का है आदेश

सड़क व पुल की योजनाअों पर रोक लगा दी गयी है. सरकार ने वर्ष 2018 के एसओआर पर चालू योजनाअों में भी रोक लगा दी है. पूर्व से चल रही योजनाएं भी पैसे के अभाव में बंद हैं. मजदूर पलायन को बाध्य हैं. ठेकेदारों की देनदारियां बढ़ी हुई हैं. जिन योजनाअों का कार्यादेश मिल चुका है. उसे भी काम करने से रोका गया है. जितने भी टेंडर जारी किये गये थे, उन्हें रद्द कर दिया गया है.

इतना ही नहीं, जिन टेंडर का निबटारा हो गया है, उसे भी रद्द करने का आदेश है. सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अभी कोई भी काम नहीं होगा. वहीं ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा संचालित ग्रामीण सड़कों का टेंडर भी रद्द कर दिया गया है.1500 करोड़ का सचिवालय भवन का टेंडर रद्द पैसे की कमी को देखते हुए राज्य सरकार ने 1500 करोड़ की लागत से बननेवाले नये सचिवालय भवन का टेंडर रद्द कर दिया है. मुख्य सचिव ने कहा है कि फिलहाल बड़ी योजनाओं को नहीं लिया जाये. बजट के बाद ही बड़ी योजनाओं पर फैसला लिया जायेगा.

खर्च के कारण बोर्ड और निगम का गठन भी टला

मंत्री ने कहा कि बोर्ड निगमों की सूची सरकार ने मंगायी है. वित्तीय स्थिति के अनुसार ही बोर्ड-निगमों में नियुक्ति की जायेगी. नियुक्ति होने पर खर्च का बोझ बढ़ेगा. वित्तीय स्थिति बेहतर करने में सरकार लगी है. जैसे ही स्थिति सुधरेगी बोर्ड-निगमों का गठन होगा.

… विशेष बातचीत में बोले चेयरमैन- कोल इंडिया मुख्यालय झारखंड लाने से राज्य को फायदा नहीं, राजनीतिक कारणों से होती है मांग ।

Share this News...