रांची उच्च न्यायालय ने आज एक आदेश में उस नीलामी को रद्द कर दिया जिसमें मात्र 88 लाख रुपये में करोड़ों की भूमि नीलाम कर दी थी.

जमशेदपुर, 29 अगस्त (रिपोर्टर): रांची उच्च न्यायालय की माननीय खंडपीठ ने आज एक आदेश में भारतीय स्टेट बैंक की उस नीलामी को रद्द कर दिया जिसमें बैंक द्वारा आदित्यपुर- कांड्रा रोड किनारे धीराजगंज स्थित इंद्रप्रस्थ कॉलोनी (रामेश्वरम)के प्रोमोटर को मात्र 88 लाख रुपये में करोड़ों की भूमि नीलाम कर दी थी.  कहा जाता है कि इस नीलामी से स्टेट बैंक द्वारा नीलामी के खरीदार के हित में बहुत बड़ी चूक की गई थी जिससे उसे लाभ हुआ था. उच्च न्यायालय ने बैंक को भूमि का निर्माण सहित अद्यतन बाजार भाव पर मूल्यांकन करते हुए नए सिरे से नीलामी प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है.
विदित हो कि प्लाट नंबर 344, खाता नंबर 112, थाना नंबर 126, आदित्यपुर वार्ड नंबर 4 स्थित 8.5 कट्ठा यह भूखंड पाटो बिल्डर्स एवं मुकेश भगत का था. स्टेट बैंक में यह भूखंड मार्गेज था जिसे लोन बकाया और विवाद में स्टेट बैंक ने इंद्रप्रस्थ कॉलोनी के प्रमोटर धीरेन्द्र प्रसाद को मात्र 88 लाख रुपये में नीलाम कर दिया था जबकि आज उस भूखंड का वास्तविक मूल्य बहुत अधिक है.
‘रामेश्वरम ने पाटो बिल्डर्स एवं मुकेश भकत के साथ एक समझौते के आधार पर उनकी जमीन पर इंद्रप्रस्थ कॉलोनी को खड़ा किया जबकि यह भूखंड पहले से पाटो बिल्डर्स द्वारा स्टेट बैंक में मार्गेज की हुई थी. पाटो बिल्डर्स के साथ लोन बकाया का विवाद होने पर स्टेट बैंक ने उसे नीलाम करने की नोटिस दी जिसके बाद ‘रामेश्वरम के धीरेन्द्र प्रसाद ने अवसर का लाभ उठाते हुए पाटो बिल्डर्स के उक्त भूखंड को अपने नाम नीलामी में खरीद लेने की कोशिश की. वैसे नीलामी में तय राशि निर्धारित समय सीमा के भीतर ‘रामेश्वरम द्वारा बैंक को चुकाई भी नहीं गई थी जिस कारण स्टेट बैंक ने यह बिक्री रद्द कर दी थी और जमानत की 25 प्रतिशत राशि को जब्त भी कर लिया था. ‘रामेश्वरम स्टेट बैंक द्वारा नीलामी रद्द करने पर उच्च न्यायालय में रिट याचिका एलपीए 243/2018 लेकर आया था जिस पर उल्टे वह औंधे मुंह गिरा और स्टेट बैंक को भी नीलामी में निर्माण सहित जमीन का नया मूल्यांकन करते हुए कीमत निर्धारित करने का गाइडलाइन मिला.
पूर्व में बैंक ने सिर्फ भूखंड का मूल्यांकन कराया था जबकि उस पर कई फ्लैट बने हुए हैें. इन फ्लैटों को लेकर जमीन का मूल्यांकन कथित रूप से एक सुविचारित योजना के तहत नहीं कराया गया था. हालांकि नीलामी के खरीदकर्ता धीरेन्द्र प्रसाद ने 88 लाख रुपये की कीमत भी तय सीमा में नहीं दी जिसे अदालत ने सर्फेसी अधिनियम की संबद्ध धाराओं का उल्लंघन माना और पूरे नीलामी प्रक्रिया को रद्द कर दिया. अब वर्तमान भूखंड पर निर्माण सहित मूल्यांकन के आधार पर नीलामी की जाएगी. इस मामले में पोटो बिल्डर्स की ओर से ए के राशिदी अधिवक्ता थे जबकि एसबीआई की ओर से पी ए एस पति और खरीदार धीरेन्द्र प्रसाद की ओर से नीतिन पसारी अधिवक्ता थे. उल्लेखनीय है कि बैंक मामलों में अधिवक्ता ए के राशिदी को महारत हासिल है और हाल ही आयडा क्षेत्र के उद्योग ‘रामेश्वरम बनाम एक्सिस बैंक में भी वही अधिवक्ता थे.

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