दो करोड़ का राजस्व और 150 को रोजगार देने वाला पार्किंग कारोबार संकट में अतिक्रमण के कारण पार्किंग क्षेत्र सिकुड़ा, कोई सुनने को तैयार नहीं, हर दिन नये नियम बनने से होरही है भ्रम की स्थिति

जमशेदपुर :23 जनवरी संवाददाता लगभग दो करोड़ का सालाना राजस्व और करीब 150 युवाओं को रोजगार देनेवाला जमशेदपुर का पार्किंग कारोबार इनदिनों विवादों में है. लगातार बढ़ रहे प्रशासनिक एवं अन्य दबावों के बाद अब हालत यह हो गयी है कि शहर के छह अलग-अलग जोन में बंटे पार्किंग ठेकेदारों ने प्रशासन को लिखित दे दिया है कि वर्तमान हालात में वे पार्किंग करने की स्थिति में नहीं है. इसलिये उन्होंने अपना पार्किंग सरेंडर करने की पेशकश जमशेदपुर अक्षेस के विशेष पदाधिकारी के समक्ष कर दी है. पार्किंग ठेकेदारों का कहना है कि जब उन्हें टेंडर दिया गया था तो उस समय जो शर्तें थीं, उनमें इतना रद्दोबदल किया जाता रहा है कि उनके लिये अब आगे काम कर पाना संभव नहीं है. पार्किंग ठेकेदारों का कहना है कि अतिक्रमण एवं ठेला-दुकान आदि लगाये जाने के कारण उनका पार्किंग एरिया काफी कम हो गया है. वे अपना पार्किंग एरिया अतिक्रमण मुक्त करने की गुहार पुलिस प्रशासन के समक्ष अनगिनत बार लगाते रहे हैं, मगर उनकी सुननेवाला कोई नहीं है.
उनकी मांग है कि जब उनकी निविदा शर्तों पर ढुलमूल रवैया अपनाया जा रहा है तो उनके राजस्व को संशोधित किया जाए. उपर से प्रशासन द्वारा वाहनों की चोरी की गारंटी पार्किंग ठेकेदार द्वारा लिये जाने का एक अतिरिक्त दबाव उनके उपर है, जबकि उनका कहना है कि निविदा के समय यह स्पष्ट था कि पार्किंग वाहन मालिकों के रिस्क पर ही होगा. उनके सामने व्यवहारिक समस्या यह है कि किसी भी पार्किंग स्थल में बाउंड्री नहीं है. किसी की भी गाड़ी चोरी होने की स्थिति में उनको बेवजह फंसा भी दिया जा सकता है. वर्तमान में जितने पार्किंग ठेकेदार है, उनमें अधिकांश पहली बार इस कारोबार में कदम रखा है. साकची में पार्किंग के तीन जोन, बिष्टुपुर में दो और कदमा में एक जोन है. करीब 150 युवाओं को रोजगार दिया गया है, उसमें करीब 20 युवतियां भी शामिल है. उन्होंने कहगा कि महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए जमशेदपुर में उन्होंने पार्किंग के क्षेत्र में एक नयी पहल की, इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आये, मगर अब जिस तरह का विवाद हो रहा है, उसके बाद उनके लिये काम कर पाना मुश्किल हो रहा है. बारह महीनों के टेंडर में तीन माह का एडवांस ले लिया जाता है. उसके अलावा छह माह के सिक्यूरिटी मनी ली गई है. नौ माह का पैसा वे पहले ही सौंप चुके हैं. ऐसे में उनका धंधा कैसे चलेगा.
बताया जाता है कि फूटपाथ पर लगनेवाले ठेला व दुकानदारों में एक बड़ा रैकेट काम करता है. इसमें ऐसी ताकतें सक्रिय रहती है, जिनसे निजात पाना पार्किंग ठेकेदारों की बूते की बात होती है. ठेला लगवानेवाले प्रति ठेला हर दिन के लिये 100 से 200 रुपये तक की वसूली करते हैं. पार्किंग स्थल पर ठेला लग जाने के कारण पार्किंग क्षेत्र सिमट जाता है. फिर वहां कोई वाहन खड़ा नहीं करना चाहता. जमशेदपुर की यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाये रखने के लिये साकची क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जिला प्रशासन की पहल पर पार्किंग की सुविधा मुहैया कराई गई. इसकी वजह से कम से कम एक लाभ तो यह जरुर हो रहा है कि वाहन पार्किंग स्थलों के आसपास सलीके से खड़े रहते हैं, जिसकारण ट्रॉफिक जाम की उतनी समस्या नहीं होती. यह जरुर है कि पार्किंग ठेकेदारों द्वारा जिन लड़कों को पार्किंग वसूली के लिये लगाया जाता है, वे उतने प्रशिक्षित नहीं होते. बात बात में उनके साथ लोग उलझते रहते हैं. पार्किंग व्यवस्था को लेकर भ्रम की ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि जिसकारण रोजाना मारपीट की नौबत पैदा हो जाती है. जो टेंडर दिया गया था, उसके अनुसार हर जोन को अलग अलग पार्किंग वसूलना था. अब नया आदेश दिया गया कि दो घंटा जेएनएसी के क्षेत्र में वाहनों की पार्किंग हो सकती है. पार्किंग ठेकेदारों की समस्या यह है कि छह अलग अलग लोगों ने इसका टेंडर लिया है. उनमें आपस में ही पार्किंग वसूली को लेकर प्रतिदंवदता रहती है. किसी दूसरे पार्किंग स्थल के वाहन को दूसरा ठेकेदार अपने पार्किंग स्थल में मुफ्त में लगाने को इसीकारण तैयार नहीं होता.

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