कोरोना वायरस के साथ ही दुनिया भर में इससे जुडी अफवाहें भी बहुत तेजी से फैली हैं. भारत में भी सोशल मीडिया वेबसाइट्स पर पिछले कुछ हफ्तों से लोग कोरोना वायरस के बारे में ही बातें करते नजर आ रहे हैं. इसी बीच एक मेसेज बहुत तेजी से फैला कि रोज आपके घर के दरवाजे तक पहुंचने वाला अखबार भी कोरोना वायरस को फैला सकता है. आप अखबार को छूने से संक्रमित हो सकते हैं. इसके बाद अखबार ही नहीं होम डिलिवरी के जरिये घ पहुंचने वाले हर सामान छूने को लेकर लोगों के मन में सवाल उठने लगे. आइए जानते हैं कि दुनिया भर के विशेषज्ञ इस बारे में क्या राय रखते हैं और ये मेसेज कितना सच है…
अखबार में इस्तेमाल किया जाने वाला कागज संक्रमण से सुरक्षित
शोध के जरिये पता चला है कि अखबारों के प्रकाशन में इस्तेमाल होने वाला कागज (Paper) कोरोना वायरस के खतरे से सुरक्षित है. वहीं, अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDCP) के अनुसार, जीवित कोशिकाओं के बाहर ज्यादातर सतहों पर कोरोना वायरस लंबे समय तक जिंदा नहीं रह पाता है. कई वायरोलॉजिस्ट का कहना है कि जब आप अखबार छूते हैं तो संक्रमण फैलने की आशंका न के बराबर होती है. इसलिए ये कहा जा सकता है कि अखबार छूने से संक्रमण (Infection) का खतरा नहीं है. फिर भी एहतियात के तौर पर अखबार पढ़ते समय चेहरे, आंखों और मुंह पर हाथ न लगाएं. साथ ही अखबार पढ़ने के बाद हाथों को साबुन से 20 सेकेंड तक धो लें. इससे आप सुरक्षित महसूस करेंगे. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने भी कहा था कि अखबार से कोरोना वायरस फैलने की खबरें अफवाह हैं. ऐसी खबरें फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
कपड़ों और पतले कागज पर ज्यादा देर नहीं टिक सकता कोरोना
वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस करेंसी नोट, कपड़े और पतले कागज पर लंबे समय तक जिंदा नहीं रह सकता है क्योंकि इन सभी चीजों की सतह से हवा गुजर सकती है. ऐसे में वायरस को अपनी ऊपरी सुरक्षा परत को बचाए रखना मुश्किल हो जाता है और वो खत्म हो जाता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि ऐसी चीजों में रिक्त स्थान या छेद सूक्षम जीव को फंसा सकते हैं और इसे आगे फैलने से भी रोक सकते हैं. शोध में सुझाव दिया गया है कि खिड़की-दरवाजे, फर्नीचर, लिफ्ट के बटन, सीढि़यों की रेलिंग, पानी की बोतल और कांच के बर्तन छूने के बाद हाथों को साबुन से जरूर धोएं. लकड़ी, कांच, प्लास्टिरक और धातु पर कोरोना वायरस के लंबे समय तक जीवित रहने के वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर विशेषज्ञों ने यह सलाह दी है.
अलग-अलग सतह पर अलग-अलग समय तक रह सकता है जिंदा
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक कोरोना वायरस चिकनी और बिना छिद्र वाली सतहों पर सबसे लंबे समय तक टिका रहता है. इनमें लकड़ी, प्लास्टिक, कांच, स्टील, पीतल, तांबा शामिल हैंः वहीं, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि स्टील और प्लास्टिक पर कोरोना वायरस तीन दिन तक जिंदा रह सकता है. अगर किसी संक्रमित के बाद स्वस्थ व्यक्ति ने इन तीन दिनों में संक्रमित सतह को छू दिया तो वह भी कोरोना वायरस की चपेट में आ सकता है. जर्नल ऑफ हॉस्पिटल इंफेक्शन में छपे एक अध्ययन में दावा किया गया है कि 20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर कोरोना वायरस स्टील पर 2 दिन, लकड़ी-कांच पर 4 और धातु-प्लास्टिक-चीनी मिट्टी से बनी चीजों पर 5 दिन तक टिका रह सकता है. वहीं, शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि ये वायरस में हवा में करीब 3 घंटे तक जिंदा रह सकता है, लेकिन 66 मिनट में अपनी ताकत खो चुका होता है.
अखबार से संक्रमण फैलने के पूरी दुनिया में नहीं मिले सबूत
भारतीय डॉक्टरों ने भी अखबार को कोरोना वायरस से सुरक्षित माना है. उनका कहना है कि अगर आप भीड़-भाड़ वाली जगह पर अखबार पढ़ रहे हैं तो संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है. इसकी वजह भी अखबार नहीं बल्कि सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) को मेनटेन नहीं करना है. एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि अखबार के जरिये संक्रमण फैलाने के लिए वायरस पेपर पर लंबे समय तक जिंदा नहीं रह पाता है. ऐसे में अखबार छूने से संक्रमण फैलने का जोखिम नहीं है. कस्तूरबा हॉस्पिटल में संक्रमण रोगों के विशेषज्ञ डॉ. ओम श्रीवास्तव ने कहा कि अब तक दुनिया के किसी भी देश में अखबार के जरिये संक्रमण फैलने के सबूत नहीं मिले हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडियन रिसर्च के मुताबिक, लोगों को ऐसी अफवाहों पर ध्यान की देने की कोई जरूरत नहीं है. इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में भी अखबारों का प्रकाशन और वितरण बंद नहीं किया गया है.