युद्ध की विभीषिका में डूबने लगी अंतरराष्ट्रीय लोककला,नीमडीह के कलाकार हुए बेरोजगार

Chandil,8 March : नीमडीह प्रखंड अंतर्गत जामडीह गांव के भारतीय छऊ नृत्य युवा संघ के दर्जनों कलाकार लगभग 30 वर्षों से यूरोप के देशों में मानभूम शैली छऊ नृत्य का प्रदर्शन व प्रशिक्षण देकर कला के आसमां में देश का नाम रौशन करते आ रहे हैं। यहां के कलाकार प्रति वर्ष जून से सितंबर तक विदेशों में रहकर नृत्य का प्रदर्शन व प्रशिक्षण देते थे। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण 2020 से विदेशों में कार्यक्रम पर पाबंदी लग गयी। विशेषज्ञ का मानना है कि इस साल कोरोना महामारी समाप्त होने की राह पर है। इसलिए कलाकारों द्वारा संभावना जताई जा रही है कि 2022 में यूरोप के देशों में लोककलाओं का उत्सव शुरू हो सकता है। कलाकार भी तैयारी में जुटे हैं। लेकिन रूस व यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण यूरोप के फ्रांस, इटली, स्वीटजरलैंड आदि देशों के उत्सवों में फिर से पाबंदी लगाई जा सकती है जिससे कलाकारों में मायूसी दिखाई देने लगी है। यूरोप के देशों से कार्यक्रम की प्रस्तुति के बुलावे के इंतजार में जामडीह गांव के दर्जनों कलाकार हैं। हर साल यहां के कलाकार तीन से चार महीने तक यूरोप के विभिन्न देशों में छऊ नृत्य की प्रस्तुति व प्रशिक्षण देकर रोजगार करते थे और साथ में भारत को विदेशी मुद्रा भी आती थी।

विश्व के हजारों लोककलाकारों का छीन गया रोजगार : उस्ताद अधर कुमार

अंतराष्ट्रीय सम्मानित छऊ नृत्य प्रशिक्षक उस्ताद अधर कुमार कहते हैं कि यूरोप के देशों में लोककलाओं को काफी महत्व दिया जाता है। कोरोना काल के पूर्व विभिन्न देशों में प्रति वर्ष अंतराष्ट्रीय स्तर पर लोककला महोत्सव का आयोजन होता था। जिसमें विश्व के विभिन्न देशों के हजारों कलाकार अपने देश की लोककलाओं की प्रस्तुति देते थे और दर्शकों के मनोरंजन के साथ रोजगार करते थे। कोरोना महामारी के कारण दो साल से यूरोपीय देशों में कार्यक्रम पर पाबंदी रही और अब दो देशों के युद्ध ने विभिन्न देशों के हजारों कलाकारों को मायूस कर दिया।

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