तिरंगा और मां भारती के लिये सबकुछ कुर्बान

जमशेदपुर शहर कई मामलों में पूरे देश में अलग स्थान रखता है। जमशेदपुर में कई ऐसी पहल हुई है जिसने देश के अलग अलग हिस्से को एक दिशा दिखाई है। जमशेदपुर को एशिया का पहला इस्पात संयंत्र स्थापित करने का गौरव प्राप्त है। इस्पातनगरी रक्तदाताओं के शहर के रूप में भी पूरे देश में अपनी पहचान स्थापित कर चुका है। दावा किया जाता है कि जितना रक्तदान जमशेदपुर में होता है, देश के किसी भी हिस्से में आबादी के हिसाब से इतना रक्तदान नहीं होता। अब इसमें एक नई कड़ी तिरंगा यात्रा की भी जुड़ गई है। नमन शहीदों के सपने के संस्था का गठन 10 वर्ष पूर्व हुआ था । उन दिनों देश की राजधानी नई दिल्ली के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे गूंजे थे। देश को टुकड़ों मे ंतोडऩे वाले इस नारे ने कितनों को ही आहत किया था लेकिन जमशेदपुर में इसका प्रतिवाद कुछ इस तरह किया गया कि आज वह देशप्रेम का एक अनूठा रुप ले चुकाहै। उस तोडऩे वाले नारे के प्रतिवाद में साल 2016 में एक भव्य तिरंगा यात्रा अमरप्रीत सिंह काले की अगुवाई में निकाली गई थी और इसमें शामिल होने के लिये पूरा शहर उमड़ पड़ा था। इस तिरंगा यात्रा को पूर्व सैनिकों का भी पूरा सहयोग और समर्थन मिला था। उसके बाद से इस यात्रा की भव्यता लगातार बढ रही है। इससें जुडऩे वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। गत 23 मार्च को इस यात्रा का दसवां साल था और कहा जा सकता है कि इसकी प्रेरणा से अब देश के अलग-अलग हिस्सों में इस तरह की यात्रा के जरिये देशभक्ति की मिसाल पेश की जा रही है।
सोशल मीडिया के इस दौर में इस तरह की घटनाओ,ऐसी सकारात्मक पहल से हर कोई प्रभावित होता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसका अनुसरण भी किया जाने लगा है। नमन की तिरंगा यात्रा की खासियत यह है कि इसमें सभी वर्ग धर्म, संप्रदाय, का समर्थन मिलता है। दलगत राजनीति से हटकर हर राजनीतिक दल के लोग शामिल होते हैं। खास बात यह भी है कि महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले अधिक दिखती है। इस बार की यात्रा में भी दावा किया जा रहा है कि 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं थी। रास्ते में जिस तरीके से अलग-अलग संस्थाओं द्वारा यात्रा में शामिल लोगों और मां भारती के रथ पर पुष्प की वर्षा होती है और उनके लिए जो सुविधाएं मुहैया कराई जाती है वह लोगों की भागीदारी को भी दर्शाता है। रविवार की की यात्रा के दौरान साकची मोहम्मडन लाइन का नजारा कुछ अद्भुत था। अभी रमजान का पवित्र महीना चल रहा है और वहां गोसिया लंगर कमिटी द्वारा इस यात्रा का भव्य तरीके से स्वागत किया गया। चार-पांच बड़े टोकरी में पुष्प रखे हुए थे और रोजेदार युवक लगातार यात्रा में शामिल लोगों पर पुष्प की वर्षा कर रहे थे। नमन के संस्थापक अमरप्रीत सिंह ने इस मौके को अद्भुत और यादगार बताते हुए कहा कि यही हमारे देश की खूबसूरती है जिन शहीदों ने हंसते-हंसते अपने प्राण न्योछावर किए थे, उनके सम्मान में हर कोई आज खड़ा दिखता है।
उन शहीदों ने जाति, धर्म, संप्रदाय, क्षेत्र को नहीं देखा था ।उनके लिए केवल मां भारती और तिरंगा ही मायने रखता था। जिन विभूतियों ने मां भारती के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण दे दिए क्या आज हम उन लोगों को उसी भाव से याद रखते हैं? यही वजह है कि ऐसी यात्राओं का महत्व और बढ़ जाता है। ऐसी पहल के जरिये सभी के जेहन में उन विभूतियों के त्याग, समर्पण की गाथा का स्मरण कराया जाता है। लोग उन शहीदों के बारे में चिंतन- मनन करते हैं कि आखिर ऐसा भी दौर था जब देश की आजादी के लिए अद्भुत जुनून उस पीढ़ी में देखने को मिली थी। आज के समाज में जब हर ओर टकराव, बिखराव की बात देखने को मिलती है, तो ऐसी यात्राएं समाज को जोडऩे की दिशा में भी एक बड़ी पहल कही जा सकती है। समाज को जोडऩे और देशप्रेम का यहऐसा अद्भुत प्रयास है जिसकी जितनी भी सराहना की जाए कम ही होगी।

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