मिस्टर भूषण किसके लिए ये सब कर रहे, यहां कुछ एलियन हैं जो…’, बिहार SIR लिस्ट से 3.66 लाख लोग बाहर तो बोला सुप्रीम कोर्ट

 

 

बिहार में हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की फाइनल लिस्ट जारी होने के बाद मंगलवार (7 अक्टूबर, 2025) को सुप्रीम कोर्ट में मांग की गई कि लिस्ट से हटाए गए 3.66 लाख लोगों के नाम सार्वजनिक किए जाएं. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इनमें से किसी को न तो नोटिस भेजा गया और इनके नाम दूसरों की आपत्ति पर हटाए गए. इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि वह किसके लिए आवाज उठा रहे हैं, कुछ तो ऐसे हैं जो लिस्ट से नाम बाहर होने पर कोर्ट आएंगे भी नहीं.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी और प्रशांत भूषण पेश हुए. प्रशांत भूषण ने कहा कि फाइनल लिस्ट की समीक्षा करने पर पता चला कि इसने स्थिति को जटिल बनाया है. उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में सुधार के नाम पर बड़ी संख्या में लोगों को बाहर कर दिया गया. अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा कि लोगों को जानकारी नहीं मिली कि उनका नाम हटा है और न ही किसी को अपील का मौका दिया गया. एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने भी कहा कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी स्पष्ट नहीं है, इसमें जेंडर या उम्र के हिसाब से जानकारी नहीं मिल पाती है.

कुछ एलियन लिस्ट से नाम हटने पर कोर्ट आएंगे भी नहीं, बोले जस्टिस सूर्यकांत
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस सूर्यकांत ने एडवोकेट प्रशांत भूषण से पूछा कि याचिकाकर्ता किसके लिए ऐसा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘यहां कुछ एलियन भी हैं जो वोटर लिस्ट से उनका नाम हटाए जाने के लिए आवाज भी नहीं उठाएंगे. वे कोर्ट नहीं आएंगे. तो मिस्टर भूषण आप किसके लिए ये सब कर रहे हैं?’ जस्टिस सूर्यकांत की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘हम नहीं चाहते कि यह मामला एक अनियंत्रित पूछताछ बन जाए.’

चुनाव आयोग ने क्या कहा?
याचिकाकर्ताओं की इन दलीलों पर चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि हर वोटर को जानकारी दी गई थी. उन्होंने कहा कि हर कोई कुछ भी दावा कर रहा है इसलिए इनसे हलफनामा लिया जाए. राकेश द्विवेदी ने कहा कि पिछली बार योगेंद्र यादव कुछ लोगों को कोर्ट में लेकर आ गए थे. कोई जवाबदेही नहीं दिखा रहा.

राकेश द्विवेदी ने कहा, ‘हमने हर राजनीतिक पार्टी को लिस्ट सौंपी है. कोई व्यक्ति खुद चुनाव आयोग के पास नहीं आ रहा. दिल्ली में बैठे एनजीओ शोर कर रहे हैं. इन लोगों ने अभी तक फाइनल लिस्ट को चुनौती देते हुए आवेदन भी नहीं दाखिल किया है. पुरानी याचिका पर ही बहस कर रहे हैं. चुनाव की घोषणा हो चुकी है. हमें इसके लिए बंदोबस्त करना है.’

इस दौरान एडवोकेट अश्वीन उपाध्याय ने कोर्ट से मांग की कि सभी केस पटना हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिए जाने चाहिए. सीनियर एडवोकेट विजय हंसारिया ने कहा कि यहां ये याचिकाकर्ता कुछ बातें कहते हैं, फिर बाहर ‘वोट चोरी’ का हंगामा किया जाता है.

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