सरायकेला खनन पदाधिकारी पर एफआईआर दर्ज नहीं होने से तरह तरह की चर्चा

जमशेदपुर । सरायकेला खरसवां जिला खनन पदाधिकारी सन्नी कुमार के विरुद्ध कथित रूप से नाजायज दोहन की शिकायत पर सरायकेला सी जे एम कोर्ट द्वारा जारी सरायकेला पुलिस को प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने के आदेश का अनुपालन नहीं होने से तरह तरह की चर्चा हो रही है।
खनन पदाधिकारी द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए भयादोहन कर पकड़े गए ट्रैक्टर को छोड़ने के नाम पर रिश्वत मांगने का आरोप है। उन्होंने ट्रेक्टर को सरायकेला थाना में रोक कर रखा है जिसके विरुद्ध कोई एफ आई आर भी दर्ज नहीं कराया है। इस संबंध में पिनायक दुबे ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में शिकायत वाद दर्ज कराया तब कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किया। बताया जाता है कि तीन महीने पहले खनन पदाधिकारी ने बालू लदे तीन ट्रैक्टर जप्त किए थे जिनमें से दो ट्रैक्टरों को फाइन वसूल कर छोड़ दिया । तीसरे ट्रैक्टर पर ना तो फाइन वसूली की और ना ही मुकदमा दर्ज किया । उक्त ट्रैक्टर को सरायकेला थाना के समीप जप्त कर रख लिया गया। ट्रैक्टर के मालिक पिनायक दुबे का आरोप है कि खनन पदाधिकारी ने उससे साठ हजार रुपया (60,000) रिश्वत मांगी । रिश्वत नहीं देने पर दूसरे केस में फंसाने की बात कहीं । इन तीन महीनों में सरायकेला थाना के समक्ष खड़े ट्रैक्टर में पौधे तक उग आए हैं।
ज्ञात हुआ है कि एफ आई आर दर्ज नहीं करने के पीछे Cr. PC 197 के प्रावधान का हवाला देकर सरकार से पूर्व सैंक्शन लेने का तर्क दिया जा रहा है, जबकि कानूनी जानकारों का कहना है कि यहां खनन पदाधिकारी से सरकारी ड्यूटी करते कोई चूक नहीं हुई है, अलबत्ता उनके विरुद्ध आरोप है कि उन्होंने कथित रूप से 60 हज़ार रु की राशि रिश्वत मांगी। ट्रेक्टर के कागजात सही हैं, उसमें लदे बालू का पेपर नहीं पाया गया। इस संबंध में उन्होंने थाने में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई, न गाड़ी को आज तक छोड़ा।
Cr PC 197 की विस्तृत विवेचना सुप्रीम कोर्ट ने की है । पुलिस की बालू और अन्य खनिज मामलों में यूं ही मुंह मारने को लेकर बदनामी होती है। कोर्ट के आदेश के बावजूद एफ आई आर दर्ज नहीं करने से उसकी कार्यशैली पर अंगुली उठाने का मौका मिल रहा है। पूर्व सैंक्शन लेना अगर आवश्यक ही है तब उसकी प्रक्रिया पिछले तीन दिनों में शुरू की गई या नहीं, नहीं बताया जा रहा।

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