जमशेदपुर, 29 अगस्त. जनजातीय समुदाय के सकारात्मक पहलुओं पर लिखने वाले कलमकार संदीप मुरारका ने राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर आदिवासी समुदाय पर लिखी गई कॉफी टेबल बुक ‘देश के 105 विशिष्ट जनजातीय व्यक्तित्व’ के अंग्रेजी संस्करण को भेंट किया. इस पुस्तक के हिंदी संस्करण का लेखन संदीप मुरारका ने एवं अंग्रेजी में अनुवाद सेवानिवृत बैंक अधिकारी आनंद मोहन चौबे ने किया है. उन्होंने महामहिम को कहा कि शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा जिसमें जनजातियों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा ना की हो. इस पुस्तक में कश्मीर से कर्नाटक तक के 23 राज्यों की 52 जनजातियों के विशिष्ट व्यक्तित्वों का सचित्र संक्षिप्त परिचय शामिल है. देशभर में फैले जनजातीय समुदाय के कई ऐसे प्रेरक व्यक्तित्व भी इस बुक का हिस्सा हैं, जो भले स्वयं कभी स्कूल ना गए हों, परंतु आज उनके अनुकरणीय जीवन व कार्यों पर पीएचडी की जा रही है. विशेषकर देश के वैसे महान जनजातीय व्यक्तित्व जिनको पद्म पुरस्कार प्राप्त हुए हैं अथवा जो देश के उच्च पदों को सुशोभित कर रहे हैं एवं नई पीढ़ी के लिए आदर्श हैं, ऐसे 105 विशिष्ट आदिवासी हस्तियों की तस्वीर और फीचर को पुस्तक में समाहित किया गया है. संदीप मुरारका द्वारा लिखित जनजातीय समुदाय की पद्म अलंकृत विभूतियों एवं महान व्यक्तित्वों की संक्षिप्त जीवनियों के हिंदी संकलन ‘शिखर को छूते ट्राइबल्स’ के तीन भाग प्रकाशित हो चुके हैं, चौथा प्रकाशनाधीन है। ज्ञात हो कि संदीप मुरारका की दो पुस्तकों का विमोचन राज्यपाल रहते हुये महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने किया है वहीं एक पुस्तक का विमोचन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया है. संदीप मुरारका ने एक सूची तैयार की है, जिसमें वर्ष 1954 से लेकर 2023 तक देश भर के 100 पद्म अलंकृत आदिवासियों के नाम हैं. उन्होंने यह सूची भी राष्ट्रपति को सौंपी, जिसे देखकर राष्ट्रपति ने हर्ष व्यक्त किया और कहा कि पद्म सम्मान अब असली हकदार तक पहुंचने लगे हैं. इस वर्ष भी कई ऐसे गुमनाम लोगों को पद्म सम्मान दिये गये, जो नाम व प्रशंसा की परवाह किए बगैर देश में बदलाव लाने के लिए जमीनी स्तर पर निस्वार्थ भाव से बिना थके कार्य करते रहे और अपना लक्ष्य हासिल करने में सफल रहे.