जमशेदपुर में कल से देश के आदिवासियों का समागम, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा करेंगे आदि महोत्सव का शुभारंभ

जमशेदपुर
भारतीय जनजातीय सहकारिता विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड), जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार के तत्वावधान में कल 7 से 16 अक्टूबर तक गोपाल मैदान विष्टुपुर, जमशेदपुर, झारखंड में एक वृहत राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव, आदि महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत होने वाले इस आयोजन का उद्घाटन केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा कल शाम छह बजे गोपाल मैदान में करेंगे। इस अवसर पर जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह जनजातीय कार्य राज मंत्री विश्वेश्वर टुडू , जमशेदपुर के सांसद एवं अन्य अतिथियों की मौजूदगी में यह उद्घाटन समारोह होगा। आज गोलमुरी क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन में आयोजन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। संवाददाता सम्मेलन में क्षेत्रीय प्रबंधक शैलेंद्र कुमार राजू, मुख्यायल से आईं डीजीएम मार्केटिंग नीता शर्मा,डीजीएम वित्त मधुसूदन गुप्ता, डीजीएम पर्सनल लेफ्टिनेंट कर्नल अरविंद कुमार, मार्केटिंग के भाष्कर झा, गणेष भुजंग मौजूदथे। जानकारी दी गई कि देश के आदिवासी समाज को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यह एक बड़ा माध्यम है। महोत्सव में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) और वन धन केंद्र लाभार्थियों सहित लगभग 336 जनजातीय कारीगर और कलाकार भाग लेंगे। “आदि महोत्सव”जनजातीयसंगीत, कला, चित्रकला वव्यंजनों के अलावा कारीगरों से मिलने, उनके जीवन के तौर-तरीकों के बारे में जानने और जनजातीय संस्कृति तथा परंपराओं की गहरी समझ हासिल करने का अवसर प्रदान करता है।
उन्होंने बताया कि रांची में आयोजित पिछले आदि महोत्सव के दौरान 60 लाख का कारोबार हुआ था। आयोजकों को उम्मीद है कि इस बार इसमें और बढोतरी होगी। उन्होंने बताया कि एमएसपी के तहत 87 उत्पादों को शामिल किया गया है इनमें इमली बीज, जंगली शहद, करंज के बीज, साल के बीज, महुआ के बीज, साल के पत्ते, नीम के बीज, साल के पत्ते,बेल का सुखा गुदा,सतवारी की सूखी जड़, जामुन की सूखी गुठली, आवले का सूखा गुदा, तुलसी के सूखे पत्ते आदि शामिल हैं। झारखंड एक ऐसा प्रदेश है जहां ये सारे उत्पाद पाये जाते हैं। सरकार द्वारा इन 87 उत्पादों पर संशोधित न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है और सरकार उन्हें जनजातीय समुदाय से खरीदती है। आयोजकों ने बताया कि जमशेदपुर में होने वाले आयोजन के दौरान जितने भी प्रतिभागी शामिल होंगे उनके आने-जाने आदि का सारा आयोजकों मंत्रालय द्वारा वहन किया जाएगा जबकि उसकी बिक्री की सारी राशि संबंधित विक्रेताओं के खाते में जाएगी। आयोजन का उद्देश्य जनजातीय समुदाय के लोगों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराना और बिचौलियों से उन्हें मुक्त करना है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री का यह एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है इसकी शुरुआत साल 2017-18 में की गई थी और देश के अलग-अलग हिस्सों में इस तरह के 37 आयोजन किए जा चुके हैं। अगला आयोजन अहमदाबाद में होगा। फरवरी महीने में नई दिल्ली में आयोजित आदि महोत्सव का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। आयोजकों ने बताया कि गोपाल मैदान में भारी बारिश के बावजूद स्टॉल आदि बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है ।
हर शाम होंगे सांस्कृतिक कार्यक्रम
उन्होंने बताया कि गोपाल मैदान में आयोजन के दौरान हर दिन शाम के समय आदिवासी संस्कृति से संबंधित विभिन्न संास्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। इस दौरान हर दिन आदिवासी समुदाय से संबंधित तमाम जानकारी सें अवगत कराया जाएगा । विक्रेताओं का स्किल डेवलपमेंट भी किया जाएगा।
इसआयोजन में 15 सरकारी विभागों के स्टॉल की लगाए जाएंगे। हर दिन पूर्वाह्न 11:00 बजे से लेकर शाम 8:00 बजे तक आदि महोत्सव का आयोजन होगा। मोटे अनाजों मिलेट्स को लेकर भी अलग से स्टॉल लगाया जाएगा। आदि महोत्सव में हस्तशिल्प, मिट्टी के बर्तन, आभूषण एवं अन्य आकर्षकों के अलावा जनजातीय समुदाय द्वारा उगाए गए मोटे अनाजों का भी प्रदर्शन किया जाएगा।
आदि महोत्सव”में जनजातीय उद्यमिता, शिल्प, संस्कृति, व्यंजन, वाणिज्य और प्राचीन पारंपरिक कला की भावना का जश्न मनाया जाता है। ट्राईफेड और जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार की यह वार्षिक पहल देश भर में जनजातीय समुदाय की समृद्ध एवं विविध विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करती है। इस कार्यक्रम में 150 से ज्यादा स्टालों पर कला, हस्तशिल्प, प्राकृतिक उत्पाद और स्वादिष्ट व्यंजन उपलब्ध होंगे।
वर्ष 2023 को “इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स” घोषित किया गया है।

भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत कार्यरत एक अग्रणी संगठन है, जो जनजातीय समुदाय को सशक्त बनाने और उनकी अनूठी कला, संस्कृति और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत नोडल एजेंसी के रूप में, ट्राईफेड जनजातीय समुदाय की सदियों पुरानी प्राचीन परंपराओं को संरक्षित करते हुए उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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