स्वीडन के स्वांते पाबो को मेडिसिन का नोबेल:40 हजार साल पहले विलुप्त हुई मनुष्यों की प्रजाति की डीएनए सीक्वेंसिंग की

स्टॉकहोम: फिजियोलॉजी/मेडिसिन के लिए स्वीडन के वैज्ञानिक स्वांते पाबो को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार विलुप्त हो चुके निएंडरथल मानव के जीनोम का सीक्वेंस तैयार करने के लिए मिला है। निएंडरथल मानव 40 हजार साल पहले विलुप्त हो गए थे, जिनके जीनोम की खोज पाबो ने की है।
द नोबेल कमेटी के सेक्रेटरी थॉमस पर्लमैन ने विजेता के नाम की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पाबो ने अपने शुरुआती रिसर्च में कुछ ऐसा किया है जो पूरी तरह से असंभव था। उन्होंने आगे कहा कि इस नोबेल पुरस्कार के साथ ही 2022 में घोषित होने वाले वाले पुरस्कारों की शुरुआत हो गई। यह कार्यक्रम एक हफ्ते तक चलेगा।
10 अक्टूबर तक चलेगा कार्यक्रम
थॉमस पर्लमैन के मुताबिक फिजिक्स के लिए पुरस्कार की घोषणा 4 अक्टूबर को होगी। 5 अक्टूबर को केमिस्ट्री और 6 अक्टूबर को साहित्य के लिए नोबेल की घोषणा की जाएगी। जबकि 7 अक्टूबर को नोबेल शांति पुरस्कार और 10 अक्टूबर को इकोनॉमिक्स कैटेगरी के पुरस्कार की घोषणा की जाएगी।
स्वीडिश जेनेटिसिस्ट हैं पाबो
स्वांते पाबो एक स्वीडिश जेनेटिसिस्ट हैं, जो इवोल्यूशनरी जेनेटिक्स के क्षेत्र में एक्सपर्ट हैं। उन्होंने पैलियोजेनेटिक्स के फाउंडर्स के रूप में निएंडरथल जीनोम पर बड़े पैमाने पर काम किया है। उनके ग्रुप ने विलुप्त होमिनिन से कई अतिरिक्त जीनोम सीक्वेंस का एनालिसिस पूरा कर लिया है। पाबो की खोज ने एक यूनिक रिसोर्स इस्टैबलिश्ड किया है।
इसका इस्तेमाल साइंटिफिक कम्युनिटी के जरिए ह्यूमन इवोल्यूशन और माइग्रेशन को बेहतर ढंग से समझने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है। फिलहाल वो जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ इवोल्यूशन एंथ्रोपोलॉजी से जुड़े हैं। इसके अलावा वो ओकिनावा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी जापान का भी हिस्सा हैं।
कौन थे निएंडरथल मानव?
निएंडरथल मानव होमो वंश का एक विलुप्त मेंबर है। जर्मनी में निएंडर की घाटी में आदिमानव की कुछ हड्डियां प्राप्त हुईं थीं, जिनके आधार पर इनका नाम निएंडरथल मानव रखा गया था। इनका कद अन्य मानवजातियों की अपेक्षा छोटा था। अभी तक की स्टडी से मिली जानकारी के मुताबिक कद 4.5 से 5.5 फिट तक था। स्टडी के मुताबिक इनके बालों का रंग काला और स्किन यलो थी। यह पश्चिमी यूरोप, पश्चिमी एशिया और अफ्रीका में रहते थे। आर्कियोलॉजिस्ट का कहना है कि यह करीब
1.60 लाख साल पहले धरती पर रहते थे।

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