जमशेदपुर भाजपा को क्यों सूंघ गया सांप

एक समय था जब भारतीय जनता पार्टी के एक नेता को कदमा पुलिस ने हिरासत में ले रखा था तो पार्टी के कई वरीय नेताओं ने तत्कालीन विधायक की अगुवाई में थाना पर चढाई कर हाजत में बंद पार्टी के कार्यकर्ताओं को छुड़ा लिया था। भाजपा उन दिनों अपने तेवरों के लिये जानी जाती थी। जिला अध्यक्ष की कौन कहे मंडल अध्यक्ष तक किसी आंदोलन की अगुवाई के लिये काफी माने जातेे थे। आज उसी भाजपा के एक नेता को पुलिस सुबह-सुबह घर का गेट तोडक़र पकडक़र ले जाती है लेकिन कोई कुछ नहीं कर पाता। अगर -मगर में घंटों बीत जाते है। कुछ नेता जरुर थाना पहुंचते है लेकिन उनको पूरी पार्टी का समर्थन नहीं होता। इस घटना के दूसरे दिन उसी जिला भाजपा के दर्जनों नेता रांची पहुंचते है। वहां सचिवालय घेराव में बढ़-चढक़र हिस्सा लेते है। अखबारों में अपनी पिटाई की तस्वीरें भी छपवाते है। लेकिन जमशेदपुर में ऐसा को
कोई आंदोलन नहीं किया गया.
जमशेदपुर महानगर भाजपा अंतरविरोधों में इस कदर जकड़ी हुई है कि कई बार वह अपने नेताओं के साथ ही खड़ी नहीं होती। जमशेदपुर महानगर भाजपा विरोध के नाम पर केवल जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय से ही सिंग भिड़ाती दिखती है। लेकिन पश्चिम से उसका दोस्ताना अब जगजाहिर हो चुका है। लेकिन जब अभ य सिंह की गिरफ्तारी हुई तो सबसे पहले विधायक सरयू राय ही सुबह-सुबह ब्रश पेस्ट लेकर थाना पहुंचते हैं । अभय सिंह को हाजत से बाहर निकलवाया। ‘कुसी’ पर बिठाया पुलिस अधिकारियों से पूछा कि यह गिरफ्तारी क्यों की गई? काफी देर के बाद भाजपा के कुछ बड़े नेता वहां अभय सिंह के समर्थन में पहुंचे लेकिन जिला भाजपा कटी-कटी सी रही। । भाजपा कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर काफी नाराजगी है और वे सोशल मीडिया पर अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। पिछले लम्बे अरसा से यही देखा जा रहा है कि महानगर भाजपा की राजनीति की दिशा पूर्वी से आगे निकलती ही नहीं। भाजपा के कई नेताओं का कहना है कि उनको जमशेदपुर पश्चिम के कांग्रेसी विधायक सह मंत्री के बारे में कुछ भी नहीं करने की सख्त हिदायत है। भाजपा के जो तेवर पूर्वी के विधायक के खिलाफ नजर आते है वह पश्चिम जाते जाते फुस्स हो जाते है। राजनीतिक तौर पर विपक्ष को सत्ता के प्रति हमलावर होना चाहिए लेकिन जमशेदपुर महानगर भाजपा का स्टैण्ड इससे इतर है। उसका हमला निर्दलीय विधायक से शुरु होकर वहीं खत्म हो जाता है। अभी जो ताजा घटनाक्रम हुआ है। उसमें भी सरयू राय की इंट्री दूसरे तौर पर हुई है। हाल तक अभय सिंह सरयू राय पर हमलावर रहे है। मगर सरयू राय खुल कर अभय सिंह के पक्ष में आ गये जबकि भाजपा झंडा उठाने से हिचक रही है। । प्रदेश अध्यक्ष भी आये लेकिन निजी हैसियत से। सर्किट हाउस में पार्टी के कार्यकर्ताओं ने
उनके सामने अपना दुखड़ा और गुस्सा दोनों उतारा. फूट साफ हो गयी. वाजपेयी जी की आत्मा आज जरूर कराह रही होगी कि उनके बच्चों के सामने
उनकी ही पंक्तियाँ चरितार्थ हो रही हैं-टूटे मन से कोई खाड़ नहीं नहीं होता…….भाजपा कार्यकर्ताओं का टूटा मन साफ दिख गया.

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