करे तो क्या करे वाहन मालिक , झारखंड में वाहन चलाना जंग समान हुआ

जमशेदपुर 27 जून
झारखंड में वाहन मालिको के लिए वाहन चलाना किसी जंग लडऩे से कम नहीं है एक तो पिछले कुछ वर्षो से झारखंड में बालू का लीज नहीं दिया गया है उसपर 31 मार्च से झारखंड में लीज नवीकरण नहीं होने से लगभग 80 प्रतिशत क्रशर बंद पड़ेे है जिसके कारण वाहन मालिक वैसे ही मरणासन की स्थिति में है । इसी बीच पूरे झारखंड में नोटिफिकेशन जारी की गई है कि बाहर के राज्यों से वैध चालान के साथ बालू का परिवहन किया जा सकता है । इस राहत भरी खबर से वाहन मालिको में एक आस जगी भर थी कि अब कुछ अच्छा होगा लेकिन सरकारी कार्रवाई के सामने लगता नहीं है कि वाहन मालिको का कुछ भला होने वाला है।
खासकर पूर्वी सिंहभूम में वैसे ही मंदी का मार झेल रहे वाहन मालिको के सामने असमंजस की स्थिति बन गयी है। अधिसूचना जारी होते ही अब बालू का परिवहन दूसरे राज्यों से कर सकते है । इसी बीच पूर्वी सिंहभूम के परिवहन पदाधिकारी ने आदेश जारी कर दिया कि वाहन मालिको को अपना वाहन का एक्सटेंशन किये डाला को काट कर ओरिजिनल स्थिति में करना होगा। इसके बाद मरता क्या ना करता की तर्र्ज पर वाहन मालिको ने डाला कटवा दिया ताकि ओवरलोड न हो और कोई कानूनी कारवाई न हो। इसके बाद वाहन मालिको ने समझा कि अब डाला भी कटवा लिया है और वैध चालान भी है तो कोई दिक्कत नहीं है . वाहन मालिको को लगा कि वैध चालान गाडी का वैध कागजात रखकर वे शांति से कारोबार कर लेंगे लेकिन सोमवार की सुबह करीब 5 बजे उनको झटका उस समय लगा जब घाटशिला के प्रशिक्षु आइपीएस अधिकारी ने सात वाहन ( हाइबा ) बालू लोड को एनएच फूलडूंगरी में रोक दिया और पुलिस के जिम्मे करके चले गए। वाहन चालको ने बताया कि हमारे सभी वाहनों में माइनिंग चालान है लेकिन उन्होंने किसी गाड़ी के ड्राइवर से चालान के सम्बन्ध में कुछ नहीं पूछा। केवल खड़ा गाडी करवा कर चले गए ,इस सम्बन्ध में जानकारी मिलने पर सभी गाडी मालिक भागे दौड़ेे अपने चालको के पास पहुंचकर जानकारी ली और इसके बाद कभी थाना तो कभीं अंचलाधिकारी कार्यालय के चक्कर काटते रहे कि आंखिर गाडी कौन और क्यों पकड़ा है। काफी जद्दोजहद के बाद थाना से उन्हें यह कहकर घाटशिला के अंचलाधिकारी के पास भेज दिया गया कि ै वही गाडी छोड़ सकते है और जब वाहन के मालिक अपने सभी कागजात और माइनिंग चालान लेकर अंचलाधिकारी कार्यालय पहुँचे तो अंचलाधिकारी ने दो टूक कह दिया कि वें भी चालान चेक कर गाडी छोड़ सकते हूँ लेकिन वर्तमान परिस्थिति में हमको झेलन नहीं लेना है। यह कहकर वाहन मालिको को लौटा दिया कि जिला खनन पदाधिकारी और जिला परिवहन पदाधिकारी को मैंने मेल कर दिया है अब वहीँ गाडियों को छोड़ सकते है इसके बाद वाहन मालिक दौडेे भागे खनन कार्यालय पहुंचे तो पता चला की जिला खनन पदाधिकारी कार्यालय नहीं आये है और जिला खनन निरीक्षक खूंटी में पदस्थापित है और यहाँ डेपुटेशन में है और कभी कभार ही यहाँ आते है .
एक डरे सहमे वाहन मालिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आंखिर प्रशाशन से पंगा कौन लेगा? कौन उनसे सवाल जवाब पूछेगा कि हमारी गाडी को आपने वैध माइनिंग रहते हुए भी चालान जांच करने के नाम से क्यों जब्त कर लिया है? अब गाडी तभी छुटेगी जब जिला खनन पदाधिकारी माइनिंग चालान का जांच करेंगे इस प्रक्रिया में एक सप्ताह य अधिक का समय भी लग सकता है और अगर उसके बाद गाडी छूटेगा तो इस बीच जो हमारा नुक्सान हुआ है उसकी भरपाई कौन करेगा /

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