तिरंगा यात्रा के जरिए जमशेदपुर ने पेश की अनूठी मिशाल

लौैहनगरी जमशेदपुर केवल इस्पात के लिये ही नहीं जानी जाती हैं। जमशेदपुर को कोस्मोपोलिटन सिटी का भी दर्जा प्राप्त है। इसे इस कारण मिनी भारत भी कहा जाता है। यहां कई ऐसी गतिविधियां भी होती हैं जो देश विदेश में सुर्खियां बटोरती रहती हैं। कुछ ऐसा ही नजारा विगत कई सालों से 23 मार्च शहीद दिवस के अवसर पर देखने को मिल रहा है । साल 2016 के जे एनयू प्रकरण के बाद जब वहां भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह, इंशा अल्लाह के नारे लगे तो उसी के प्रतिवाद में जमशेदपुर में तिरंगा यात्रा निकाली गई। विगत छह सालों में तिरंगा यात्रा के जरिये राष्ट्रीय एकता के प्रति जो एक बड़ा संदेश पूरे देश को दिया जा रहा है, ऐसा उदाहरण कहीं और नहीं मिलता। जमशेदपुर की तिरंगा यात्रा साल दर साल और भी प्रभावकारी होती जा रही है। गत 23 मार्च को शहीद दिवस पर एग्रिको मैदान से निकाली गई यात्रा ने जिस गौरवपूर्ण तरीके से सात किलोमीटर की परिक्रमा की वह जमशेदपुर के लोगों के चरित्र को भी प्रदर्शित करता है कि वे कितने संयम और गरिमा के साथ ऐसी यात्रा निकाल सकते हैं। दिन के समय में पैदल यात्रा होने के कारण राहगीरों को कम से कम तकलीफ हो इसका पूरा ख्याल रखा गया था। इस यात्रा के दौरान जैसी भागीदारी शहरवासियों की देखने को मिली वह भी दर्शाता है कि यहां के लोगों में ऐसी शक्ति है कि यदि कोई व्यक्ति, वह जो कोई भी हो यदि इस तरह की किसी विचारधारा के साथ आता है तो उसे पूरी लौहनगरी का भरपूर समर्थन मिलेगा। ऐसा कोई आह्वान हो तो फिर दलगत भावना से ऊपर उठकर राजनीतिक लोग और आम जनमानस खुद ब खुद समर्थन देने को उमड़ पड़ता हैं। अलग -अलग विचार धारा वाले राजनीतिक दलों , विभिन्न धर्म संप्रदायों, विभिन्न जातियों एवं समाज के हर वर्ग के लोगों को जोडक़र राष्ट्रप्रेम से जुड़े किसी अभियान को आगे चलाया जाता है तो उसे कितना समर्थन मिलता है यह 23 मार्च को देखने को मिला। कोरोना के कारण तीन साल के अंतराल के बाद यह यात्रा निकाली गई और लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था। जिस शालीनता के साथ लोगों की भागीदारी होती है वह भी सराहनीय है। ऐसा उदाहरण कहीं और देखने को नहीं मिलता । इस तिरंगा यात्रा के दौरान केवल दो नारे लगते हैं। भारत माता की जय और वंदे मातरम् । यहां केवल एक झंडा होता है और वह है तिरंगा। यही कारण है कि इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिये। देखा भी नहीं जाता। तभी तो ऐसी भागीदारी दिखती है। पूरे समाज को एकसूत्र में पिरोने का यह अद्भुत प्रयास है। जो भी व्यक्ति या संस्था ऐसे अभियान को आगे बढाता है, उसका हर कोई आगे बढकर समर्थन करता है। अनगिनत संगठनों का इस यात्रा को समर्थन मिलता है। देखा जाय तो लोग ऐसे नेक कार्य करने वाले व्यक्ति को नहीं बल्कि उसके जज्बे, उसकी भावना को देखते हैं ।

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