भारत ने पाकिस्तान को दिया सख्त और साफ संदेश

 

भारत-पाकिस्तान मुकाबला हमेशा से ही क्रिकेट से बढक़र माना जाता है। लेकिन इस बार का मैच और भी ज्यादा संवेदनशील और हाई-वोल्टेज हो गया। वजह साफ थी—पहलगाम आतंकी हमला। देश का हर नागरिक गुस्से में था और इसी पृष्ठभूमि में जब दोनों टीमें मैदान में उतरीं तो यह केवल खेल नहीं रहा, बल्कि एक राष्ट्रीय भावनाओं का प्रतीक बन गया। इस मैच का विरोध करने वालों ने बीसीसीआई और भारत सरकार पर जमकर अपनी भड़ास निकाली। सोशल मीडिया पर जमकर मीम बनाये गये।इस सबका असर मैच में भी देखने को मिला।
टॉस के वक्त ही माहौल का अंदाज़ा हो गया, जब भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने पाकिस्तानी कप्तान से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया। यह केवल खेल का हिस्सा नहीं था, बल्कि एक सख्त और साफ संदेश था—भारत अब केवल मैदान में ही नहीं, हर मंच पर पाकिस्तान को आईना दिखाएगा। मैच के दौरान पाकिस्तान की टीम पूरी तरह बैकफुट पर नजर आई। गेंदबाजी, बल्लेबाजी, क्षेत्ररक्षण या कप्तानी—हर क्षेत्र में भारत भारी पड़ा। भारतीय खिलाडिय़ों ने न केवल पाकिस्तान को खेल में हराया बल्कि मैदान के बाहर भी उनके रवैये ने साफ जता दिया कि आतंक की सरपरस्ती करने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। मैच के बाद भारतीय टीम ने परंपरागत हाथ मिलाने की रस्म भी निभाने से इनकार कर दिया। पाकिस्तानी खिलाड़ी इंतजार करते रहे, यहां तक कि भारतीय ड्रेसिंग रूम तक गए, मगर दरवाजे बंद रहे। क्रिकेट इतिहास में यह शायद पहली बार था जब खेल भावना से ऊपर उठकर “देश भावना” ने जगह ली।
सूर्यकुमार यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस जीत को ऑपरेशन सिंदूर में शहीद हुए जवानों और उनके परिवारों को समर्पित किया। उन्होंने कहा—”हमारे जवान हमारे लिए इतना करते हैं, यह जीत उनके लिए एक छोटी-सी श्रद्धांजलि है।”दरअसल, आईसीसी या ओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों की मजबूरियां हमें दुश्मन देशों के खिलाफ खेलने से पूरी तरह रोक नहीं सकतीं। मगर भारत ने इस बार यह साबित कर दिया कि मुकाबले का बहिष्कार न करके भी पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया जा सकता है। मैदान में जीत से लेकर ड्रेसिंग रूम के दरवाजे बंद रखने तक, हर कदम पाकिस्तान को यह याद दिलाने के लिए काफी था कि खून और पानी साथ-साथ नहीं चल सकते, और न ही खून और क्रिकेट साथ-साथ चल सकते हैं। तनावपूर्ण माहौल में भी धैर्य और संकल्प के साथ खेलना खिलाडिय़ों के लिए आसान नहीं होता। लेकिन भारतीय टीम ने जिस तरह देश का मान बढ़ाया, वह पूरे राष्ट्र के लिए गर्व का क्षण है। कहा जा सकता है कि इस मैच का बहिष्कार करने के बजाय मैच खेलकर भारत ने पाकिस्तान को एक सख्त संदेश दिया है। यदि भारत ने टूर्नामेंट का बहिष्कार किया होता तो शायद इतना सख्त संदेश नहीं होता।

Share this News...