संपादकीय-हिन्दू त्योहारों को ही क्यों बनाया जाता है साफ्ट टारगेट


दीपावली त्योहार के समय पिछले कुछ सालों से ऐसे विवादित विज्ञापन जारी किये जा रहे हैं जो लोगों को आहत करने वाले होते हैं। उसके बाद बवाल होता है। सोशल मीडिया में संबंधित कंपनी के बायकाट का ट्रेंड चलता है फिर वह कंपनी विज्ञापन वापस ले लेती है। माफी मांग लेती है। मामला यहीं खत्म हो जाता है। लेकिन इस प्रकरण में कंपनियां करोड़ो अरबो का खेल कर जाती है। एक तो कुछ दिनों तक वह कंपनी सुखिर्यों में रहती है। फिर आज का जमाना ब्यूवर्स एवं हिट का है। विज्ञापन वापस लिये जाने के बाद भी सोशल मीडिया में वह खूब वायरल होता रहता है और कंपनियों की जेब गर्म होती रहती है। इस पूरे विवाद में एक बात आम होती है और वह है हिंदुओं की आस्था क साथ खिलवाड़ करना। हाल ही डाबर कंपनी के एक विज्ञापन में थर्ड जेंडर (गे) को करवा चौथ मनाते दिखाया गया। इसके पहले सीएट टायर के लिये अभिनेता आमिर खान ने विज्ञापन किया जिसमें वे दीपावली पर पटाखे न फोडऩे की नसीहत देते दिखे। इसके पहले फैब इंडिया ने दीपावली के अवसर पर अपने क्लेक्सन का नाम ‘जश्र-ए-रिवाज’ देकर हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचाने का प्रयास किया था।
पिछले साल तनिष्क का एक विज्ञापन भी विवादों में आया था जिसमें लव जिहाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया था। इन विज्ञापनों का विरोध करने वालों को कथित सेकुलर लोग दकियानुस करार देते हैं। कांगे्रस नेता शशि थरूर ने तनिष्क के विज्ञापन को हिंदु-मुसलमान की एकता की बेहतरीन मिशाल बताकर इसका विरोध करने वालों का मजाक उड़ाने का प्रयास किया था। देखा जाता है कि ऐसे मामले जब भी आते हैं विरोध करनेवालों को दकियानूसी, कट्टरपंथी करार दिया जाता है। लेकिन जब किसी दूसरे धर्म खासकर मुसलमान को लेकर कोई मुद्दा आता है तो वहां विरोध करनेवालों को मुस्लिमवादी नहीं बताया जाता। क्या किसी की आस्था को यदि ऐसे बेतुके विज्ञापनों से ठेस लगती है तो उसे व्यक्त करने का भी अधिकार नहीं है। सभी धर्म, सभी जाति, सभी भाषा के लिये यह समान होना चाहिए। मगर ऐसा होता है क्या? यह सवाल क्यों नहीं उठेगा कि दीपावली के समय ही हर साल ऐसे विवादित विज्ञापन क्यों जारी किये जाते हैं और उसमें भी केवल हिंदुओं को ही टारगेट क्यों बनया जाता है। अमिर खान की ताजा नसीहत पर भाजपा विधायक राजकुमार ने उनकी एवं सिएट टायर की जमकर खिंचाई करते हुए सडक़ पर होने वाली कई गतिविधियों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि सडक़ पर नमाज भी नहीं होनी चाहिये क्या अमिर खान ऐसे विज्ञापन करेंगे? न अमिर खान करेंगे न ही कोई कंपनी ऐसा करने की हिम्मत जुटाएगी। समय-समय पर हिंदुओं को ही साफ्ट टारगेट बनाया जाता रहा है और कहा जाता है कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है।एम एफ हुसैन की हिंदु देवियों को लेकर की जानी वाली चित्रकारी को भी कौन भूल सकता है।उनको भी महान बताने औए महिमा मंडित करने वाली की बड़ी फौज थी।आशय यह कि बार बार हिंदुओं के साथ ही ऐसा क्यों किया जाता है।

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