गंगा प्रसाद अरुण….करीब 50 वर्षो तक भोजपुरी साहित्य की सेवा की

राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त भोजपुरी के कवि, गीतकार, नवगीतकार,गज़लकार साहित्यकार   गंगा प्रसाद अरुण(79 वर्ष) का कल शाम निधन हो गया. संध्या 6:00 बजे अंतिम सांस लीं।उनके पुत्र
राजेश भोजपुरिया ने यह जानकारी दी.

गंगा प्रसाद अरुण की भोजपुरी साहित्य गतिविधि की चर्चा –

1966 में जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद के कार्य समिति के लिए चयन हुआ। उसके पहले से भोजपुरी में लिखते रहे है। उसके बाद 2013 में संस्था परिषद के प्रवर समिति के सदस्यता से दूर। परिषद के अभूतपूर्व आजीवन सदस्य रहे।

2013 में सिंहभूम जिला भोजपुरी साहित्य परिषद के संस्थापक अध्यक्ष हुए । 2014 में व्यक्तिगत कारण से संस्था से त्याग-पत्र। 2014 से स्वतंत्र रूप से साहित्य लेखन और लकीर पत्रिका का प्रकाशन करते रहे।

ऐसे भोजपुरी की कई संस्थाओं से संबद्धता भी रही जिसमें – पूर्व प्रवर समिति सदस्य और अभूतपूर्व आजीवन सदस्य,जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद।
प्रधान सचिव रचनाकार, जमशेदपुर।संस्थापक अध्यक्ष सिंहभूम जिला भोजपुरी साहित्य परिषद।अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन,पटना के कार्य समिति(संचालन समिति) सदस्य व प्रवर समिति सदस्य। मुख्य संरक्षक भोजपुरी जन जागरण अभियान,झारखण्ड इकाई, जमशेदपुर हिन्दी परिषद, बेनीपुरी साहित्य परिषद, जमशेदपुर, साहित्य सेवा समिति, जमशेदपुर प्रमुख है।

अरुण जी की कलम हिन्दी के अलावे भोजपुरी में समान रूप से चलती आई है। लगभग 50वर्ष से अधिक से भोजपुरी साहित्य में सेवा कर रहे थे अपनी रचनाओं और लेखनी के माध्यम से।
इनकी भोजपुरी की प्रकाशित काव्य संग्रह, किताबो में – ‘हहरत हियरा'(भोजपुरी गीत संग्रह)-1974, ‘अँगना महुआ झरल'(भोजपुरी गीत-नवगीत संग्रह)-2010, ‘तीन डेगे त्रिलोक'(भोजपुरी हाइकु संग्रह)-2013, ‘गजल गवाह बनी'(भोजपुरी गजल संग्रह)-2018, “प्रेम न बाड़ी ऊपजै”(मदन लेख संग्रह) -2020, “मनुवा मनगीत लिखे”(भोजपुरी मनगीत संग्रह) -2021, “द्वंद्व समास”(भोजपुरी ललित गद्य संग्रह)-2021 प्रमुख है।

भोजपुरी गीत-नवगीत संग्रह ‘अँगना महुआ झरल’ से सात रचनाओ को एम ए(स्नातकोत्तर) भोजपुरी के पाठ्यक्रम (बिहार विश्वविद्यालय) में शामिल किया गया हैं। इसके पहले भी एम. ए. (स्नातकोत्तर)भोजपुरी पाठ्यक्रम में भोजपुरी के विद्यार्थी इनके लिखे यात्रा वृतांत ‘फोकट में सैर’ को विश्वविद्यालय में पढ़ रहे है।

कुछ भोजपुरी पुस्तक प्रकाशन के कतार में है – ‘गोड़ में बाँस'(ललित भोजपुरी-गद्य), ‘अतुकान्तिकाये’ (स्फुट हिन्दी-भोजपुरी), प्रमुख हैं।

अरुण जी की लेखन-विधा – गीत-नवगीत/मनगीत, गजल,दोहा छंदबद्ध रचना, हाइकु,बिरहा,अतुकान्तिका, ललित गद्य(पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित) हैं।

गंगा प्रसाद अरुण द्वारा बहुत सारी किताबों और पत्रिकाओं का सफल सम्पादन किया गया है जिसमें सबसे पहिले पत्र-पत्रिका में – लुकार,लकीर,रचनाकार,विकासवार्ता, पर्यावरण चिंतन प्रमुख है।
कई स्मारिका,जैसे – जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद के रजत जयंती पर प्रकाशित स्मारिका, जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद के स्वर्ण जयंती पर प्रकाशित स्मारिका , इस्पातीका : अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के 24वां अधिवेशन की प्रकाशित स्मारिका का संपादन ।
इसके अलावे कई पुस्तकों और ग्रन्थ का सम्पादन भी किया है, जिसमें – ‘अगुआ'(भोजपुरी लघुकथा संग्रह), ‘बिना के तान'(भोजपुरी गीत संग्रह), ‘सुपुली भर तरेगन'(भोजपुरी काव्य संकलन), ‘फूल हरसिंगार के'(डॉ परमेश्वर दूबे शाहाबादी के भोजपुरी नवगीत संग्रह), ‘हरिशंकर वर्मा स्मृति ग्रन्थ’ (सम्पादक त्रय में), ‘निर्भीक अभिनन्दन-ग्रन्थ'(प्रधान सम्पादक), ‘शोध प्रबन्ध'(डॉ परमेश्वर दूबे शाहाबादी के शोध प्रबन्ध का पुस्तकाकार और सम्पादन) इत्यादि प्रमुख है।
गंगा प्रसाद अरुण जी द्वारा कई पत्र-पत्रिका में सम्पादन सहयोग भी किया है जिसमें – पारिजात कल्प,मानवी, विदूषक,निर्भीक संदेश इत्यादि हिन्दी भोजपुरी की पत्र पत्रिका है।

इनकी कई पत्रिका और पुस्तकों में साझा संकलन भी आई है – ‘भोजपुरी के चुनिन्दा हाइकु'(भोजपुरी सम्मेलन,पटना), ‘दोहा संग्रह'(भोजपुरी सम्मेलन,पटना), ‘एक से एक'(भोजपुरी हाइकु, जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद), ‘बिरहा विनोद'(बिरहा, संकलन-श्री हरेराम त्रिपाठी चेतन जी का- 2017), ‘साझा संग्रह,शत हाइकुकार साल शताब्दी(पटना-2016) प्रमुख है।

इनकी कई पत्र पत्रिकाओं में भी भोजपुरी की रचना प्रकाशित होती रही हैं।जिसमें – भोजपुरी में लुकार, लकीर, सुरसती,परास, कविता,पाती, सम्मेलन पत्रिका, भोजपुरी माटी,अँगना,बिगुल,साखी,
खोंइछा,ललकार,भोजपुरिया अमन,भोजपुरी जीन्दगी, हेलो भोजपुरी इत्यादि।
दैनिक साप्ताहिक पत्र में भी,जैसे हिंदुस्तान,प्रभात खबर,दैनिक जागरण, उदितवाणी,इस्पात मेल,चमकता आईना,आज,आवाज,आजाद मजदूर, लौह मजदूर,लौह कुंज इत्यादि में बराबर प्रकाशित होती रही है।

अरुण जी द्वारा अपनी रचना का सस्वर पाठ करते हुए कई मंचो की शोभा बढ़ाई है। जिसमें – झारखंड,बिहार, बंगाल,उत्तरप्रदेश,ओड़िसा, दिल्ली के विभिन्न काव्य मंच से अपनी रचना का सस्वर प्रस्तुति करते आए है। 2018 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में मैथिली-भोजपुरी अकादमी (दिल्ली सरकार) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में आमंत्रण और भागीदारी के साथ सस्वर रचना का पाठ किया था।

इनकी भोजपुरी की रचना का प्रसारण आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों से भी होती रही है। दूरदर्शन और सहारा समय से भी कविता की प्रस्तुति प्रसारण हो चुका है। आकाशवाणी द्वारा चयनित पाँच राष्ट्रीय चेतना के गीतों को संगीत बद्ध करा के देश के विभिन्न केंद्रों से लगातार कई वर्षो तक प्रसारण होता रहा है। आकाशवाणी के राज्य स्तरीय खुला काव्य मंच से कविता का पाठ भी करते रहे थे।

अरुण जी कई दिग्गज कवि और साहित्यकार लोगों के साथ कविता का मंच भी साझा किया है। जिनमें प्रमुख है आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री,रामाधारी सिंह दिनकर,जनकवि नागार्जुन, काका हाथरसी,हुल्लड़ मुरादाबादी,सूढ़ फैजाबादी,अज्ञेय जी, शंकर दयाल सिंह,भोलानाथ गहमरी,आचार्य महेन्द्र शास्त्री,विश्वनाथ प्रसाद शैदा,डॉ रामविचार पाण्डेय, पाण्डेय कपिल,पाण्डेय आशुतोष इत्यादि लोग प्रमुख थे।
श्री गंगा प्रसाद अरुण भोजपुरी साहित्य के सेवा करते हुए कई पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित भी हुए थे ,जिसकी चर्चा जरूरी है-
‘भिखारी ठाकुर सम्मान’-
(सासाराम/कुतुबपुर/आरा), डॉ प्रभुनाथ सिंह सम्मान(विश्व भोजपुरी सम्मेलन,दिल्ली), इस्पात भारती सम्मान (जमशेदपुर),साहित्य सेवा सम्मान (तुलसी भवन, जमशेदपुर),साहित्य सेवा सम्मान(जनकल्याण परिषद, जमशेदपुर) ,अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मान (रायपुर), भोजपुरी सेवी सम्मान (जमशेदपुर भोजपुरी महोत्सव -2016),संकल्प साहित्य शिरोमणि सम्मान (राउरकेला, उड़ीसा-2016), सरदार पटेल सम्मान(श्री कृष्ण सिन्हा संस्थान -2013),लायन्स क्लब सम्मान (जमशेदपुर-2016),आचार्य महेन्द्र शास्त्री पुरस्कार (सम्मेलन अधिवेशन-2011), विश्व भोजपुरी सम्मेलन सम्मान (2009),भोजपुरी अस्मिता सम्मान(पंजवार), लहरिया भोजपुरी सेवी सम्मान (जमशेदपुर),भोजपुरी सेवी सम्मान(बोकारो प्रान्तीय सम्मेलन),पाती अक्षर सम्मान (बलिया 2019),प्रथम एकादश (जमशेदपुर-2019) ।
इसके अलावे और भी कई संस्था और आयोजन में मंच से सम्मानित।

इनकी अन्यान्य रुचि भी रही थी,कई
पत्र पत्रिका और किताब के मुख्य पृष्ठ की सज्जा अपने हाथो से की थी – भोजपुरी पत्रिका लुकार के प्रारंभिक अंको विशेषांक के हस्त लेखन। अभिनंदन-पत्र प्रारूपण सुलेखन शताधिक, प्रमाण पत्र लेखन, पुस्तक पत्रिका आवरण सज्जा :- लुकार,लकीर,विकासवार्ता,शाहाबादी रचनावली,पत्रावली दिवंगत भोजपुरी सेविन के, भोजपुरी लोकधारा,हहरत हियरा,लकीर, पारिजात कल्प, मानवी,पर्यावरण चिंतन,स्टील सिटी समाचार, भोर(मगही), निर्भीक संदेश, रचनाकार,छितराइल फूल,तीन डेगे त्रिलोक,दामिनी,गजल गवाह बनी इत्यादि ।
गंगा प्रसाद अरुण जी भोजपुरी साहित्य के सेवा में 50 वर्षों से ज्यादा से लगे हुए थे।
अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए।

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