ऐसी पार्टी में रहने से क्या लाभ जो गुंडागर्दी और अवैध धंधों पर कुछ न करे : कृष्णा अग्रवाल

धनबाद में भाजपा बदहाल

धनबाद, 3 नवंबर : जिला भाजपा कार्यसमिति के सदस्य एवं 1997 से भाजपा से जुड़े कृष्णा अग्रवाल का पार्टी की सदस्यता और पदों से इस्तीफा चर्चा का विषय बन गया है. धनबाद में अपराधिक घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि और विदेश में बैठकर अपराधिक गैंग चलानेवाले प्रिंस खान के आतंक तक खुलकर भाजपा के सामने नहीं आने से क्षुब्ध श्री अग्रवाल ने यह कदम उठाया. उनका कहना है कि व्यापारी इस रंगदारी के शिकार हो रहे हैं जो भाजपा के समर्थक होते हैं. इनकी रक्षा के लिये ही जब संगठन सामने नहीं आये तो उन्हें उस संगठन में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं होता.
अभी दो दिन पूर्व जो बंदी हुई, उसमें भाजपा को खुलकर नेतृत्व करना चाहिये था, लेकिन वह सामने नहीं आई. गुंडा के खिलाफ व्यापारी सामने आये और उसका खतरा मोला. बंदी के बाद गुंडा द्वारा व्यापारियों को पुन: धमकी दी जाने लगी. जरुरत इस बात की थी कि भाजपा आगे रहती और व्यापारियों को संरक्षण देती. कृष्णा अग्रवाल जिला मारवाड़ी महासम्मेलन के अध्यक्ष भी हैं इस नाते उन्हें अपने समाज में भी किरकिरी का सामना करना पड़ रहा था. कृष्णा अग्रवाल निर्विवाद रुप से झरिया विधानसभा क्षेत्र के तमाम बूथों का हर चुनाव में प्रभारी रहे हैं. पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा और उम्मीदवारों के प्रति समर्पण में कभी कोई दाग नहीं लगा और उम्मीदवार अच्छे मतों से विजयी भी हुए. कृष्णा अग्रवाल का कहना है कि धनबाद में जो हालात हैं उसमें न विधायक खुलकर सामने आ रहे हैं न सांसद. जबकि भाजपा प्रमुख विपक्षी दल है और धनबाद जिले में भी उसके सर्वाधिक पांच विधायक हैं.
उल्लेखनीय है कि धनबाद में इस रंगदारी वाली गुंडागर्दी के साथ-साथ अवैध कोयले का धंधा खुलेआम चलता है. यहां पुलिस कोयले के नाजायज धंधे को बढ़ावा देकर उगाही करती है लेकिन सब लोग चुप्पी साधे हुए हैं. कृष्णा अग्रवाल का जमीर जागा है और उन्होंने उस पार्टी से नाता तोड़ा है जो विपक्ष में रहकर भी रहस्यमय ढंग से सारे घटनाक्रमों का मूक दर्शक बनी हुई है.
विदित हो कि जमशेदपुर में भी सांप्रदायिक विवाद से जुड़े मामले में धनबाद के विधानसभा प्रभारी अभय सिंह की गिरफ्तारी की, तब भी भाजपा सामने नहीं आई. ऐसे में संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटने का कृष्णा अग्रवाल नमूना हैं.

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