विशेष, देश/विदेश भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद ऋषि सुनक ब्रिटेन की बने प्रधानमंत्री, पूरे हिंदुस्तान में खुशी की लहर

भारत में दो सौ साल तक शासन करने वाले देश इंग्लैंड का सर्वोच्च पद पर भारतीय मूल का राजनेता का आसीन होना रच दिया विश्व इतिहास

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने महज 45 दिन बाद ही अपने पद से इस्तीफा दिया था। लिज ट्रस ने अपनी ही पार्टी कंजरवेटीव पार्टी के संसद सदस्य के बगावत को देखते हुए प्रधानमंत्री पद त्याग कर दिया। ब्रिटेन के राजनीतिक परिवर्तन के कारण भारतीय मूल के ऋषि सुनक बन गए ब्रिटेन का निर्विरोध नया प्रधानमंत्री। आज बहुत ही गौरव का क्षण है, जिस देश ने भारत को 2 सौ साल तक शासन किया था उस देश के सर्वोच्च पद प्रधनमंत्री के सिंहासन पर भारतीय मूल के सांसद ऋषि सुनक का आसीन होना। दिपावली के पावन अवसर पर भारत दोहरे प्रकाशोत्सव से जगमगा उठा और यह विश्व इतिहास में कभी न मिटने वाली घटनाक्रम के रूप में स्वर्ण अक्षरों से अंकित हो गया।

ऋषि सुनक का जन्म 12 मई 1980 को साउथेम्प्टन, हैम्पशायर, इंग्लैंड में भारतीय पंजाबी हिंदू स्वर्णकार परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम यशवीर और माता का नाम उषा सुनक है। वे तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। उनके दादा-दादी का जन्म पंजाब प्रांत, भारत में हुआ था और 1960 के दशक में वे लोग पूर्वी अफ्रीका से अपने बच्चों के साथ यूनाइटेड किंगडम चले गए थे। सुनक ने अगस्त 2009 में भारतीय अरबपति, इंफोसिस के संस्थापक एन0 आर0 नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से शादी की। वे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पठन पाठन के दौरान मिले थे। फिर सात जन्मों के फेरे लेकर एक दूजे के लिए हो गए। सुनक ने स्कूली शिक्षा विनचेस्टर कॉलेज से प्राप्त की। उन्होंने लिंकन कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी के साथ स्नातक की उपाधी ली। वे 2006 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री प्राप्त की। सुनक एक ब्रिटिश भारतीय और हिंदू ब्राह्मण स्वर्णकार हैं, उन्होंने 2017 में हाउस ऑफ कॉमन्स के शपथ ग्रहण समारोह में भगवद गीता पर शपथ ली थी । ऋषि सुनक ईस्ट लंदन साइंस स्कूल के गवर्नर रह चुके थे।

ऋषि सुनक के राजनीतिक जीवन की शुरूआत काफी स्वर्णिम रहा। वे यॉर्कशर के रिचमंड से 2015 में पहली बार संसद पहुंचे थे। उस समय ब्रेग्जिट का समर्थन करने के चलते पार्टी में उनका कद लगातार बढ़ता चला गया। ऋषि सुनक ने तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे की सरकार में संसदीय अवर सचिव के रूप में कार्य किया। थेरेसा के इस्तीफा देने के बाद सुनक बोरिस जॉनसन के कंजरवेटिव नेता बनने की अभियान का समर्थन किया। जॉनसन प्रधान मंत्री नियुक्त होने के बाद सुनक को ट्रेजरी का मुख्य सचिव नियुक्त किया। चांसलर के रूप में सुनक ने यूनाइटेड किंगडम में COVID-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव के मद्देनजर सरकार की आर्थिक नीति पर प्रमुखता से काम किया। 5 जुलाई 2022 को अपने त्याग पत्र में जॉनसन के साथ अपनी आर्थिक नीति के मतभेदों का हवाला देते हुए सुनक ने चांसलर के पद से इस्तीफा दे दिया। सुनक का इस्तीफा स्वास्थ्य सचिव जाविद के इस्तीफे के साथ एक सरकारी संकट के बीच जॉनसन के इस्तीफे का कारण बना। ब्रिटेन के जिस पार्टीगेट स्कैंडल की वजह से बोरिस जॉनसन की काफी किरकिरी हुई थी। उसकी आंच सुनक पर भी पड़ी। सुनक पर भी पार्टीगेट स्कैंडल मामले में जुर्माना लगाया गया था। उन्हें फिक्स्ड पेनल्टी नोटिस जारी किया गया था। इस पार्टी की तस्वीरें और कुछ ईमेल लीक होने के बाद मामला काफी गरम हो गया था। इस मामले के बाद सुनक की लोकप्रियता में गिरावट देखने को मिली थी। लेकिन फिर से यूनाइटेड किंगडम में सुनक की राजनीतिक ग्राफ तेजी से बढ़ गई और अब वे उस देश का प्रधानमंत्री बने जिस देश ने कठोर अनुशासन के दम पर विश्व के दर्जनों देश में अपना साम्राज्य स्थापित किया था।

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