मामला Adityapur पानी टंकी में 15दिनों से लाश का: एसडीओ, सीओ व एएसपी पहुंचे , शव निकालने की कवायद :पेयजल सप्लाई ठप, हाहाकार: CORONA के बीच नया मानसिक संकट, लोगों को उल्टियां

20 घण्टा बीतने के बाद भी शव निकालने में निगम प्रशासन फेल
Adityapur ,20 feb:सीतारामपुर फ़िल्टर प्लांट मुख्य पानी टँकी में शव मिलने के 20 घण्टे बीत चुके है लेकिन अबतक शव को निगम प्रशासन निकलने में विफल है। इस बीच आज डेढ़ बजे एसडीओ रामकृष्ण कुमार, एएसपी सह एसडीपीओ राकेश रंजन, सीओ धनंजय मौके पर पहुंचे। शव निकालने की कवायद शुरू कर दी गई है। एसडीओ रामकृष्ण कुमार ने मीडियाकर्मियों से कहा कि एनडीआरएफ की टीम चल चुकी है। जल्द शव निकालने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सूचना प्राप्त हुई है कि टंकी परिसर में आसामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। इसको लेकर यहाँ सुरक्षाकर्मी की तैनाती करने का निर्देश दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि शव किस परिस्थिति में टँकी में है इसकी जांच कराई जाएगी। मौके पर आदित्यपुर थाना प्रभारी राजेन्द्र प्रसाद, आरआईटी थाना प्रभारी आदि मौजूद थे।
विदित हो कि शव मिलने की खबर कल जैसे ही आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में पहुंची लोगो के बीच भय का माहौल कायम हो गया। लोग आज सुबह अपने घरों के पानी टँकी में जमा जल को बहाने में जुट गये। घरों के टँकी की सफाई करने में लोग जुटे रहे। इतनी बड़ी घटना के बाद भी नगर निगम प्रशासन के एक अधिकारी मौके पर तत्काल नहीं पहुंचे।

शव मिलने की घटना पर लोगो को आने लगी उल्टी, सेहत को लेकर लोग हुए भयभीत
सात हजार उपभोक्ताओं के घरों में उक्त पानी टँकी से जलापूर्ति होती है। पानी को पीने के साथ साथ खाना बनाने और दैनिक कार्यो में इस्तेमाल करते है। शुक्रवार को जैसे ही टँकी में शव मिलने को बात सामने आई, लोग भयभीत हो गए। महिलाओं को उल्टियां आने लगी। कोरोना काल मे घटी इस घटना से लोगो मे महामारी की चिंता सताने लगी है।

फिल्टर प्लांट में पानी साफ करने के नाम पर होती है खानापूर्ति!
सीतारामपुर जल शोध केंद्र के पानी टंकी से लाश मिलने की घटना ने वहां की सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ पानी फिल्टर करने के तौर तरीकों पर भी बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। बता दें कि सीतारामपुर डैम से पानी फिल्टर प्लांट में आने के बाद उसे केमिकल द्वारा फिल्टर किया जाता है, जबकि पुलिस सूत्रों के मुताबिक शव की स्थिति देख कम से कम 15 दिन का आंकलन किया जा रहा है। अब यह बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या फिल्टर प्लांट में पानी फिल्टर करने के नाम पर केवल खाना पूर्ति हो रही है। जब टंकी में 15 दिनों से शव था तो क्या कोई कर्मचारी ने वहां चेक तक नहीं किया? क्या टँकी में सीतारामपुर डैम से शव बहकर आया या टँकी में गिरकर मौत हुई है? फिल्टर प्लांट में आखिर कौन अधिकारी को जांच करने की जिम्मा है ?इन तमाम सवालों के जवाब अब जांच के बाद ही मिल पाएगा।निगम पर लोगों के गुस्सा का कारण उसके द्वारा बिल वसूली के लिए कड़ाई और जिम्मेवारी पर लापरवाही को लेकर ज्यादा देखी जा रही है। इतने महत्वपूर्ण और नाजुक परिसर में सुरक्षा पर न ही पी एच ई डी और न ही निगम प्रशासन ने कभी ध्यान दिया। जननप्रतिनिधि सिर्फ वर्चस्व और ठेका के लिए आपस में उलझे देखे जाते हैं। निगम में जन प्रतिनिधित्व को जनसेवा के बजाए नेताओं ने स्टेटस सिंबल और सुविधा भोग का केंद्र बना लिया है

करीब 20 हजार आबादी पर जल संकट
फिल्टर प्लांट की टँकी से शव मिलने के बाद सात हजार उपभक्ताओ के 20 हजार लोगों के बीच जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है इधर शव मिलने के कारण लोगों ने टंकी में जमा पानी को भी बहा दिया है। सरकार और जिला प्रशासन के समक्ष यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि इस आपात स्थित से कैसे फौरन निबटे और लोगों को पेयजल मुहैया कराए।

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