भारत के इस गांव में सुबह 2 से 3 बजे के बीच ही हो जाता है सूर्योदय लोग दोपहर में ही करने लगते हैं डिनर की तैयारी

Earliest Sunrise India: भारत के पूर्वी हिस्से में एक ऐसा गांव है जहां पर सूरज सबसे पहले उगता है. हम बात कर रहे हैं अरुणाचल प्रदेश के डोंग गांव की. यह गांव भारत, चीन और म्यांमार के ट्राई जंक्शन के पास बसा हुआ है. यहां पर लोग दूर-दूर से इस खूबसूरत नजारे को देखने के लिए आते हैं.

एक अनोखा सनराइज एक्सपीरियंस

डोंग गांव में सुबह 2 से 3 बजे के बीच ही सूर्योदय हो जाता है. यह भारत के अधिकांश हिस्सों से कई घंटे पहले है. इस गांव को 1999 में खोजा गया था. तभी से इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए पर्यटक यहां पर आते रहते हैं. सनराइज को देखने के लिए पर्यटक आमतौर पर सुबह-सुबह घने जंगलों और खड़ी पहाड़ियों से होकर चार-पांच किलोमीटर की ट्रैकिंग करते हैं. यहां पर सड़क काफी सीमित है और बुनियादी सुविधाएं भी काफी कम है. इस वजह से यहां पर प्रकृति प्रेमियों को काफी मजा आता है.

जल्दी सूर्यास्त और दैनिक जीवन

डोंग में सूरज जल्दी उगाने के साथ-साथ जल्दी छिप भी जाता है. यहां पर सूर्यास्त दोपहर के तीन से चार बजे के करीब ही हो जाता है. इस वजह से दैनिक जीवन थोड़ा प्रभावित है. यहां के निवासी दिन में जल्दी अपना काम पूरा कर लेते हैं और दोपहर में खाना बनाना शुरू कर देते हैं.

प्रकृति के साथ गहरा रिश्ता

यहां पर मिश्मी जनजाति रहती है. इस जनजाति की दैनिक गतिविधियां, त्योहार और रीति रिवाज सूर्योदय और सूर्यास्त से जुड़े हुए हैं. यहां का जीवन इस बात का उदाहरण देता है कि कैसे इंसान अपने आप को प्राकृतिक परिवेश के साथ तालमेल बिठाकर ढाल लेता है.

कैसे पहुंचे डोंग?

डोंग जाने के लिए भारतीय पर्यटकों को इनर लाइन परमिट की जरूरत होती है और विदेशी पर्यटकों को प्रोटेक्टेड एरिया परमिट जरूरी होता है. क्योंकि यह गांव भारत चीन सीमा के पास है इस वजह से भारतीय सेना के पोस्ट यहां पर तैनात है. जो लोग एडवेंचर और प्रकृति को पसंद करते हैं उन्हें यह जगह काफी पसंद आएगी. इस गांव में आप न सिर्फ भारत के सबसे पहले सूर्योदय का मजा ले सकते हैं बल्कि, ट्रैकिंग, नेचर वॉक और मिश्मी जनजाति की संस्कृति और विरासत के बारे में भी जान सकते हैं. सीमा के पास बसा यह गांव काफी खूबसूरत नजारे और अनोखी दिनचर्या की वजह से पर्यटकों और फोटोग्राफरों को एक खूबसूरत अनुभव देगा. यहां आप सीखेंगे की कैसे हमारा देश अलग-अलग भाषाओं और संस्कृति के बावजूद भी प्रकृति के साथ एक साथ कैसे जुड़ा है

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