: असामाजिक तत्वों और बदमाशों को काबू करने के लिए पुलिस पर जितना दवाब होता है उससे ज्यादा जिम्मेवारी उस पर क़ानून सम्मत कार्रवाई की होती है. क़ानून की मूल अवधारणा है भले दोषी बच जाय, निर्दोष को सजा न मिले. विषय है जमशेदपुर पुलिस ने क्या गत शुक्रवार को जिन 10 लड़कों को चोरी, अवैध हथियार आदि के आरोप में जेल भेजा वह सब के सब सब वैसे अपराध में शामिल थे या पुलिस अफसरों ने झूठ परोस कर मुंह मियां मिठू बनने की कोशिश की है?गत शुक्रवार को बाइकर्स गैंग के नाम पर 10 युवाओं को सिदगोड़ा थाना द्वारा जेल भेजा गया उनमें एक महेश भूमिज है .यह लड़का बारीडीह बस्ती में चलने वाले रवि पांडे के टेंट हॉउस में मजदूरी करता है. थाना में सक्रिय दलालों में एक कोई प्रेम श्रीवास्तव ने टेंट हाउस के उक्त संचालक रवि पाण्डेय को फ़ोन कर कहा कि महेश भूमिज को बड़ा बाबू बुला रहे है. कुछ पूछताछ करना है. इस तरह महेश को थाना बुलाया गया. वह लड़का इस बुलावे पर थाना आया. काफ़ी देर तक उसके नहीं लौटने पर टेंट मालिक ने दलाल से उसका स्टेटस पूछा तो बताया गया चल जाएगा थोड़ी देर हो रही है. इस बीच पता चला है कि कुछ पुलिस वाले महेश भूमिज के बारीडीह बस्ती घर में दरवाजा का ताला तोड़ कर घुसे और किसी पेटी में हथियार डाल कर बरामदगी दिखाई. उसके घर में पुलिस ने अपना नया ताला लगा दिया. क्या पुलिस इस प्रकार कार्रवाई कर सकती है? इस बरामदगी का निष्पक्ष गवाह कौन है? पुलिस किसी के घर में इस प्रकार ताला तोड़कर घुस सकती है क्या? फिर उस घर में अपना ताला लगा सकती है क्या? उस परिवार के अन्य सदस्य कहां रहेंगे, पुलिस ने कैसे अनदेखी की?इसके पीछे एक कहानी चर्चे में है कि महेश भूमिज जिस घर में रहता है वह भाड़े का है. मकान मालिक से घर खाली करने पर विवाद चल रहा. कुछ माह पहले महेश भूमिज की माँ आशा भूमिज की हत्या हो गयी.वह जे एम एम दल से जुडी थी. उसकी लाश हुरलूँग पुलिया के नीचे बरामद हुईं थी. वह एम जी एम थाना क्षेत्र था.इस हत्या में कथित रूप से महेश भूमिज का मकान मालिक राजेश साहू संदिग्ध बना. वह अभी तक इधर उधर भागे फिरता है. इस मकान को लेकर सिदगोड़ा थाना में शिकायत भी दर्ज हुई थी.महेश भूमिज ने आरोपित किया था कि उसकी माँ की हत्या राजेश साहू ने करायी. पुलिस ने राजेश को आज तक नहीं पकड़ा है. अब महेश भूमिज के हाथ और घर से हथियार बरामदगी दिखा कर तथा महेश भूमिज के घर पर पुलिस द्वारा अपना ताला मारे जाने से यह चर्चा प्रबल है कि पुलिस एक साथ कई निशाना साध रही. क्या वह महेश भूमिज को हथियार सहित गिरफ़्तारी बता कर और जेल भेजकर उसकी कमर तोड़ रही कि घर खाली करे और नए एस एस पी के सामने खरखाही भी हो जाय कि उनकी टीम कितनी कर्मठ है जो अपराधियों का गैंग पकड़ती हैं. महेश भूमिज पर पहले से शहर के किसी भी थाने में कभी कोई मुकदमा दर्ज हुआ है क्या? मजे की बात है कि सिद्धू कान्हू मुस्लिम बस्ती, बर्मामाइंस के खुले आम हथियार लहराने वाले अब्दुल रेहान को पुलिस ने अभी तक नहीं पकड़ा है,जबकि वह इसी तथा कथित बाइकर्स टीम का सदस्य है. जेल भेजे गए लड़कों में ऐसे कई लड़के हैं जो अपराधकर्म में शामिल नहीं हैं. शरारत, तेज मोटरसाइकिल चलाना आदि कर सकते है लेकिन हरवे हथियार वाले गैंग नहीं चलाते. इनमे इसी तरह एक पियूष डे नाम का युवक है जिसकी माँ श्रीमती रानी है. उनका mob no +918581081388 है. ऐसे अनेक माता पिता पुलिस की इस ढंग की कार्रवाई के शिकार हुए हैं. पुलिस अधिकारियों ने क़ानून की आंख में धूल झोंकने के लिए कागज़ी कार्रवाई में शायद कोई कमी नहीं की हो, लेकिन क्या ऐसी स्वार्थपूर्ण दमनात्मक मनमाना कार्रवाई से शहर में अपराध में कमी आ जाएगी और असली अपराधियों के मन में क़ानून का डर समा जायेगा?