ईरान के आखिरी अटैक में 4 इजरायलियों की मौत
इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन से चली आ रही जंग आखिरकार अब थम चुकी है. इसे लेकर शुरुआती कन्फ्यूजन के बाद ईरान के सरकारी टेलीविजन ने सीजफायर लागू होने का ऐलान कर दिया है. ईरानी सरकारी टेलीविजन ने मंगलवार को बताया कि इजरायल के साथ युद्ध में संघर्ष विराम शुरू हो गया है, जबकि इजरायल ने भी अब ईरानी हमले को लेकर जारी अलर्ट हटा लिया है और लोगों को बंकर से बाहर आने की इजाजत मिल गई है.
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बाद दोनों देश सीजफायर के लिए राजी हो गए. लेकिन संघर्षविराम लागू के बाद भी ईरान की तरफ से इजरायल पर बमबारी के चलते इसे लेकर शंका की स्थिति बन गई थी. इजरायली डिफेंस फोर्स ने बताया कि एक घंटे के भीतर तीन बार ईरान ने मिसाइल अटैक किए हैं और इसमें चार नागरिकों की मौत भी हो गई है. इजरायल में हमले को लेकर तेल अवीव में सायरन बजे और लोग सेफहाउस में शिफ्ट हो गए थे.
‘आखिरी क्षण तक करेंगे हमला’
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने ताजा हमलों को लेकर कहा है कि हमारी ताकतवर मिलिट्री फोर्स आखिरी मिनट तक इजरायल को उसके हमलों के लिए सजा देगी. उन्होंने कहा, ‘सभी ईरानियों के साथ, मैं अपने जांबाज सशस्त्र बलों का आभार जताता हूं जो अपने खून की आखिरी बूंद तक देश की रक्षा के लिए तैयार रहते हैं और जिन्होंने दुश्मन के किसी भी हमले का आखिरी क्षण तक जवाब दिया. लेकिन सीजफायर के आखिरी वक्त में हमले करके ईरान क्या साबित करना चाहता है?
दरअसल, इजरायल के खिलाफ 13 जून को शुरू हुई इस जंग में ईरान को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. उसके तीन प्रमुख परमाणु ठिकाने फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर अमेरिका ने बंकर बस्टर बमों से हमला किया है. इजरायली हमले में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के चीफ हुसैन सलामी समेत कई टॉप सैन्य कमांडर्स और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं. इसके अलावा ईरान में करीब एक हजार लोगों की मौत हुई है. इस जंग में ईरान के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है.
ईरान को नहीं मिली कोई मदद
इजरायल के साथ जंग में ईरान के खिलाफ अमेरिका ने भी मोर्चा खोल दिया था और देश की सबसे प्रमुख न्यूक्लियर साइट फोर्डो समेत तीन ठिकानों पर बमबारी की थी, जिसमें न्यूक्लियर फैसिलिटी को काफी नुकसान की आशंका जताई जा रही है. दूसरी ओर ईरान को मिडिल ईस्ट के किसी भी देश का साथ नहीं मिला और उसे अकेले ही अपनी लड़ाई लड़नी पड़ी. रूस और चीन जैसे ताकतवार देशों ने ईरान को नैतिक समर्थन तो दिया लेकिन अमेरिका-इजरायल के खिलाफ जंग में खुलकर ईरान के साथ खड़े नहीं हुए.
सीजफायर लागू होने के बाद ईरान के हमले बताते हैं कि वह आखिरी दम तक जंग लड़ने की ताकत को दिखाना चाहता है. साथ ही ताजा हमले अमेरिका को भी एक मैसेज हैं कि ईरान किसी के दबाव में सीजफायर को स्वीकार नहीं करेगा, बल्कि वह खुद इसे लेकर फैसला करेगा.
क्या आतंरिक दबाव है वजह?
इसके अलावा ईरान पर बहुत ज्यादा आंतरिक दबाव है, क्योंकि उसके सैकड़ों नागरिकों की मौत हो चुकी है, यहां तक कि सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई को भी इजरायल निशाना बनाना चाहता था. लेकिन आखिरी वक्त में ट्रंप की दखल के बाद उनकी हत्या का प्लान कैंसिल किया गया. इसके अलावा ईरान के कट्टरपंथी गुटों का दबाव था कि जंग में वह इजरायल और अमेरिका के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए और जवाबी कार्रवाई करे.
इसके अलावा ताजा हमले से ईरान संकेत देना चाहता है कि वह किसी के आदेश या दबाव में सीजफायर के लिए राजी नहीं हुआ है, बल्कि अपनी शर्तों पर सहमत हुआ है. ईरान पहले ही कह चुका है कि उसने न जंग शुरू की थी और न वह जंग चाहता है. लेकिन वह इजरायल की आक्रामकता का जवाब पूरी ताकत के साथ देता रहेगा.
ट्रंप ने किया था ऐलान
ईरानी विदेश मंत्री ने पहले कहा था कि अभी तक किसी भी सीजफायर पर कोई समझौता नहीं हुआ है. लेकिन अगर इजरायली शासन ईरानी लोगों के खिलाफ अपने हमले को पहले बंद कर दे तो हमारा उसके बाद जवाबी कार्रवाई जारी रखने का कोई इरादा नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने मंगलवार की सुबह अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में दावा किया कि इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर पर पूरी तरह सहमति बन गई है. उनका यह पोस्ट ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के दो दिन बाद आया है.
ट्रंप ने दावा किया कि सीजफायर ऐलान के करीब छह घंटे बाद से शुरू होगा. जो अब सुबह 9:30 बजे (भारतीय समयानुसार) लागू हो चुका है. उन्होंने कहा कि जब दोनों देश अपने ‘लास्ट मिशन’ पूरे कर लेंगे. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि उन ‘लास्ट मिशन’ में क्या शामिल है. उन्होंने आगे कहा कि सीजफायर ईरान की तरफ से शुरू किया जाएगा, उसके 12 घंटे बाद इजरायल की ओर से, और आखिर में जंग आधिकारिक तौर पर 24 घंटे बाद खत्म हो जाएगी.