सामाजिक व्यवस्था को आगे भी चलाने पर हुआ विचार विमर्श

रवि सेन
चांडिल: चांडिल डैम स्थित शीष महल योगा भवन परिसर में पातकोम दिशोम द्वारा आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक महासम्मेलन का दुसरा दीन शनिवार को माझी बाबा के साथ आतु हड़, पातकोम दिशोम, धाड़ दिशोम, सिञ दिशोम, बारहा दिशोम, कुचुअं दिशोम एवं कई दिशोम से सम्मेलन में पहुंचे. सम्मेलन में पहुंचे लोगों ने अपने वक्ता में संथाल आदिवासी समाज के पारंपरिक रीति रिवाज आदिवासी स्वशासन व्यवस्था, पारंपरिक पोशाक, बोली भाषा आदि समाज के सदियों से पूर्वजों द्वारा चलाते आ रहे सामाजिक व्यवस्था को आगे भी चलाने पर विचार विमर्श किया गया. साथ ही रात में हो रहे संथाली ड्रामा ओं पर अंकुश लगाने का भी विचार किया गया. वही सीएनटी, एसपीटी एक्ट, पांचवी अनुसूची, ग्राम सभा, पी पेशा, आदि आदिवासियों को दिए संवैधानिक अधिकारों पर भी गहराई से चर्चा किया गया. महासम्मेलन का अंतिम दिन एक मार्च की बैठक में धाड़ दिशोम, सिञ दिशोम, कुचुअं दिशोम, बारहा दिशोम, संथाल परगना एवं झारखंड ओशेका के महासचिव शंकर सोरेन कवि साहित्यकार भगला सोरेन, लुगू बुरू गोडेत सुरेंद्र टुडू, एवं आदि जगहों से स्वशासन व्यवस्था के प्रमुख एवं सदस्य उपस्थित होंगे. मौके पर पारगाना रामेश्वर बेसरा, मादडुंगरी माझी बाबा बुधराम हांसदा, टोंडरा माझी बाबा मंगल बेसरा, दिनाई माझी, बाबा सोमचांद सोरेन, हुरलुंग माझी बाबा अंजित किस्कु, काटीया माझी बाबा मकर हेम्ब्रम, सिंगाती माझी बाबा भूटी टुडू आदि उपस्थित थे.

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