जमशेदपुर 3 जुलाई संवाददाता :- सिखो के धार्मिक संगठन सीजीपीसी का विवाद बढता ही जा रहा हैं। इसमें साफ तौर पर अब दो फाड़ हो चुका है.दोनों गुट एक दूसरे की टांग खीचंने ,नीचा दिखाने में इस कदर लगे हुये है कि सिख समाज की प्रतिष्ठा धूििमल होने लगी है.सीजीपीसी प्र्धान गुरमुख सिंह मुखे के फायंरिग के मामले में जेल जाने के बाद से ही सीजीपीसी की गरिमा दाव पर लगी हुई है। .स्थानीय गुरुद्वारा कमिटियों प्रधान पद के चुनाव में अपने अपने चहेते व्यक्ति को प्रधान पद की कुर्सी पर काबिज करने के लिये निचले स्तर से लेकर ऊपर स्तर तक राजनीतिक जोड़ तोड़ की बिसात बैठायी जाती रही है जिसका खामियाजा सिख संगत गाहे बगाहे झेलती है . सीजीपीसी के प्रधान पद पर काबिज होने के लिये धार्मिक संगठन के दो गुटों द्वाारा आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है .कहा जाता है कि इसकी बुनियाद टेल्को गुरुदवारा से वर्षो पहले पड़ी थी. कहा जाता है कि सीजीपीसी के तत्कालीन प्रधान रहे हरनेक सिंह के कार्यकाल मेेंं टेल्को गुरुदवारा में हुये विवाद में दो गुटों के बीच मारपीट ,हंगामा की घटना घटी थी धार्मिक मर्यादा तार तार हो गयी थी उसके बाद से यह सिलासिला बढता ही गयी
गया. टिनप्लेट गुरुदवारा,सोनारी,गौरीशंकर रोड समेत अन्य गुरुदवारो में समय समय पर विवाद होते रहे नौबत मारपीट ,जान लेवा हमला तक बढी .गौरी शंकर रोड गुरुदवारा में चुनाव को लेकर धार्मिक मर्यादा का उल्लंघन करते हुये सिखो के पवित्र निशान साहिब पर ही युवक चढ गया था काफी मानमन्नौवल के बाद मामला शांत हो पाया था .
फिलहाल सिख प्रतिनिधि बोर्ड के प्रधान गुरुचरण सिंह बिल्ला व टिनप्लेट गुरुद्वारा के महामन्त्री सुरजीत सिंह खुशीपुर द्वारा निरतंर सीजीपीसी व रामदास भट्टा गुरुदवारा के प्रधान बलबीर सिंह बल्ली पर बयानबाजी कर निशाना साधा जा रहा है.ं बलबीर सिंह बल्ली का कहना है कि जो आरोप गुरचरण सिंह बिल्ला के द्वारा लगाये जा रहे है ्कि वे मंहत है पहले तो गुरचरण सिंह बिल्ला अपने गिरेंबा में झांके कि वे क्या है जिनके दवारा अपनी प्रधानगी काल (वर्ष 11 से 14 ) तक का हिसाब किताब संगत व मौजूदा कमिटी के प्रधान तरसेम सिंह को नहीं दिया. खाता बही व रसीद बुक अपने पास रख हुए है स्थिति यह हुई कि तत्कालीन प्रधान सीजीपीसी के इन्द्रजीत सिंह ने पांच सदस्यीय कमिटी का गठन कर दिया जिसने वर्ष 14 से 17 तक टिनप्लेट गुरुद्वारा की कमान संभाली व जिसका लेखा जोखा वर्तमान प्रधान तरसेम सिंह सेमें को दिया .बिल्ला पर कई संगीन आरोप भी ह.ै .. सिदगोड़ा थाना में निवर्तमान प्रधान टिनप्लेट गुरुद्वारा के दिलबाग सिंह के दवारा गुरचरण सिंह बिल्ला मारपीट ,जानलेवा हमला का मामला दर्ज कराया गया था .
यह घटना वर्ष 2004 की कही जाती है.वर्ष 2010 में डी एन प्रसाद व गुरचरण सिंह बिल्ला के बीच मारपीट हुई थी वहीं वर्ष 14 में गुरु अर्जुन देव जी शहीदी दिवस पर टिनप्लेट गुरुद्वारा में सुरजीत सिंह खुशीपुर व बिल्ला के बीच चुनाव को सम्बंिधत विवाद व हिसाब किताब को लेकर तलवारबाजी की घटना हुयी थी बाद में समझौता हो गया था.जिस वक्त गुरचरण सिंह बिल्ला प्रधान थे उन्होने ने ही सुरजीत सिंह खुशीपुर पर गंभीर आरोप लगाये थे .रामदास भट्टा गुरुद्वारा के प्रधान बलबीर सिंह बल्ली का कहना है कि भुरी वाले बाबा को उन्होने सप्रेम हाईवा भेंट की थी उस वक्त बिल्ला भी शामिल थे तब उन्हे नजर नहीं आया कि वे महंत है उन्होने कहा कि समाज के गरीब तबके की सेवा करना वे धर्म समझते है वाहे गुरु ने उन्हे यह सेवा बख्शी है जबतक संास है तबतक गरीब बच्चियो की शादी ,पढाई ,उनका इलाज करते रहेगें यह सेवा उनके दवारा गुरु घर की गोलक के माध्यम से की जाती है जिसका रकम सीधे बैंक मेंं जाती है गुरुदवारा के लिये देवेन्द्र सिंह समेत सिख परिवार से ली थी वर्ष 12 मेंं रामदास भट्टा गुरुदवारा का स्थापना उस स्थान पर की जहां पर वर्षो से संत राम सिंह झाड़ु वाले रहते थे.रही बात रामदास भट्टा में गत 70 वर्षो से मोहन बद्र्रस के कमलजीत ंिसंह जगजीत सिंह ऋषि के घर पर गुरुदवारा स्थापित है जिसके ऊपर उनका घर है यह कौन सी धार्मिक मर्या्रदा है कि ऊपर घर हो नीचे गुरु ग्रन्थ साहिब का प्रकाश होता है वह भी धार्मिक मर्यादा को भंग करता है. उनका आरोप है की परिवार के लोग मांस आदि का प्रयोग करते है वैसी परिस्थिति में धार्मिक पीठ धर्म प्रचार कमिटी व आकाली दल को गुरु ग्रन्थ के साहिब के प्रकाश पर रोक लगा देनी चाहिये ना तो कोहली परिवार द्वारा हिसाब किताब ही संगत के पास रखा है. मेरा विरोध इस लिये करते है कि मैं उनकी बाते नहीं मानता हुं.गुरुचरण सिंह बिल्ला स्वंय नशा का सेवन करते है वे क्या धार्मिक मर्यादा की बाते करते है.बलबीर सिंह बल्ली ने कहा की सभी गुरुदवारा का अपना अपना सविधंान है।