जमशेदपुर, 30 दिसम्बर (रिपोर्टर) : जमशेदपुर पूर्वी के निर्दईलीयि विधायक सरयू राय ने 86 बस्ती मालिकाना हक को चुनौती मानते हुए राज्य में सरकार गठन के बाद इस दिशा में प्राथमिकता के आधार पर पहल करने की बात कही. आज सिदगोड़ा टाउन हाल में आयोजित ‘जन प्रतिनिधि के द्वारा जनता का आभारÓ कार्यक्रम कहा कि इसका समाधान कैसे किया जाए, इसका सुझाव वे मुख्यमंत्री व नगर विकास मंत्री को देंगे. जब देश के प्रधानमंत्री दिल्ली व आसपास के इलाकों के लिये कानून बनाकर मालिकाना दे सकते हैं तो झारखंड में भी यह समस्या है, जिसके लिये कानून बनना चाहिये. इसके लिये एक तय तिथि निर्धारित कर मालिकाना देने का रास्ता सुगम किया जा सकता है. मालिकाना का मुद्दे सिर्फ जमशेदपुर ही नहीं, वरन रांची, बोकारो, धनबाद, दुमका सहित कई जिलों में है, जहां रहनेवाले लोग अपने जीवन की पूरी कमाई लगा चुके हैं. उन्हें यूं ही बेघर नहीं किया जा सकता है.
वर्षों से बंद पड़ीे केबुल कंपनी के बावत श्री राय ने कहा कि इस दिशा में भी प्रयास की जरुरत है. वे जल्द ही पूरे क्षेत्र के भूगोल जानकर सिलसिलेवार समस्याओं का समाधान करेंगे. कोई भी कदम उठाने के पूर्व क्षेत्र को बेहतर तरीके से जानने की जरुर है. अबतक क्षेत्र में जो विकास हुए हैं, उसे वे नकार नहीं रहे, बल्कि आगे क्या करना है, उसकी रुपरेखा बनानी होगी. उन्होंने कहा कि बंद पड़े उद्योग के प्रबंधन तथा यूनियन से वार्ता कर निदान का प्रयास होगा. जो कंपनियां राज्य से बाहर चली गई है, उसे पुन: यहां स्थापित करने की दिशा में कदम उठाएंगे.
विधायक श्री राय ने जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (जेएनएसी) को गैर संवैधानिक करार देते हुए कहा कि यहां नगर निगम बनना चाहिये. सरकार को जिस क्षेत्र को औद्योगिक इकाई बनाना है, बनाकर शेष क्षेत्र को निगम के रुप में घोषित कर देना चाहिये. यहां के लोगों को सांसद-विधायक चुनने के साथ-साथ तीसरा मत देने का भी अधिकार होना चाहिये. संविधान में संशोधन कर ऐसा किया जा सकता है. मानगो में उनके प्रयास से नगर निगम बन तो गया, लेकिन चुनाव नहीं हो पाया है. वे जल्द ही इस विषय में पर मुख्यमंत्री व नगर विकास मंत्री से बात करेंगे.
सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन को उन्होंने ‘नेक दिल इंसानÓ बताते हुए कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को भी अब अपनी आंखें खोलनी चाहिये. झारखंड में रहनेवाले सभी लोग झारखंडी हैं, यह नहीं भूले. साथ ही कहा कि एक निर्दलीय विधायक के रुप में वे संतुष्ठ हैं. सरकार को उनका नैतिक समर्थन है, लेकिन जनता के हितों का ध्यान नहीं रखनेवाले निर्णय का विरोध होगा. वे शीघ्र ही एक सामाजिक दल का गठन कर लोगों के माध्यम से हमेशा जनसेवा को तत्पर रहेंगे.