राउरकेला, 8 जुलाई (रिपोर्टर): गंभीर ब्रोन्कोस्कोपी समस्याओं वाले बच्चों के इलाज के लिए राउरकेला का इस्पात जनरल अस्पताल छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड के लिए वरदान साबित हो रहा है. इन राज्यों के अस्पतालों से फेफड़ों और श्वांस नली की समस्याओं से ग्रसित मरीजों को इलाज के लिए यहां भेजा जाता है. इसी क्रम में वहां के डाक्टर और पैरामेडिक्स की एक टीम ने अपनी कुशलता और दक्षता का परिचय देते हुए एक छह साल की बच्चे की जान बचाई. बिसरा ब्लॉक के बोडाम्बुआ गाँव की श्रीमती सबिता झारा और राजेश झरा के पुत्र राय दास झरा को पहली जुलाई को दोपहर 12.45 बजे अत्यंत गंभीर अवस्था में अस्पताल लाया गया था. उसी दिन सुबह बच्चे ने एक अरंडी के बीज को निगल लिया था. विभिन्न अस्पतालों द्वारा बच्चेे की गंभीर स्थिति को देखते हुए इलाज में असमर्थता दिखाई गई थी. बच्चा तीव्र श्वसन संकट के कारण जीवन से संघर्ष कर रहा था. वह होश में था लेकिन सांस लेने में (एस.पी.ओ.2 : 70-80 प्रतिशत ऑक्सीजन के साथ) तकलीफ हो रही थी. डॉक्टरों ने तेजी से कार्य किया और उसे लगभग 1 बजे ऑपरेशन थियेटर में ले गए. डॉक्टरों की टीम में शामिल परामर्शदाता (ई.एन.टी.) डॉ. गौतम दाश, परामर्शदाता (ई.एन.टी.) डॉ. डी. साहू, संयुक्ति निदेशक (बाल- चिकित्सा ) डॉ. जे. आचार्य, संयुक्तम निदेशक (एनेस्थे.सिया) डॉ. एन.पी. साहू, वरिष्ठ उप निदेशक (एनेस्थे सिया) डॉ. बी.के. नायक, वरिष्ठ उप निदेशक (एनेस्थेससिया) डॉ. आर.एल. पंडा और डी.एन.वी. छात्र डॉ. स्वेता ने पैरामेडिकल स्टाफ के साथ इस मामले को देखा और सामान्य एनेस्थेसिया के तहत ब्रोंकोस्कोपी की मदद से ऑपरेशन किया. बच्चे के दाहिने ब्रोन्कस में फँसे बीज को निकालने में सफल रहे. ऑपरेशन बहुत संकटपूर्ण था और यह दो घंटे से अधिक समय तक चला. डॉक्टरों के समय पर हस्तक्षेप के कारण बच्चा स्वतंत्र रूप से सांस लेने में सक्षम हुआ. उसे पूरी तरह ठीक हो जाने पर छुट्टी दे दी गई. ब्रोंकोस्कोपी ट्यूमर्स, इंफेकशन, वायुमार्ग में श्लेश्मा का आधिक्य, या फेफड़ों में अवरोध का पता लगा सकती है. ब्रोंकोस्कोपी की प्रक्रिया दो तरह से होती है. एक लचीली ब्रोंकोस्कोप का प्रयोग करके और दूसरी कठोर ब्रोंकोस्कोप का प्रयोग करके.लेकिन यदि रोगी के फेफड़ों में बहुत अधिक रक्तस्राव हो रहा है, या रोगी के वायुमार्ग में बड़ी चीज़ फंस गई है तो रोगी को ऑपरेशन थियेटर में सामान्य एनीस्थीसिया देकर कठोर ब्रोंकोस्कोपी की जाती है. राउरकेला का यह अस्पताल अत्याधुनिक सुविधाओँ के साथ कई बच्चों के जीवन को बचा चुका है.