जमशेदपुर, 28 मार्च (रिपोर्टर): कोई मां अपनी बच्चों के लिए क्या-क्या कर सकती है यह शनिवार को देखने के लिए मिला. जब कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉक डाउन के कारण गाड़ी नहीं मिली तो एक महिला अपनी बेटी के ऑपरेशन के लिए 80 किलोमीटर पैदल चल कर चाईबासा से जमशेदपुर पहुंची. टीएमएच में महिला की पुत्री अपने ऑपरेशन के लिए मां का इंतजार कर रही थी. जब दोपहर में महिला टीएमएच पहुंची तो ऑपरेशन के पेपर पर हस्ताक्षर किया, जिसके बाद डॉक्टरों की टीम ने बच्ची का ऑपरेशन किया.
चाईबासा के नोवामुंडी के लखनसाइ निवासी अजय मुंडा की 14 वर्षीय पुत्री दुर्गा शौच करने के लिए 23 मार्च को रेलवे ट्रैक के किनारे गई थी तभी वह ट्रेन की चपेट में आ गई थी जिससे उसके हाथ व पैर में गंभीर चोट लगी थी. परिजनों ने उसे चाईबासा में सदर अस्पताल पहुंचाया. चिकित्सकों ने उसे एमजीएम अस्पताल भेज दिया था. एमजीएम अस्पताल के डॉक्टरों ने बच्ची की गंभीर हालत को देखते हुए रांची रिम्स रेफर कर दिया था. परिजनों के अनुसार पैसा नहीं होने की वजह से उसे वापस घर लेकर चले गए थे. जब इस बात की जानकारी नोआमुंडी की जिला परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सोरेने को मिली तो वह दुर्गा का इलाज करने के प्रयास में जुट गई. उन्होंने नोवामुंडी टाटा स्टील के अधिकारियों के पास मदद की गुहार लगायी. बच्ची के परिजनों की स्थिति को देख कर व इलाज में बेवश होते हुए देख कर टाटा स्टील के अधिकारियों को भी नहीं रहा गया. टाटा स्टील के अधिकारियों ने टीएमएच में इलाज पर होने वाले खर्च की राशि उठाने के लिए तैयार हो गए. इसके बाद दुर्गा व उसकी बड़ी बहन को एंबुलेंस के माध्यम से टीएमएच लाया गया. लेकिन, जब 27 मार्च को ऑपरेशन करने के लिए डॉक्टरों ने तैयारी की तो दुर्गा के साथ कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति नहीं था. टीएमएच के डॉक्टरों ने बच्ची की मां को बुलाने के लिए कहा जिससे ऑपरेशन पेपर पर हस्ताक्षर कर सके. दुर्गा की बड़ी बहन ने मां को बुलाया लेकिन लॉकडाउन की वजह से कोई भी गाड़ी उसे नहीं मिली. इसे देखते हुए वह पैदल ही चल कर जमशेदपुर आयी. महिला के पैदल आने की जानकारी डॉक्टरों को मिली तो उनका भी बच्चों के प्रति लगाव बढ़ गया. शनिवार की दोपहर बच्ची का सफल ऑपरेशन किया गया. बच्ची को दो-तीन दिन में छुट्टी भी मिलने की उम्मीद है.