फेक पोस्ट सोशल मीडिया का दुरुपयोग: केंद्र ने सुको से कहा – 3 महीने में आएगा नया सख्त नियम

नई दिल्ली:22 अक्टूबर इएमएस) सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार मौजूदा कानून को और कड़ा करने जा रही है. सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि यह महसूस किया गया है कि व्यक्तिगत अधिकारों और राष्ट्र की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए बढ़ते खतरों को ध्यान में रखते हुए प्रभावी नियंत्रण के लिए मौजूदा नियमों को संशोधित किया जाना जरूरी है.

पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया के उपयोग में भारी ब
ढोतरी हुई है और कम इंटरनेट टैरिफ के साथ, स्मार्ट उपकरणों और लास्ट माइल कनेक्टिविटी की उपलब्धता के साथ, भारत में अधिक से अधिक लोग इंटरनेट/सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का हिस्सा बन रहे हैं. यदि एक ओर प्रौद्योगिकी ने आर्थिक विकास और सामाजिक विकास का नेतृत्व किया है तो दूसरी ओर हेट स्पीच, फर्जी समाचार, कानून व्यवस्था, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों, अपमानजनक पोस्ट और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में तेजी से वृद्धि हुई है. इंटरनेट लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अकल्पनीय व्यवधान पैदा करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरा है. यह महसूस किया गया है कि व्यक्तिगत अधिकारों और राष्ट्र की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए बढ़ते खतरों को ध्यान में रखते हुए प्रभावी नियंत्रण के लिए मौजूदा नियमों को संशोधित किया जाना जरूरी है. इसी के चलते सरकार ने नियमों में संशोधन करने की प्रक्रिया शुरू की है.
केंद्र सरकार ने ये हलफऩामा उन याचिकाओं की सुनवाई में दायर किया जिनमें में मांग की गई है कि अगर कोई सोशल मीडिया पर गलत व आपत्तिजनक पोस्ट करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए उसकी तुरंत पहचान करने के लिए कोई गाइडलाइन बने व आधार से लिंक किया जाए. मद्रास, मध्यप्रदेश और बॉम्बे हाईकोर्ट में सोशल मीडिया, फेसबुक और व्हाट्सएप के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट में होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं को हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर किया. जनवरी में होगी सुनवाई. याचिकाओं में मांग की गई है कि अगर कोई सोशल मीडिया में गलत व आपत्तिजनक पोस्ट करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए उसकी तुरंत पहचान करने के लिए कोई गाइडलाइन बने व आधार से लिंक किया जाए.
फेसबुक की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, ट्विटर, गूगल और यूट्यूब को नोटिस जारी किया था. फेसबुक ने सोशल मीडिया प्रोफाइल के साथ आधार लिंक करने वाली याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में करने के लिए याचिका दायर की थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किए. सोशल मीडिया प्रोफाइल से आधार लिंक करने को लेकर मद्रास हाईकोर्ट, बॉम्बे और मध्य प्रदेश में मामले लंबित हैं. बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करने से हामी भरी, लेकिन कोई भी अंतिम फैसला देने के लिए इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार की तरफ से कहा गया कि सभी के सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार नंबर से लिंक करना जरूरी है. जिससे फेक और नफरत फैलाने वाले लोगों की तुरंत पहचान की जा सके. साथ ही इससे देश विरोधी और आतंकी सामग्री को भी पहचाना जा सकता है.फेसबुक ने अपने यूजर्स के प्रोफाइल के साथ 12 नंबर के आधार नंबर जोडऩे को प्राइवेसी के साथ खिलवाड़ बताया.

उनकी तरफ से कहा गया कि फेसबुक और व्हाट्सऐप यूज करने वाले करोड़ों लोग हैं, जो अपने-अपने तरीके से इसका इस्तेमाल करते हैं. इसीलिए इसके लिए कई चीजों को देखना जरूरी होगा. आधार लिंक करने से यूजर्स के गोपनीयता अधिकारों को छीनने जैसा होगा.हालांकि, सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई कि मैसेज भेजने वाले का पता लगाने के लिए हमारे पास कोई जरिया नहीं है. हम ये पता नहीं लगा सकते हैं कि कोई वायरल या हिंसक पोस्ट कहां से शुरू हुई है. इसीलिए ऐसा कोई तरीका खोजना जरूरी है जिससे मैसेज भेजने वाले या पोस्ट लिखने वाले की पहचान हो पाए.

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