नियमावली के पालन में गड़बड़ी मिली तो पूरी नियुक्ति प्रक्रिया होगी रद : डीके सिंह

रांची : रिम्स में ए ग्रेड (पहली श्रेणी) व सी ग्रेड (तृतीय श्रेणी) के पदों पर चल रही नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगने पर निदेशक डॉ. डीके सिंह ने कहा कि उनकी जानकारी में जो भी नियमावली थी उसी के आधार पर प्रक्रिया पूरी की गई है। किसी भी नियम को तोड़ने का प्रयास नहीं किया गया है। जो भी मानवीय गलतियां हुईं होंगी उसे सुधार किया जाएगा। किसी तरह की बड़ी गलती हुई होगी तो पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाएगा।

इधर, नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगने के बाद रिम्स के कई अधिकारियों के साथ मेरिट रखने वाले उम्मीदवारों के चेहरे लटक गए हैं। तृतीय श्रेणी के कई उम्मीदवारों ने स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात की है।

बीते दिन विधायक बंधु तिर्की के नेतृत्व में ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप लगाया था। इसके बाद ही प्रक्रिया पर रोक लगाई गई। मुख्यमंत्री ने नियुक्ति पर रोक लगाते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को नियुक्ति की नियमावली की गहनता से जांच और कार्रवाई का जिम्मा दिया है।

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ग्रेड ए व सी को पड़ेगा प्रभाव : रिम्स में छह महीनों में सैकड़ों विभिन्न पदों पर नियुक्ति हो चुकी है। विज्ञापन निकालने के बाद कई पदों पर बहाली हो चुकी है। अब भी 500 से ज्यादा पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। इसमें ग्रेड ए के अंतर्गत 362 स्थाई नर्से, ग्रेड सी में वार्ड अटेंडेंट के 119 पद समेत लैब टेक्नीशियन, लैब अटेंडेंट, असिस्टेंट, फार्मासिस्ट आदि के पद शामिल हैं। नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगने से इनकी बहाली में अब विलंब होना तय है। इन श्रेणियों में मुख्यमंत्री को शिकायत करते हुए एसटी वर्ग को दरकिनार करने व नियुक्ति नियमावली का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया है।

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स्टाफ नर्स की कमी से जूझ रहा रिम्स और अब तक सात बार टली प्रक्रिया

रिम्स में साल 2002 में स्थाई नर्सो के बाद वर्तमान तक कोई स्थायी बहाली नहीं हो सकी है, हालाकि बहाली के लिए विज्ञापन कई बार निकाला गया है।

रिम्स प्रबंधन ने साल 2018 में 100 स्थायी नर्सो की बहाली के लिए विज्ञापन निकालते हुए आवेदन की अंतिम तारीख 30 नवंबर 2018 रखा था। आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया के बाद उसे रद कर दिया गया। इससे पहले भी कई बार विज्ञापन निकालकर तारीख बढ़ायी जा चुकी है।

साल 2019 में जीबी की 46वीं बैठक में पारित होने के बाद फरवरी में 323 पदों पर आवेदन मांगे गए। तीन महीने टलने के बाद जीबी की अगली बैठक में पद बढ़ाकर 362 किए गए। लेकिन विज्ञापन में एसटी कोटा में शून्य पद होने के बाद यह अब तक विवाद का कारण बना हुआ है।

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