धीमा जहर देकर रेलवे हिंदी मीडियम हाई स्कुल का घोंट रहा रेल प्रशासन, एडमिशन पर लगाई रोक, इंग्लिश मीडियम में पढ़ाने का दिया दबाव

रामगोपाल जेना
चक्रधरपूर।
चक्रधरपुर रेलवे हिंदी मीडियम (CBSE)हाई स्कुल में रेलवे के द्वारा सैकड़ों बच्चों के भविष्य से खेलते हुए शिक्षा से खिलवाड़ का एक मामला प्रकाश में आया है. रेलवे ने हिंदी मीडियम हाई स्कुल में कक्षा चौथी और पांचवीं में नए नामांकन पर रोक लगा दी है. यही नहीं अभी जितने भी बच्चे कक्षा चार और पांच में पढ़ते हैं उन्हें रेलवे इंग्लिश मीडियम में दाखिला लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है. या फिर अभिभावक अपने बच्चे का किसी दुसरे निजी या सरकारी स्कुल दाखिला अपने स्तर से करे.

अब अभिभावकों के लिए बड़ी विडंबना खड़ी हो गयी है. अभिभावक यह नहीं समझ पा रहे हैं की उनके बच्चे जो फ़िलहाल हिंदी मीडियम में पढ़ रहे थे वे कैसे इंग्लिश मीडियम में पढाई करेंगे. अगर इंग्लिश मीडियम में दाखिला नहीं करवाते हैं तो दुसरे निजी स्कुल में दाखिला तो मुश्किल होगा ही साथ में निजी स्कुल की भारी भरकम फीस भुगतान करना और डोनेशन देना उनके बस की बात नहीं. इस मामले को लेकर अभिभावकों ने शुक्रवार को चक्रधरपुर रेल मंडल के सीनियर डीपीओ अभय कुमार महापात्र से मुलाकात की. अभिभावकों ने समस्या रखते हुए समय देने की मांग की.

जिसपर सीनियर डीपीओ ने नकारत्मक जवाब देते हुए कहा की इस मामले में अब वे कुछ नहीं कर सकते. या तो उन्हें उनके बच्चों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ाना होगा या फिर बच्चों को स्कुल से निकालकर अभिभावक कहीं और दाखिला निजी तौर पर करे. रेलवे ने अब बच्चों को शिक्षा देने से हाथ खड़े कर लिए हैं. बता दें की पिछले साल ही कक्षा एक से तीन तक नए दाखिले पर विद्यालय ने रोक लगा दी थी.

अब विद्यालय से छात्रों को भी भगाने का खेल शुरू हो गया है. रेलवे के द्वारा स्कुल में दाखिला पर रोक लगाकर स्कुल को धीमी जहर देकर मारने का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी रेलवे ने बंगाली बालिका स्कुल, एसटीपी स्कुल और एमपी स्कुल को धीमी जहर देकर ख़त्म कर दिया. अब इस स्कुल को भी धीरे धीरे बंद करने की योजना पर रेलवे काम कर रही है. इस स्कुल में बच्चों को सीबीएसई बोर्ड के तहत शिक्षा मिलती थी, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की गरीबों के बच्चों को इस स्कुल से कम खर्च पर गुणवत्तापूर्ण सरकारी शिक्षा का लाभ मिलता था.

लेकिन अब इस स्कुल के भी बंद हो जाने से गरीब बच्चों की शिक्षा पर ग्रहण लग गया है. समाजसेवी करण महतो ने रेलवे के इस मामले को जिले के उपायुक्त से लेकर शिक्षा पदाधिकारियों तक ले जाने की बात कही है. वहीँ उन्होंने कहा की चक्रधरपुर रेल मंडल राजस्व उगाही में नंबर वन बन रहा है लेकिन यहाँ शिक्षा के अधिकार के कानून की धज्जियाँ रेलवे उड़ा रही है. रेलवे के पास इतना भी पैसा नहीं की गरीब बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने का काम जारी रहे.

शिक्षा के अधिकार कानून को ठेंगा दिखाकर स्कुल के बच्चों के भविष्य से खेला जा रहा है. स्कुल का अभिभावक मंडल बहुत जल्द शिक्षा मन्त्री और पीएम से रेलवे की करतूत की शिकायत करेगा. अबतक जितने भी स्कुल रेलवे ने बंद कराकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया है, सबका कच्चा चिटठा खोला जायेगा. जरुरत पड़ी तो रेलवे के जिम्मेदार अधिकारीयों के खिलाफ जनहित याचिका भी दायर की जाएगी क्योंकि चक्रधरपुर रेल मंडल बच्चों के भविष्य से खेल रहा है.

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