आदिवासियों को मिले अधिकार पर रचनात्मक ढंग से सोचने व आंकलन करने की आवश्यकता है :,अर्जुन मुंडा रामगोपाल जेना

रांची /चक्रधरपुर।
संविधान में आदिवासियों को मिले अधिकार पर रचनात्मक ढंग से सोचने और उसे आकलन करने की आवश्यकता है।क्योंकि अपने अधिकार को जाने बगैर आदिवासी समाज अपनी अस्मिता और पहचान बरकरार नहीं रख सकते।जनजातीय मामलों के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री अर्जुन मुंडा ने जयपाल सिंह मुंडा की जयंती पर आज रांची स्थित अपने आवास में आयोजित जयंती समारोह में उक्त बातें कही।
श्री मुंडा ने कहा कि आदिवासी समाज के लिए जयपाल सिंह मुंडा की भूमिका अविस्मरणीय है।संविधान सभा के सदस्य के रूप में उन्होंने आदिवासियों की पहचान और अस्मिता को संविधान निर्माताओं के समक्ष वृहद रूप से रखा।और यही कारण था कि आदिवासियों को संविधान में कुछ अलग से संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं।अपने गांव में प्रमोद के नाम से जाने जानेवाले जयपाल सिंह मुंडा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।उनकी प्रतिभा एक आई सी एस, एक हॉकी खिलाड़ी, एक शिक्षक, एक नेता और एक सामाजिक व्यक्ति के रूप में पहचान बनी।उन्होंने ही झारखंड अलग राज्य की परिकल्पना की थी।
श्री मुंडा ने कहा कि आज छात्रों को जयपाल सिंह मुंडा पर शोध करना चाहिए।साथ ही पूरे देश के ऐसे आदिवासी नेताओं पर एक व्याख्यान श्रृंखला शुरू होनी चाहिए, जिन्होंने देश और आदिवासी समाज के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।आज के जयंती समारोह में पूर्व मंत्री श्रीमती विमला प्रधान, पूर्व विधायक शिव शंकर उरांव, महापौर आशा लकड़ा,नव निर्वाचित विधायक नवीन जायसवाल, समरी लाल,उप महापौर संजीव विजयवर्गीय, पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी सावित्री पूर्ती,भारत मुंडा समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एतवा मुंडा समेत कई अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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