टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड सर्विसेज श्रमिक यूनियन चुनाव 21 वषों के इतिहास में सत्ता पक्ष व विपक्ष ने महिला उम्मीदवार उतारा

यूनियन के असिस्टेंट सेक्रेटी व ट्रेजरर पद पर चुनाव लड़ रहीं महिलाएं
जमशेदुपर : टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड सर्विसेज श्रमिक यूनियन (पूर्व में जुस्को श्रमिक यूनियन) चुनाव इस बार रोमांचक मोड़ में पहुंच गया है. इसका यह कारण नहीं कि अध्यक्ष पद के लिए एक साथ चार उम्मीदवार खड़े हैं बल्कि सबसे बड़ी बात यह है कि यूनियन के इतिहास में 21 वर्षों के बाद सत्ता पक्ष से असिस्टेंट सेक्रेटी पद पर विपक्ष से ट्रेजरर पद पर महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही हैं. इसलिए यह चुनाव दिलचस्प बन गया है. अब चुनाव में इन महिलाओं की जीत व हार का फैसला उनके भविष्य के यूनियन के बढ़ते या घटते नेतृत्व की ओर इशारा कर रहा है. इसलिए इस बार के चुनाव पर टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज लिमिटेड (पूर्व जुस्को) प्रबंधन की भी टिकी हुई है.
टाटा स्टील से 2004 में अलग होकर जुस्को कंपनी बनी थी जिसके अंतर्गत जुस्को श्रमिक यूनियन का गठन किया था. पिछले कुछ वर्ष पहले जुस्को का नाम बदल कर टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज लिमिटेड रखा गया है. उसके बाद हाल में ही जुस्को श्रमिक यूनियन का नाम बदल कर टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड सर्विसेज श्रमिक यूनियन रखा गया है. पिछले 21 वर्षो के यूनियन के इतिहास को देखा जाए तो भले ही महिला उम्मीदवार को कमेटी सदस्य बनाने की बात होती रही हो लेकिन यूनियन नेतृत्व ने आज तक पदाधिकारी पद के लिए किसी महिला उम्मीदवार को बनाने के लिए दिलचस्पी ही नहीं दिखायी जिसका नतीजा अब तक यह रहा है कि आज तक कोई भी महिला यूनियन की पदाधिकारी नहीं बन पायी हैं. वहीं इस बार के चुनाव में सत्ता पक्ष (रघुनाथ पांडेय गुट) ने दो असिस्टेंट सेक्रेट्री पदों में से एक पद पर महिला उम्मीदवार संजु महतो को उम्मीदवार बनाया है जबकि दूसरी ओर विपक्ष (गोपाल जायसवाल गुट) ने ट्रेजरर के एक पद के लिए महिला उम्मीदवार नेहा उपाध्याय को उम्मीदवार बनाया है. अब इस महिला उम्मीदवार बनाने को लेकर राजनीति चुनाव में जोरों पर चल रही है. सत्ता पक्ष व विपक्ष ने एक दूसरे पर देखादेखी कर महिला उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारने की बात कर रहे. फिलहाल जो हो 10 जून के चुनाव के बाद चुनाव परिणाम आने के बाद यह तय हो पायेगा कि संजु महतो या नेहा मेंं से कौन यूनियन की पदाधिकारी बनती हैं या दोनों बनने की काबिलियत रखती है. कर्मचारियों को भी चाहिए कि महिलाओं को आगे बढ़ाने की बात करते हैं लेकिन अब उनके लिए यह समय है कि सही में वे महिलाओं को प्रोत्साहित करना चाहते या नहीं करना चाहते.
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टाटा वर्कर्स यूनियन नेतृत्व के लिए भी होगा आईना
टाटा वर्कर्स यूनियन में भी अब तक यही स्थिति है. भले ही यूनियन का 100 वर्षों का इतिहास हो. यूनियन सौ वर्षों को पार कर आगे बढ़ चुकी है. लेकिन सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष ने कभी भी किसी महिला उम्मीदवार को चुनाव में जिता कर यूनियन का पदाधिकारी बनाने का प्रयास नहीं किया. यूनियन के कुछ लोग खुद ही अपने महिमामंडन के लिए पदाधिकारी बने रहने की होड़ में आगे बढ़ कर सामने आते रहे. अब शायद टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड श्रमिक यूनियन का यह चुनाव भविष्य में टीडब्ल्यूयू नेतृत्व की आंख खोले. टाटा स्टील के महिला कर्मचारियों के लिए यह चुनाव बड़ी सबक बन कर उभरेगा.

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